'बस तीन साल का इंतजार... जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ देगी इंड‍ियन इकोनॉमी'
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'बस तीन साल का इंतजार... जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ देगी इंड‍ियन इकोनॉमी'

Fifth Largest Economy: अभी भारतीय इकोनॉमी दुनियाभर में पांचवे नंबर पर है. लेक‍िन  नीति आयोग के सीईओ ने उम्‍मीद जताई क‍ि आने वाले तीन साल में यह दो पायदान चढ़कर तीसरे नंबर पर आ जाएगी. 

'बस तीन साल का इंतजार... जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ देगी इंड‍ियन इकोनॉमी'

Indian Economy: दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी 'भारत' आने वाले तीन साल में जापान और जर्मनी से आगे निकल जाएगी. यह कहना है नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम का. उन्‍होंने कहा क‍ि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी 'भारत' आने वाले समय में जापान और जर्मनी से आगे निकलकर तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगी. उन्होंने कहा 'विकसित भारत' का सपना पूरा होने के साथ ही देश 2047 में 30 ट्रिलियन डॉलर की दुन‍िया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी के रूप में पहचाना जाएगा.

भारत दुनिया के लिए शिक्षा का केंद्र बन सकता है

एक कार्यक्रम में बोलते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत दुनिया के लिए शिक्षा का केंद्र बन सकता है. देश का लोकतांत्रिक होना इसे दूसरे देशों से कई मायनों में अलग बनाता है. उन्होंने कहा कि भारत अगले साल के अंत तक पांचवीं से चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा. इसके बाद देश अपने विकास की गति को तेज करते हुए तीसरा और दूसरा स्थान भी पा लेगा. आईएमएफ के ताजा अनुमानों के अनुसार भारत की रियल जीडीपी 4.3 ट्रिलियन डॉलर की है, जो जापान के 4.4 ट्रिलियन डॉलर और जर्मनी के 4.9 ट्रिलियन डॉलर से कुछ ही मामूली अंतर को दर्शाती है.

नेतृत्व करने की आकांक्षा को जगाने का आग्रह
नीति आयोग के सीईओ सुब्रह्मण्यम ने लॉ और अकाउंटिंग फर्म सहित सभी भारतीय कंपनियों से दुनिया का नेतृत्व करने की आकांक्षा को जगाने का आग्रह किया. उन्होंने मध्य-आय वाले देशों द्वारा झेली जाने वाली परेशानियों को कम-आय वाले देशों द्वारा झेली जाने वाली परेशानियों से अलग बताया. उन्होंने कहा, 'यह गरीब को खाना खिलाने और निर्वस्त्र को कपड़े पहनाने से जुड़ा नहीं है, यह इस बारे में है कि आप किस तरह एक नॉलेज इकोनॉमी बनते हैं.'

सुब्रह्मण्यम ने बताया कि जापान 15,000 भारतीय नर्सों और जर्मनी 20,000 स्वास्थ्य कर्मियों को ले रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इन दोनों ही देशों के पास लोगों की कमी है और वहां पारिवारिक व्यवस्थाएं टूट गई हैं. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में कामकाजी आयु वर्ग के लोगों का एक स्थिर सप्लायर होगा, जो कि हमारी सबसे बड़ी ताकत होगी. 

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