नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा है कि निजी निवेश वैश्विक स्तर पर जारी उथल-पुथल से जुड़ा है. लोग यह भूल गये हैं कि चीन में क्षमता बढ़ती जा रही है. बाजार अर्थव्यवस्था में जब क्षमता उपयोग कम होता है तो निवेश घटता है.
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Niti Aayog: नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा है कि चीन सोच-विचार कर विनिर्माण क्षेत्र में एकाधिकार बढ़ा रहा है और वैश्विक अनिश्चितता का यह भी एक कारण है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यूरोप, ब्रिटेन समेत अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से ‘लोकतांत्रिक बाजार अर्थव्यवस्था’ को बढ़ावा मिलेगा.
विरमानी ने यह भी कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. नीति आयोग के सदस्य ने कहा, "दुनिया में अनिश्चितता बढ़ गयी है. अमेरिका में शुल्क दरों की घोषणा के साथ चीन के कदम से भी अनिश्चितता बढ़ रही है. चीन सोच-विचार कर विनिर्माण क्षेत्र में एकाधिकार बढ़ा रहा है, जिसपर हमारा ध्यान नहीं जाता."
लोग यह भूल गए हैं कि...
निजी निवेश से जुड़े एक सवाल के जवाब में विरमानी ने कहा, "निजी निवेश वैश्विक स्तर पर जारी उथल-पुथल से जुड़ा है. लोग यह भूल गये हैं कि चीन में क्षमता बढ़ती जा रही है... बाजार अर्थव्यवस्था में जब क्षमता उपयोग कम होता है तो निवेश घटता है. यह फ्रांस, ब्रिटेन में देखा जा सकता है. लेकिन चीन में निवेश जारी है. इसका क्या मतलब है? वहां मांग उतनी ही है लेकिन निवेश बढ़ रहा है और क्षमता भी बढ़ रही है."
नीति आयोग के सदस्य के अनुसार, चीन सोच-विचार कर यह कर रहा है. इसीलिए हम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने समेत अन्य उपाय कर रहे हैं. मुक्त व्यापार समझौते कर रहे हैं. यूरोप के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत जारी है और अमेरिका के साथ भी इस पर काम करने पर सहमति बनी है."
विरमानी के अनुसार, "वास्तव में एक नई समस्या खड़ी हो गयी है. लेकिन मेरा ख्याल है कि अगले छह महीने में अनिश्तता कम हो जाएगी और निजी निवेश पटरी पर आने की उम्मीद है."
आर्थिक वृद्धि को लेकर क्या बोले विरमानी
आर्थिक वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर विरमानी ने कहा, "एक तिमाही (चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही) में नरमी आई थी. कई कारण हो सकते हैं. एक कारण दुनिया में अनिश्चितता का बढ़ना है...."
नीति आयोग के सदस्य ने कहा, "यह हो सकता है कि तीन से छह महीने में वैश्विक आर्थिक गतिविधियों को लेकर जो अनिश्चितता कुछ कम हो तो इसका सकारात्मक अप्रत्यक्ष असर हो सकता है. इसके बावजूद मेरा मानना है कि चालू वित्त वर्ष में कम-से-कम 6.5 प्रतिशत वृद्धि होगी."
देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में घटकर 6.2 प्रतिशत रही है. कृषि को छोड़कर खनन, विनिर्माण और अन्य सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन खराब रहने से इसमें सुस्ती आई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पिछले सप्ताह जारी दूसरे अग्रिम अनुमान अनुमान के अनुसार, वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया है.
हालांकि, तिमाही आधार पर आर्थिक वृद्धि दर में सुधार दर्ज किया गया है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रही थी, जो लगभग दो साल का निचला स्तर है.
अमेरिकी टैरिफ पर क्या बोले?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शुल्क बढ़ाकर व्यापार युद्ध शुरू करने के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर विरमानी ने कहा, " हमें इस बात से मतलब है कि वे (अमेरिका) क्या कदम उठाते हैं. अभी इंतजार करना चाहिए. वह जो हर चीज बोलते हैं, उस पर ध्यान देने, टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है. द्विपक्षीय व्यापार समझौते की बात हुई है. यह दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा"
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "वैश्वीकरण 2008 में ऊंचाई पर पहुंचा था. उस समय वित्तीय संकट हुआ. उसके बाद विश्व व्यापार, निर्यात जीडीपी अनुपात में गिरावट का रुख है. वैश्वीकरण में कमी 2009 से शुरू हो चुकी है. यह कोई नई बात नहीं है."
विरमानी ने कहा, "जहां तक मेरा मानना है कि वैश्वीकरण लोकतांत्रिक बाजार अर्थव्यवस्था को बढ़ाता है. एक देश ने जो ज्यादा फायदा उठाया है, उस पर काबू पाने के लिए आपस में समझौता कर लाभ उठा सकते है. इसीलिए यूरोप, ब्रिटेन के साथ एफटीए और अमेरिका तथा अन्य विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता जरूरी है.... अगर इस प्रकार समझौता होता है, जो हमारे बीच वैश्वीकरण का विस्तार होगा. लेकिन यह देशों, उनकी नीतियों पर निर्भर है."
(कॉपी-भाषा)