'पुरानी बोतल में नई शराब...', राहुल गांधी को EC ने क्यों दिया ऐसा जवाब?
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'पुरानी बोतल में नई शराब...', राहुल गांधी को EC ने क्यों दिया ऐसा जवाब?

Rahul Gandhi: राहुल गांधी के के आरोपों पर पलटवार करते हुए इलेक्शन कमीशन ने उन्हें पुरानी बोतल में नई शराब कहा है.

'पुरानी बोतल में नई शराब...', राहुल गांधी को EC ने क्यों दिया ऐसा जवाब?

EC Reply To Rahul Gandhi: राहुल गांधी चुनाव आयोग पर लगातार आरोप लगा रहे हैं. गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग (Chunav Ayog) भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ मिलकर चुनावों में हेराफेरी कर रहा है और लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है. उनकी इस टिप्पणी के बाद इलेक्शन कमीशन ने उनपर पलटवार करते हुए उन्हें पुरानी बोतल में नई शराब कहा है.

वही कर रहे हैं राहुल गांधी
पलटवार करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि राहुल गांधी ने पीसी करके फिर घिसी-पिटी कहानी को दोहराई है,  2018 में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा राज्य मतदाता सूची में गलतियों को लेकर यही राग अलापा गया था और यही अब राहुल गांधी कर रहे हैं. उन्होंने साल 2018 में निजी वेबसाइट का प्रयोग करके सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की थी. ताकि यह दिखाया जा सके कि वोटर लिस्ट में गलतियां हैं.

चुनाव आयोग ने कही ये बात
साथ ही साथ कहा कि 36 मतदाताओं के चेहरे फिर से दिखाए गए थे. जबकि सच ये था कि इस गलती को 4 महीने पहले ही ठीक कर लिया गया था. उसकी कॉपी पार्टी को भी दे दी गई थी. साथ ही साथ इस मामले में कोर्ट ने कमलनाथ की अर्जी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. इसके अलावा आयोग ने लिखा कि अब 2025 में वो यह जानते हुए कि कोर्ट में यही चाल नहीं चल सकती ऐसे में उन्होंने यह दावा किया कि एक ही नाम अलग- अलग जगहों पर हैं. जबकि जिन तीन नामों का दावा वो कर रहे हैं उसका सुधार किया जा चुका है और एक ही मुद्दे को बार-बार उठाना ये दिखाता है कि राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का कोई सम्मान नहीं करते हैं.

 

राहुल गांधी के पास है दो विकल्प
इससे पहले एएनआई ने चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से बताया था कि 'अगर (कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता) राहुल गांधी अपने विश्लेषण पर विश्वास करते हैं और मानते हैं कि चुनाव आयोग पर उनके आरोप सही हैं तो उन्हें घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. अगर राहुल गांधी घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं तो इसका मतलब होगा कि उन्हें अपने विश्लेषण, उसके निष्कर्षों और बेतुके आरोपों पर विश्वास नहीं है. ऐसी स्थिति में उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए. इसलिए, उनके पास दो विकल्प हैं. या तो घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करें या चुनाव आयोग पर बेतुके आरोप लगाने के लिए देश से माफ मांगें.

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अभिनव त्रिपाठी

जी न्यूज में न्यूज डेस्क पर बतौर सब एडिटर कार्यरत. देश- विदेश की खबरों को सरल भाषा में लिखते हैं. साहित्य और राजनीति में विशेष दिलचस्पी. यूपी के सुल्तानपुर जिले से ग्रेजुएशन, महात्मा गांधी काशी विद...और पढ़ें

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