Jane Street Scam: ₹4,843 करोड़ नहीं, ₹1 लाख करोड़ का हुआ महा-घोटाला? माधबी पुरी बुच के कार्यकाल में कैसे किया इतना बड़ा फ्रॉड
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Jane Street Scam: ₹4,843 करोड़ नहीं, ₹1 लाख करोड़ का हुआ महा-घोटाला? माधबी पुरी बुच के कार्यकाल में कैसे किया इतना बड़ा फ्रॉड

भारत के शेयर बाजार में इतिहास के सबसे बड़े माने जा रहे घोटाले का खुलासा हुआ है. अमेरिकी हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग फर्म जेस स्ट्रीट पर जो आरोप लगे थे, वो शायद अभी सिर्फ एक झलक भर हैं. 

Jane Street Scam: ₹4,843 करोड़ नहीं, ₹1 लाख करोड़ का हुआ महा-घोटाला? माधबी पुरी बुच के कार्यकाल में कैसे किया इतना बड़ा फ्रॉड

भारत के शेयर बाजार में इतिहास के सबसे बड़े माने जा रहे घोटाले का खुलासा हुआ है. अमेरिकी हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग फर्म जेस स्ट्रीट पर जो आरोप लगे थे, वो शायद अभी सिर्फ एक झलक भर हैं. जी बिजनेस को सूत्रों ने बताया है कि यह घोटाला ₹4,843 करोड़ तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका आकार ₹1 लाख करोड़ तक हो सकता है.

मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने हाल ही में जेस स्ट्रीट और उसकी भारतीय यूनिट्स पर शिकंजा कसा है, लेकिन जो डेटा और घटनाक्रम अब सामने आ रहे हैं, वो यह संकेत दे रहे हैं कि यह एक संगठित और लंबी अवधि तक चलने वाला इंडेक्स मैनिपुलेशन ऑपरेशन था, जिसे माधबी पुरी बुच के कार्यकाल के दौरान नजरअंदाज किया गया.

क्या था जेस स्ट्रीट का खेल?
जेस स्ट्रीट पर आरोप है कि उसने भारतीय बाजार में डेरिवेटिव्स के जरिए भारी स्तर पर मैनिपुलेशन किया. सेबी की 105-पेज की रिपोर्ट के मुताबिक, जेन ने सुबह के समय निफ्टी बैंक के शेयरों को कैश और फ्यूचर्स मार्केट में खरीद कर इंडेक्स को आर्टिफिशियल रूप से ऊपर उठाया, और दूसरी ओर, बड़े पैमाने पर इंडेक्स ऑप्शन्स में शॉर्ट पोजिशन बना लीं. बाद में, दिन के अंत में इन ट्रेड्स को उलटकर भारी मुनाफा कमाया गया. सेबी ने ₹4,843 करोड़ की संपत्ति जब्त की है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि ये आकंड़ा पूरी मैनिपुलेटिव गतिविधि का सिर्फ एक हिस्सा है, और वास्तविक मुनाफा ₹1 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है.

जांच के घेरे में 4 नहीं, 7-8 कंपनियां
शुरुआती जांच में चार कंपनियों का नाम सामने आया था जो जेस स्ट्रीट से जुड़ी थीं, लेकिन सूत्रों के अनुसार 3-4 और कंपनियां भी इस नेटवर्क का हिस्सा थीं, जो अब जांच के दायरे में हैं. यह एक मल्टी-लेयर स्ट्रक्चर था, जहां अलग-अलग संस्थाओं के जरिए पोजीशन बनाई गईं और शेयर बाजार को प्रभावित किया गया.

माधबी पुरी बुच के कार्यकाल पर सवाल
इस मामले का सबसे बड़ा पहलू यह है कि सेबी के पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के कार्यकाल के दौरान ऐसी कई संदिग्ध एक्टिविटीज के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

सूत्रों के मुताबिक
जनवरी 2024 से लेकर पूरे साल में डेरिवेटिव्स मार्केट में कई बार तीव्र उतार-चढ़ाव देखने को मिले. हर बार वायदा बाजार में संभावित उतार-चढ़ाव के संकेत तीन सिग्मा से ज्यादा हो गए थे, जो कि सामान्य से बहुत ज्यादा होता है. यह संकेत देता है कि यह कोई निवेश आधारित गतिविधि नहीं, बल्कि पहले से प्लान किया हुआ मैनिपुलेशन था.

