इसका उद्देश्य तकनीकी आवश्यकताओं को अंतिम रूप देना, खरीद की प्रक्रिया तय करना और उन संभावित आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करना है जो भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी में या विदेशी तकनीकी साझेदारों की मदद से इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण कर सकें.
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रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना और वायुसेना के बेड़े में बदलाव की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. लंबे समय से सेवा में रहे पुराने चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों को अब चरणबद्ध तरीके से हटाने की योजना बनाई गई है. इनकी जगह अब लगभग 200 नए, आधुनिक और हल्के हेलीकॉप्टरों की खरीद की जाएगी, जिन्हें रिकॉनिसन्स एंड सर्विलांस हेलीकॉप्टर (RSH) के नाम से जाना जाएगा. इस प्रस्तावित योजना के तहत भारतीय सेना को 120 और वायुसेना को 80 हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराए जाएंगे. इनका इस्तेमाल खास तौर पर निगरानी, टोही और सीमावर्ती क्षेत्रों में त्वरित प्रतिक्रिया जैसी अहम भूमिकाओं में किया जाएगा.
रक्षा मंत्रालय ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन (RFI) जारी किया है. इसका उद्देश्य तकनीकी आवश्यकताओं को अंतिम रूप देना, खरीद की प्रक्रिया तय करना और उन संभावित आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करना है जो भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी में या विदेशी तकनीकी साझेदारों की मदद से इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण कर सकें. यह पहल 'मेक इन इंडिया' और आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जिससे न सिर्फ सैन्य क्षमता बढ़ेगी बल्कि देश के भीतर रक्षा उत्पादन को भी मजबूती मिलेगी.
रणनीतिक मिशन के लिए होगा इनका उपयोग
भारतीय सेना और वायुसेना के लिए प्रस्तावित नए रिकॉनिसन्स एंड सर्विलांस हेलीकॉप्टर (RSH) न केवल पुराने चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों की जगह लेंगे, बल्कि अपनी आधुनिक क्षमताओं के साथ कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाएंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, ये हेलीकॉप्टर दिन और रात के किसी भी समय काम करने में सक्षम होंगे और इनका उपयोग बेहद विविध और रणनीतिक मिशनों में किया जाएगा.
इन हेलीकॉप्टरों की प्रमुख भूमिका क्या होगी?
इससे पहले मार्च में, भारतीय वायुसेना ने भी यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों और अन्य रक्षा उपकरणों की खरीद की योजना बनाई थी. इस संबंध में संसद में रक्षा मामलों की समिति ने एक रिपोर्ट पेश की थी. रिपोर्ट में 2025-26 के लिए तय खरीद योजनाओं में कई अहम रक्षा प्रणालियां शामिल हैं, जैसे-
इन योजनाओं से स्पष्ट है कि भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को व्यापक रूप से आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। नए हेलीकॉप्टर न केवल सेना की ताकत को बढ़ाएंगे, बल्कि विभिन्न परिस्थितियों में लचीलापन और तेजी से प्रतिक्रिया देने की क्षमता भी देंगे।
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वायुसेना और भारतीय सेना को दिए जाएंगे अपडेटेड हेलीकॉप्टर
भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से 156 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) की खरीद को मंजूरी दे दी है. इस सौदे की कुल लागत 45,000 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है. इन अपडेटेड हेलीकॉप्टरों को भारतीय सेना और वायुसेना के बीच बांटा जाएगा और इनका उपयोग चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर परिचालन अभियानों में किया जाएगा. LCH को खासतौर पर ऊंचे दुर्गम इलाकों और युद्धक्षेत्रों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो इसे सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहद उपयोगी बनाता है.
इस फैसले के प्रमुख प्रभाव
रक्षा मंत्रालय ने साफ किया है कि भारतीय वायुसेना अब विदेशी खरीद पर निर्भरता घटाकर स्वदेशी रक्षा उत्पादों जैसे फाइटर जेट, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, ट्रेनर विमान, हेलीकॉप्टर, मिसाइल सिस्टम, ड्रोन और रडार की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है. यह फैसला न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा को नया बल देगा, बल्कि भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन हब बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
भारत अब रक्षा के क्षेत्र में बनेगा आत्मनिर्भर
सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला भारत की रक्षा नीति और रणनीतिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम मोड़ साबित होगा. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से 156 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी न सिर्फ सैन्य बलों की ताकत बढ़ाएगी, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को भी गति देगी. इस परियोजना के ज़रिए देश में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे और एयरोस्पेस व रक्षा निर्माण क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी। रक्षा उत्पादन में घरेलू क्षमताओं को प्राथमिकता देना भारत को दीर्घकालिक रूप से न केवल सुरक्षित, बल्कि तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर भी बनाएगा.
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