200 के पार जाएंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? रूसी तेल पर अमेरिका के वार से भारत को लगेगा 9.60 लाख करोड़ का झटका!
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200 के पार जाएंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? रूसी तेल पर अमेरिका के वार से भारत को लगेगा 9.60 लाख करोड़ का झटका!

क्या अब 200 रुपये लीटर होगा पेट्रोल? क्या डीजल फिर आम आदमी की कमर तोड़ देगा? अमेरिका की सख्त नीति और रूसी तेल पर पाबंदियों का असर अब भारत की जेब पर साफ नजर आने वाला है.

200 के पार जाएंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? रूसी तेल पर अमेरिका के वार से भारत को लगेगा 9.60 लाख करोड़ का झटका!

क्या अब 200 रुपये लीटर होगा पेट्रोल? क्या डीजल फिर आम आदमी की कमर तोड़ देगा? अमेरिका की सख्त नीति और रूसी तेल पर पाबंदियों का असर अब भारत की जेब पर साफ नजर आने वाला है. अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ और रूसी तेल व हथियार खरीदने पर संभावित सेकेंडरी सैंक्शन ने देश की एनर्जी सुरक्षा को गहरे संकट में डाल दिया है. इसके चलते भारत का वार्षिक तेल आयात बिल 9-11 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है, यानी लगभग ₹9.60 लाख करोड़ का सीधा झटका.

आपको बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल कंज्यूमर और इम्पोर्टर देश है. 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने तेजी से रियायती रूसी तेल का रुख किया, जो युद्ध से पहले कुल आयात का महज 0.2% था, अब वह 35-40% तक पहुंच चुका है. इस सस्ते तेल से न केवल आम आदमी को राहत मिली, बल्कि रिफाइनिंग कंपनियों ने रिकॉर्ड मुनाफा कमाया. लेकिन अब अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ और संभावित पेनल्टी से भारत की पूरी रणनीति खतरे में पड़ गई है.

क्‍या हो सकता है असर?
एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर भारत को रूसी तेल खरीदना बंद करना पड़ा, तो उसे हर बैरल पर लगभग 5 डॉलर ज्यादा चुकाने होंगे. भारत रोजाना करीब 1.8 मिलियन बैरल रूसी तेल आयात करता है. इसका मतलब है कि देश का तेल आयात बिल सालाना $9-11 अरब तक बढ़ सकता है. अगर ग्लोबल ऑयल की कीमतें और बढ़ीं, तो यह लागत और भी ज्यादा हो सकती है.

किन कंपनियों पर सबसे ज्यादा असर?
रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी जैसी निजी रिफाइनिंग कंपनियां रूसी तेल का बड़ा हिस्सा खरीदती हैं. EU द्वारा पहले ही नायरा पर सख्ती की जा चुकी है, और अब अमेरिका की संभावित सेकेंडरी सैंक्शन के डर से ये कंपनियां भी धीरे-धीरे रूसी तेल से दूरी बना रही हैं.

ऑप्शन तो हैं, लेकिन महंगे
रूसी तेल की जगह मिडिल ईस्ट, वेस्ट अफ्रीका या अमेरिका से तेल मंगाना संभव तो है, लेकिन उसकी कीमत ज्यादा है और लॉजिस्टिक चुनौतियां भी कई हैं. साथ ही, इन देशों के तेल की क्वालिटी भी अलग होती है, जिससे रिफाइनिंग मार्जिन पर दबाव आ सकता है.

क्या होगा आम जनता पर असर?
अगर सरकार खुदरा ईंधन कीमतों को स्थिर रखने के लिए टैक्स कटौती या सब्सिडी का रास्ता अपनाती है, तो राजकोषीय घाटा बढ़ेगा. वहीं, अगर कीमतों को बाजार पर छोड़ दिया गया, तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें ₹200 प्रति लीटर के पार जा सकती हैं. इसका असर महंगाई, रुपये की कमजोरी और ब्याज दरों पर भी पड़ सकता है.

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शिवेंद्र सिंह

ज़ी न्यूज़ में सीनियर सब एडिटर. वर्तमान में बिजनेस और फाइनेंशियल न्यूज लिखते हैं. पत्रकारिता में राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, खेल, स्वास्थ्य, लाइफस्टाइल, ट्रैवल बीट्स पर काम का 9 वर्षों का अनुभव. सटीकता औ...और पढ़ें

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