अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट पर सेबी ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि कंपनी ने एक विवादित स्ट्रेटेजी ‘मार्किंग द क्लोज’ के जरिए निफ्टी और बैंक निफ्टी जैसे इंडेक्स ऑप्शंस के प्रीमियम को गलत तरीके से प्रभावित किया और करोड़ों रुपये का अवैध मुनाफा कमाया.
Trending Photos
भारतीय शेयर बाजार में एक बड़े खुलासे ने निवेशकों और रेगुलेटर्स के होश उड़ा दिए हैं. अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट ग्रुप LLC (जेन स्ट्रीट) पर सेबी (SEBI) ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि कंपनी ने एक विवादित स्ट्रेटेजी ‘मार्किंग द क्लोज’ के जरिए निफ्टी और बैंक निफ्टी जैसे इंडेक्स ऑप्शंस के प्रीमियम को गलत तरीके से प्रभावित किया और करोड़ों रुपये का अवैध मुनाफा कमाया.
बी ने इस मामले में 105 पन्नों का अंतरिम आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जेन स्ट्रीट ने ₹4,844 करोड़ का गलत तरीके से लाभ कमाया, जिसमें से केवल 17 जनवरी 2024 को ₹735 करोड़ का मुनाफा हुआ.
क्या है ‘मार्किंग द क्लोज’?
मार्किंग द क्लोज ट्रेडिंग की एक तकनीक है, जिसमें बाजार बंद होने से पहले, यानी अंतिम 30 मिनट में भारी वॉल्यूम के सौदे करके किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत को एक खास दिशा में मोड़ने की कोशिश की जाती है. यह स्ट्रेटेजी खासकर डेरिवेटिव मार्केट में काम आती है क्योंकि ऑप्शंस और फ्यूचर्स का सेटलमेंट बाजार बंद होने के अंतिम आधे घंटे की वेटेड एवरेज प्राइस पर होता है. सेबी का आरोप है कि जेन स्ट्रीट ने इसी समय का फायदा उठाकर इनडेक्स को अपने हिसाब से ऊपर-नीचे किया, जिससे उन्होंने पहले से ली गई पोजीशन से भारी मुनाफा कमाया.
कैसे काम करता है यह स्ट्रेटेजी?
5 प्वाइंट्स में समझिए पूरे खेल
1. ऑप्शंस प्रीमियम की समझ: ऑप्शंस की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि अंत में स्टॉक या इंडेक्स कहां बंद होता है. कॉल ऑप्शन की कीमत तब बढ़ती है जब कीमत ऊपर जाती है. जबिक, पुट ऑप्शन तब महंगी होती है जब बाजार नीचे गिरता है.
2. निफ्टी ऑप्शंस को बनाया निशाना: जेन स्ट्रीट ने निफ्टी और बैंक निफ्टी जैसे प्रमुख इंडेक्स के ऑप्शंस में बड़ी मात्रा में ट्रेड किया. ये इंडेक्स देश की सबसे बड़ी कंपनियों जैसे रिलायंस, एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस आदि पर आधारित होते हैं.
3. सस्ते OTM ऑप्शंस की खरीदारी: कंपनी ने भारी मात्रा में Out-of-the-Money (OTM) ऑप्शंस खरीदे, जिनकी कीमत कम होती है लेकिन वे अंत में इन दा मनी हो जाएं तो कई गुना मुनाफा देते हैं.
4. बाजार में अंतिम मिनटों में भारी ट्रेडिंग: जेन स्ट्रीट ने बाजार बंद होने से पहले इंडेक्स की बड़ी कंपनियों में बड़े वॉल्यूम से सौदे किए, जिससे इंडेक्स को अपनी स्ट्राइक प्राइस की ओर धकेला.
5. बंद होते बाजार में हुआ करोड़ों का मुनाफा: जैसे ही इंडेक्स डिजायर लेवल पर पहुंचा, OTM ऑप्शंस अचानक महंगे हो गए और जेन स्ट्रीट ने मुनाफा बुक कर लिया.
बी ने क्यों बताया इसे गैरकानूनी?
सेबी का कहना है कि यह रणनीति धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं का निषेध (PFUTP) नियमों का उल्लंघन है. यह तकनीकी रूप से भ्रामक, अनैतिक, और बाजार में हेराफेरी के अंतर्गत आता है. रेगुलेटर के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने अपने गहरे फंडिंग पॉकेट्स और एडवांस्ड अल्गोरिदम्स का इस्तेमाल करके निफ्टी और बैंक निफ्टी में प्राइस को जानबूझकर प्रभावित किया.
रिटेल इन्वेस्टर्स का भारी नुकसान
सेबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि FY25 में 91% रिटेल F&O ट्रेडर्स को घाटा हुआ और उनकी कुल हानि ₹1.05 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल के मुकाबले 41% ज्यादा है. सवाल यह है कि क्या जेन स्ट्रीट जैसी कंपनियों की रणनीतियों की वजह से ही रिटेल निवेशकों को इतना नुकसान हुआ?
जेन स्ट्रीट का बचाव
जेन स्ट्रीट ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वे भारतीय रेगुलेटर्स के साथ सहयोग करेंगे. कंपनी का दावा है कि उनके सभी ट्रेडिंग ऑपरेशन्स नियमों के अनुसार और पारदर्शिता के साथ किए गए थे.
अब क्या होगा आगे?
सेबी इस घोटाले के बाद अन्य हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडर्स और प्रोपराइटरी ट्रेडिंग फर्म्स की भी जांच कर रही है. माना जा रहा है कि अब रेगुलेटर कुछ अहम बदलाव कर सकता है, जैसे:
* एक्सपायरी-डे ट्रेडिंग पर सख्त कंट्रोल
* इंडेक्स में अत्यधिक ट्रेडिंग की लिमिट
* अल्गोरिदमिक ट्रेडिंग पर निगरानी और ऑडिट ट्रेल