भारतीय शेयर बाजार में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसने ना सिर्फ हजारों करोड़ के मुनाफे की परतें खोली हैं, बल्कि पूरे डेरिवेटिव ट्रेडिंग सिस्टम की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.
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भारतीय शेयर बाजार में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसने ना सिर्फ हजारों करोड़ के मुनाफे की परतें खोली हैं, बल्कि पूरे डेरिवेटिव ट्रेडिंग सिस्टम की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. अमेरिका की बड़ी एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट (Jane Street) पर सेबी (SEBI) ने 36,500 करोड़ रुपये से ज्यादा के मुनाफे के लिए बाजार में हेरफेर करने का आरोप लगाया है.
SEBI की 115 पन्नों की जांच रिपोर्ट ने भारतीय बाजार में बड़े खिलाड़ियों के बेखौफ ट्रेडिंग सिस्टम की पोल खोल दी है. रिपोर्ट के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने बैंक निफ्टी जैसे इंडेक्स ऑप्शंस में इंट्राडे मैनिपुलेशन और मार्किंग द क्लोज जैसी स्ट्रेटेजी से भारी मुनाफा कमाया. इसके तहत कंपनी ने एक ही दिन में ज्यादा ट्रेडिंग कर कीमतों में उतार-चढ़ाव पैदा किए और उन्हीं से मुनाफा कमाया.
क्या है पूरा मामला?
जेन स्ट्रीट और उससे जुड़ी चार कंपनियों जेएसआई इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, जेएसआई2 इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, जेन स्ट्रीट सिंगापुर प्राइवेट लिमिटेड और जेन स्ट्रीट एशिया ट्रेडिंग लिमिटेड ने जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच कुल ₹43,289 करोड़ का मुनाफा कमाया, जिसमें से ₹36,502 करोड़ का नेट प्रॉफिट बताया गया है. सिर्फ बैंक निफ्टी ऑप्शंस से ही ₹17,319 करोड़ का मुनाफा कमाया गया, जो कि सबसे ज्यादा है. सेबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इन ट्रेड्स में ज्यादा मुनाफा एक्सपायरी के दिन में हुआ, जब बाजार में सबसे ज्यादा अस्थिरता होती है और कीमतों में थोड़ी सी भी चालबाजी से बड़ी कमाई संभव है.
क्या कानून तोड़ा गया?
सेबी ने जेन स्ट्रीट पर PFUTP (Prohibition of Fraudulent and Unfair Trade Practices) नियमों का उल्लंघन, निवेशकों को गुमराह करना, एक से ज्यादा संस्थाओं के माध्यम से कॉन्सर्ट में काम कर बाजार को गलत दिशा में मोड़ना और एनएसई की चेतावनियों को नजरअंदाज करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. अब सेबी ने जेन स्ट्रीट को भारतीय बाजार में ट्रेड करने से बैन कर दिया है और ₹4,840 करोड़ रुपये की अवैध कमाई लौटाने का आदेश भी दिया है.
डेरिवेटिव मार्केट पर क्यों उठे सवाल?
फिनोक्रेट टेक्नोलॉजीज के संस्थापक गौरव गोयल का कहना है कि यह केवल वित्तीय नुकसान नहीं है, बल्कि यह आम निवेशकों के विश्वास पर भी चोट है. ऐसी धांधलियां बाजार को गुमराह करती हैं और सीमित पूंजी से ट्रेड करने वाले रिटेल इन्वेस्टर्स को नुकसान पहुंचाती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि हेराफेरी करने वाले बड़े खिलाड़ी एक साथ स्टॉक और ऑप्शन मार्केट में ट्रेड कर के नकली प्राइस मूवमेंट पैदा करते हैं. इसीलिए सेबी को अब ऐसे सिस्टम विकसित करने की जरूरत है जो दोनों मार्केट को एक साथ मॉनिटर कर सके.
क्या होगा कर विभाग का रोल?
SEBI के आदेश के बाद अब मामला इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और GAAR (General Anti-Avoidance Rules) के पास भी जाएगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेन स्ट्रीट ने अपने मुनाफे को सिंगापुर आधारित एफपीआई के जरिए रूट कर टैक्स लाभ उठाया, जबकि इंट्राडे ट्रेडिंग जैसी एक्टिविटी भारत में की गईं, जो FPI के नियमों के खिलाफ है.
आगे क्या करेगी सेबी?
इस घोटाले के बाद सेबी पर दबाव है कि वह डेरिवेटिव मार्केट में निगरानी को और सख्त बनाए. रियल टाइम अलर्ट सिस्टम, ऑप्शंस और स्टॉक ट्रेडिंग के क्रॉस मॉनिटरिंग और बॉट ट्रेडिंग पर निगरानी जैसे कदम उठाना अब जरूरी हो गया है.