आंकड़े जो साबित करते हैं घोटाला
नीचे दिए गए कुछ प्रमुख उदाहरण बताते हैं कि किस तरह से वायदा बाजार में अचानक उछाल आया और उसके साथ भारी मार्केट मूवमेंट हुए:
28 नवंबर 2024: निफ्टी में IV 14.3% से 27.7% तक उछला, 400 पॉइंट की गिरावट
5 दिसंबर 2024: निफ्टी में IV 22% से 37.7% तक उछला, 490 पॉइंट की तेजी
13 दिसंबर 2024: सेंसेक्स में IV 9.5% से 27.8%, 1,900 पॉइंट की छलांग
30 दिसंबर 2024: मिडसेलेक्ट इंडेक्स में IV 11.5% से 32.5%, 300 पॉइंट की तेजी
2 जनवरी 2025: निफ्टी में IV 12% से 26%, 470 पॉइंट की तेजी

इसके अलावा, कुछ एक्सपायरी डेट्स पर IV को जानबूझकर दबाया गया, ताकि मार्केट को एक रेंज में बंद किया जा सके. उदाहरण:

24 अक्टूबर 2024: IV 15% से 4% तक गिरा, इंडेक्स क्लोजिंग स्ट्राइक प्राइस से सिर्फ 0.6 पॉइंट दूर
21 नवंबर 2024: IV 14% से 4% तक गिरा, क्लोजिंग केवल 0.1 पॉइंट दूर

एनएसई ने दी थी चेतावनी, लेकिन सेबी रहा खामोश
सूत्रों के मुताबिक, NSE ने जनवरी 2024 से ही सेबी को इन असामान्य गतिविधियों की सूचना देना शुरू कर दिया था. हालांकि सेबी की तरफ से कोई ठोस ऐक्शन नहीं लिया गया. यहां तक कि 17 दिसंबर 2024 को मंगलवार (गैर-एक्सपायरी दिन) पर भी Nifty50 में 350 पॉइंट की तेजी और IV में 11% से 19% की छलांग देखी गई. इसे सेबी ने अपनी रिपोर्ट में पहला मिडवीक मैनिपुलेशन केस माना.

क्या खुद शामिल थीं माधबी पुरी बुच?
सूत्रों का यह भी दावा है कि माधबी पुरी बुच खुद भी सिंगापुर के FPI स्ट्रक्चर के माध्यम से निवेश कर रही थीं, और उनकी नजरें बाजार के इन संकेतों से हट चुकी थीं. उनके कार्यकाल में: वही पैटर्न बार-बार दोहराए गए, जैसे- ऑप्शन्स में पहले से पोजीशन, फिर इंडेक्स मूवमेंट. सेबी के पास डेटा, चार्ट और पैटर्न सब कुछ था, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव्स मार्केट
गौर करने वाली बात यह है कि भारत का डेरिवेटिव्स मार्केट दुनिया में सबसे बड़ा बन चुका है. फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन के अनुसार, अप्रैल 2024 में दुनिया के कुल 7.3 बिलियन इक्विटी डेरिवेटिव्स ट्रेड्स में 60% भारत में हुए. इस तेजी से बढ़ते बाजार में नियमों की सख्ती बेहद जरूरी है. शायद यही कारण है कि सेबी के नए चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने अपनी प्राथमिकता में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग पर निगरानी बढ़ाने की बात कही है.

क्या होगा अब?
जेस स्ट्रीट घोटाले की परतें अब धीरे-धीरे खुल रही हैं और ये स्पष्ट हो रहा है कि ये मामला केवल एक कंपनी तक सीमित नहीं था. सेबी को अब पूरे नेटवर्क की जांच करनी होगी. पूर्व कार्यकाल की भूमिका की भी निष्पक्ष जांच जरूरी है. और सबसे महत्वपूर्ण, डेरिवेटिव्स मार्केट में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ानी होगी.

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