जेन स्ट्रीट घोटाले का मास्टरमाइंड कौन? माधबी पुरी बुच के लगे बड़े आरोप, क्या पूर्व सेबी प्रमुख खुद खेल रही थीं फायदे का खेल?
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जेन स्ट्रीट घोटाले का मास्टरमाइंड कौन? माधबी पुरी बुच के लगे बड़े आरोप, क्या पूर्व सेबी प्रमुख खुद खेल रही थीं फायदे का खेल?

भारतीय शेयर बाजार इस समय एक गहरे संकट और संदेह के दौर से गुजर रहा है. इस संकट की जड़ में है एक अमेरिकी फर्म जेन स्ट्रीट द्वारा की गई संदिग्ध ट्रेडिंग और उसके पीछे उठते सवाल, क्या भारत की सबसे बड़ी रेगुलेटरी संस्था सेबी(SEBI) खुद एक सट्टा अखाड़ा बन गई थी?

जेन स्ट्रीट घोटाले का मास्टरमाइंड कौन? माधबी पुरी बुच के लगे बड़े आरोप, क्या पूर्व सेबी प्रमुख खुद खेल रही थीं फायदे का खेल?

भारतीय शेयर बाजार इस समय एक गहरे संकट और संदेह के दौर से गुजर रहा है. इस संकट की जड़ में है एक अमेरिकी फर्म जेन स्ट्रीट द्वारा की गई संदिग्ध ट्रेडिंग और उसके पीछे उठते सवाल, क्या भारत की सबसे बड़ी रेगुलेटरी संस्था सेबी(SEBI) खुद एक सट्टा अखाड़ा बन गई थी? और क्या इस अखाड़े की सूत्रधार सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच थीं? यह सवाल जेन स्ट्रीट स्कैंडल के बाद और भी गहरा हो गया है. यह कहानी केवल एक रेगुलेटरी फेल्योर की नहीं, बल्कि पूर्व सेबी चेयरपर्सन मधुबी पुरी बुच के कार्यकाल, उनके फैसलों और उनके खिलाफ लगे पर्सनल फायदों के गंभीर आरोपों की है.

जेन स्ट्रीट नाम की अमेरिकी हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HFT) कंपनी पर आरोप है कि उसने ₹4,843 करोड़ का अनुचित मुनाफा कमाया. हालांकि जी बिजनेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा ₹1 लाख करोड़ तक जा सकता है. सेबी की नई लीडरशिप की प्रारंभिक जांच से यह भी सामने आया है कि यह एक अच्छा प्लान किया हुआ स्कैम था, जिसमें न केवल जेन स्ट्रीट बल्कि 3-4 अन्य विदेशी संस्थाएं भी शामिल थीं. इन सभी कंपनियों ने डेरिवेटिव मार्केट में वीकली ऑप्शंस का इस्तेमाल कर छोटे निवेशकों को घाटे में धकेला, जबकि खुद मोटा मुनाफा कमाया.

वीकली एक्सपायरी: बुच की 'बाजार नीति' या सट्टेबाजों का खेल?
पहले भारतीय डेरिवेटिव बाजार में महीने में एक बार एक्सपायरी होती थी, जिससे अति-सट्टा सीमित रहता था. लेकिन माधबी पुरी बुच के कार्यकाल में वीकली एक्सपायरी की शुरुआत हुई. इस बदलाव ने बड़े एचएफटी और एल्गो ट्रेडर्स को हर हफ्ते मुनाफा कमाने का मौका दे दिया. बाजार में अस्थिरता कई गुना बढ़ गई, जिससे रिटेल इन्वेस्टर्स सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. चौंकाने वाली बात यह रही कि बुच ने एक ओर तो वीकली एक्सपायरी को लागू किया और दूसरी ओर पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर F&O ट्रेडिंग के खतरों पर व्याख्यान देती रहीं. यह दोहरापन आज भी बाजार के विशेषज्ञों को खटक रहा है.

'सिंगापुर कनेक्शन' और निजी हित
यहां सबसे गंभीर आरोप है बुच के निजी हितों का. सूत्रों का कहना है कि उनके सिंगापुर बेस्ड परिवारिक निवेश रूट से कुछ ऐसे फंड्स में निवेश था, जो जेन स्ट्रीट जैसी स्ट्रेटेजी अपनाकर मोटा मुनाफा कमा रहे थे. NSE ने जनवरी 2024 से ही SEBI को संदिग्ध ट्रेडिंग पैटर्न के संकेत देने शुरू कर दिए थे. लगातार फॉलो-अप के बावजूद कोई जांच शुरू नहीं हुई. सूत्रों के अनुसार, माधबी पुरी बुच ने जानबूझकर इस पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि वे स्वयं भी उसी 'गोल्डन गेम' में निवेशित थीं. यह सीधा हितों के टकराव (Conflict of Interest) का मामला है.

यह घोटाला ₹4,800 करोड़ नहीं, ₹1 लाख करोड़ तक का?
SEBI की रिपोर्ट ₹4,843 करोड़ के अनुचित मुनाफे की बात कहती है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह सिर्फ आइसबर्ग का सिरा है. जेन स्ट्रीट और अन्य कंपनियों की संयुक्त मुनाफाखोरी ₹1 लाख करोड़ से ज्यादा हो सकती है. इसमें ज्यादातर नुकसान रिटेल इन्वेस्टर्स को हुआ, जिन्होंने न तो एचएफटा सिस्टम्स लगाए हैं, न इंस्टैंट डेटा एक्सेस. जेन स्ट्रीट जैसे संस्थानों ने वीकली एक्सपायरी के जरिए कम समय में बार-बार मुनाफा बुक किया, जबकि आम निवेशक भ्रम और नुकसान के भंवर में फंस गए.

बुच के कार्यकाल की और भी विवादित कड़ियां
यह पहला मौका नहीं है जब माधबी पुरी बुच पर सवाल उठे हैं.
- हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Adani vs SEBI): रिपोर्ट में शेल कंपनियों और फंड मैनिपुलेशन के आरोप थे, लेकिन SEBI की जांच की धीमी रफ्तार पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं.
- कांग्रेस के आरोप: कांग्रेस ने न केवल बुच की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाए, बल्कि उनकी नीतियों पर भी बार-बार प्रेस कांफ्रेंस कर हमला बोला है.

नए चेयरमैन पांडे का एक्शन और आगे की राह
मार्च 2025 में तुहिन कांता पांडे ने सेबी चेयरपर्सन का कार्यभार संभाला. उन्होंने आते ही हितों के टकराव की समीक्षा के लिए एक पैनल का गठन किया. अब जरूरी है कि एक स्वतंत्र, पारदर्शी और निष्पक्ष जांच हो, जो सिर्फ जेन स्ट्रीट ही नहीं, बल्कि उन सभी संस्थाओं और व्यक्तियों को चिन्हित करें, जिन्होंने सेबी के कंधे पर बंदूक रखकर बाजार को निशाना बनाया.

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