Success Story: पिता गली-गली बेचते थे सब्जी, मां ने गिरवी रखे गहने, ऐसे क्रैक किया UPSC, 492वीं रैंक के साथ बनी मिसाल
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Success Story: पिता गली-गली बेचते थे सब्जी, मां ने गिरवी रखे गहने, ऐसे क्रैक किया UPSC, 492वीं रैंक के साथ बनी मिसाल

Swati Mohan Rathore: स्वाति मोहन राठौड़ की सफलता की कहानी काफी प्रेरणादायक है, क्योंकि उन्होंने बुनियादी संसाधनों की कमी होने के बावजूद यूपीएससी क्रैक किया. जिनके पिता गली-गली सब्जी बेचकर परिवार का भरण-पोषण किया करते थे.

Success Story: पिता गली-गली बेचते थे सब्जी, मां ने गिरवी रखे गहने, ऐसे क्रैक किया UPSC, 492वीं रैंक के साथ बनी मिसाल

Swati Mohan Rathore Success Story: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) क्रैक करना आसान बात नहीं है, वो भी तब जब आपके पास संसाधनों की कमी हो, लेकिन कहते हैं न जिसने मेहनत का हाथ थाम लक्ष्य को पाने के लिए परिश्रम किया, कामयाबी ने उसके कदम चूमे हैं. हर साल यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा आयोजित की जाती है और कई उम्मीदवार इसमें सफल भी होते हैं, लेकिन असफल होने वाले उम्मीदवारों की तादाद ज्यादा होती है, क्योंकि यूपीएससी सीएसई की परीक्षा सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक हैं. इसलिए इसे क्रैक करने वाले कुछ उम्मीदवारों की जर्नी सभी के लिए एक मिसाल बन जाती है. आइए आपको एक ऐसी ही उम्मीदवार के बारे में बताते हैं. जिन्होंने कई चुनौतियों से लड़ते हुए अपने सपने को पूरा किया

स्वाति मोहन राठौर
हम बात कर रहे हैं स्वाति मोहन राठौड़ की, जो मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर की रहने वाली है. स्वाति के पिता गली-गली घूमकर सब्जियां बेचते थे, जिससे परिवार का किसी तरह गुजारा होता था. वहीं, मां गृहिणी हैं. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने के कारण शुरू से ही स्वाति को पढ़ाई-लिखाई करने में दिक्कत हुई. बुनियादी संसाधनों की कमी रही, लेकिन इसके बावजूद स्वाति ने न सिर्फ सपना देखा बल्कि उसे हकीकत में भी बदला. 

भूगोल में ग्रेजुएशन-पोस्ट ग्रेजुएशन 
स्वाति ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से पूरी की. शुरू से ही स्वाति पढ़ाई-लिखाई में काफी होशियार थी. स्कूलिंग कंप्लीट करने के बाद स्वाति ने भूगोल (Geography) में ग्रेजुएशन और उसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. उनके माता-पिता को भरोसा था कि उनकी बेटी आगे चलकर उनका नाम रौशन करेगी. इसलिए उन्होंने स्वाति के राह में गरीबी की अड़चन न आए, इसके लिए हर संभव प्रयास किया. कॉलेज के दिनों में ही स्वाति ने यूपीएससी सिविल सर्विस के बारे में जानकारियों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. 

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कई बार मिली असफलता
पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद स्वाति ने मन बना लिया था कि वो अब यूपीएससी की तैयारी करेगी, क्योंकि इसी के माध्यम से वो अपने और अपने परिवार वालों के जीवन में बदलाव ला सकती है. कई तरह की परेशानियां होने के बावजूद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. स्वाति के अलावा उनकी तीन बहने और एक भाई हैं. स्वाती ने यूपीएससी का एग्जाम एक के बाद एक लगातार 5 बार दिया और कई बार मिली असफलता के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. एक समय उनके परिवार की स्थिति ऐसी हो गई थी कि उनकी मां को स्वाति की पढ़ाई और परिवार के भरण-पोषण के लिए गहने तक गिरवी रखने पड़े थे, क्योंकि उनके परिवार में कमाने वाले केवल स्वाति के पिता थे. 

लंबे इंतजार के बाद हुई कामयाब 
हालांकि, इतनी मुश्किलें और सालों के संघर्ष के बाद स्वाति और उनके माता-पिता के परिश्रम का उन्हें फल आया. स्वाति ने यूपीएससी सीएसई 2023 की परीक्षा में आल इंडिया रैंक 492वीं हासिल की. स्वाति के संघर्ष से सफलता तक की कहानी न सिर्फ उनके गांव, परिवार और शहर बल्कि हर किसी के लिए एक प्रेरणा है, जो मेहनत के बलबूते जीवन मे अच्छा और अपने सपने को पूरा करने के लिए हर दिन चुनौतियों का सामना करते हैं. 

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दीपा मिश्रा

दीपा ज़ी न्यूज में सब एडिटर. दरभंगा की रहने वाली दीपा मिश्रा ने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत ज़ी न्यूज़ से की. एजुकेशन डेस्क पर काम कर रही हैं. पत्रकारिता के साथ नई जानकारियों को इकट्ठा ...और पढ़ें

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