अमेरिका की हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट (Jane Street) के घोटाले ने भारतीय शेयर बाजार में तूफान ला दिया है. अब इस मामले में कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार और बाजार नियामक सेबी पर सीधा हमला बोला है.
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अमेरिका की हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट (Jane Street) के घोटाले ने भारतीय शेयर बाजार में तूफान ला दिया है. अब इस मामले में कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार और बाजार नियामक सेबी पर सीधा हमला बोला है. पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि यह घोटाला सिर्फ एक विदेशी कंपनी की लूट नहीं, बल्कि सेबी की मिलीभगत और सरकार की उदासीनता का नतीजा है, जिससे करोड़ों निवेशकों की मेहनत की कमाई डूब गई.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार के शासनकाल में देश की संस्थाएं लगातार कमजोर हो रही हैं और इनकी गिरती साख लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है. उन्होंने कहा कि सेबी आज खुद संदिग्ध भूमिका में है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब जेन स्ट्रीट की एक्टिविटी लंबे समय से एनएसई और सेबी की निगाह में थीं, तो समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
अवैध मुनाफा और सेबी की चुप्पी पर कांग्रेस का प्रहार
कांग्रेस ने सेबी के इंटरिम ऑर्डर का हवाला देते हुए कहा कि जेन स्ट्रीट ने भारत के डेरिवेटिव और इक्विटी बाजार में गलत तरीके से ऑपरेट करके हजारों करोड़ का मुनाफा कमाया. सेबी की 105 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने केवल 18 ट्रेडिंग सत्रों में ₹4843 करोड़ का मुनाफा कमाया, जो नियमों के उल्लंघन से जुड़ा था. लेकिन रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि इसी अवधि में कंपनी ने ₹44000 करोड़ तक का अवैध लाभ कमाया हो सकता है यानी जब्त की गई राशि घोटाले का दसवां हिस्सा भी नहीं है.
'राहुल गांधी ने पहले ही चेताया था'
सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पहले ही इस खतरे की ओर सरकार का ध्यान खींचा था. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी लगातार यह कह रहे थे कि बाजार में बड़ी हेराफेरी हो रही है, लेकिन सरकार और रेगुलेटर दोनों ने आंखें मूंद रखीं. कांग्रेस ने यह भी कहा कि यह घोटाला सिर्फ एक दिन या एक कंपनी तक सीमित नहीं था. बल्कि यह एक संगठित ऑपरेशन था जो रेगुलेटर की जानकारी और शायद मिलीभगत से चलता रहा.
कैसे हुआ घोटाला?
कांग्रेस ने कहा कि जेन स्ट्रीट ने मार्केट मैनिपुलेशन की तकनीक अपनाई जिसमें शेयर और फ्यूचर खरीदकर बाजार में तेजी का माहौल बनाया गया. फिर पीछे से पुट ऑप्शन की पोजीशन लेकर, बाजार गिराकर मुनाफा कमाया गया. उदाहरण के तौर पर: 17 जनवरी 2024 को कंपनी ने पहले ₹4370 करोड़ के शेयर खरीदे, फिर रिटेल निवेशकों के आने के बाद ₹32000 करोड़ की पुट कॉल की पोजीशन ली. बाद में बिकवाली कर बाजार गिराया और ₹735 करोड़ का मुनाफा कमाया. यह पूरी प्रक्रिया एक मैनिपुलेटेड ट्रेडिंग ऑपरेशन थी, जिसमें आम निवेशकों को भ्रम में डालकर नुकसान कराया गया.
सेबी की टाइमलाइन पर भी कांग्रेस के सवाल
कांग्रेस ने सेबी की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए. रिपोर्ट बताती है कि सेबी को जनवरी 2024 से जेन स्ट्रीट की संदिग्ध एक्टिविटी की जानकारी थी. फिर भी जुलाई से मई तक, 10 महीनों तक सिर्फ चेतावनी, जवाब और समीक्षा का खेल चलता रहा. आखिरकार 3 जुलाई 2025 को जाकर सेबी ने इंटरिम आदेश जारी किया. कांग्रेस ने पूछा कि जब NSE ने 2024 में ही संदिग्ध ट्रेडिंग पैटर्न की जानकारी दी थी, तो सेबी ने तुरंत एक्शन क्यों नहीं लिया? क्या यह देरी जानबूझकर की गई?"
सेबी और सरकार को लेकर कांग्रेस की मांगें
कांग्रेस ने कहा कि यह सिर्फ जेन स्ट्रीट का मामला नहीं, बल्कि भारतीय बाजार और निवेशकों के भरोसे का सवाल है. पार्टी ने मांग की: इस पूरे मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जाए. सेबी के पूर्व अधिकारियों और जेन स्ट्रीट की संभावित सांठगांठ की परतें खोली जाएं. निवेशकों को मुआवजा दिलाने के लिए विशेष फंड या तंत्र बनाया जाए. सरकार स्पष्ट करे कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है और आगे क्या योजना है.