धराली की बहन- मुखबा के भाई: रक्षा बंधन तो बहुत देखे होंगे लेकिन आंखों में आंसू ला देगी कहानी
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धराली की बहन- मुखबा के भाई: रक्षा बंधन तो बहुत देखे होंगे लेकिन आंखों में आंसू ला देगी कहानी

रक्षाबंधन पर एक से बढ़कर एक भाई-बहन की तस्वीरें आपने देखी होंगी लेकिन आज जो तस्वीर हम आपको दिखाने जा रहे हैं वो भावुक कर सकती है. 

धराली की बहन- मुखबा के भाई: रक्षा बंधन तो बहुत देखे होंगे लेकिन आंखों में आंसू ला देगी कहानी

उत्तरकाशी में सैलाब की तबाही के बीच एक कहानी रक्षाबंधन की भी आई है. रक्षा बंधन की आपने तस्वीरें तो कई देखी होंगी लेकिन ये तस्वीर आपको भावुक कर देगी. उत्तरकाशी के धराली गांव में रहने वाली इस बहन ने कभी नहीं सोचा था कि पानी का बहाव खंजर से भी भयानक मंजर दिखा देगा. 5 अगस्त को इनके गांव की खीरगंगा नदी में ऐसा सैलाब आया कि जो था, बह गया, नहीं था, वो भी सब गया! बेघर हो चुकी ये बहन अब तक सदमे में है. यह विश्वास नहीं कर पा रही है कि वो सही-सलामत है.

धराली की बहन सुनीता पंवार ने जीवन का इतना क्रूर और कठोर रूप देखा कि कोमल धूप की कल्पना न थी लेकिन समेश्वर भगवान ने इस बहन की रक्षा की. भाई राजेश राणा आपदा के बाद बेघर हो चुकी अपनी बहन के पास राखी लेकर आया, भाई-बहन के रिश्ते का बंधन निभाया. इस घटना ने बहन को यह आभास दिलाया, भाग्य पल भर के लिए भले रुठा है, आस्था का आकाश नहीं टूटा है.

पड़ोस में ही मुखबा गांव है, जहां सुनीता पंवार के भाई राजेश राणा रहते हैं. धराली की ये बहन और मुखबा के ये भाई आज रक्षाबंधन मना रहे हैं. एक दूसरे से लिपट कर रो रहे हैं. भाई इसलिए खुश हैं कि उनकी बहन जिंदा है. बहन इसलिए खुश है कि वो जिंदा है, इसलिए रक्षाबंधन मनाने का आज मौका है. वरना भाई आज त्योहार क्या मनाता, बस शोक मना रहा होता.

भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना

भाई ने 5 अगस्त को अपने गांव से धराली के सैलाब की तबाही देखी और भगवान से अपनी बहन की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हुए रात गुजारी. बहन सुरक्षित मिली. रक्षा बंधन का त्योहार आया तो भगवान समेश्वर का धन्यवाद करते हुए दोनों गले मिले, आंखों से बूंदें गिरीं. बचपन की कुछ स्मृतियां उन बूंदों में तैर गईं, कानों में वो गीत की पंक्ति गूंज गई. भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना, भइया मेरे छोटी बहन को न भुलाना.

धराली में घटी दर्दनाक घटना

उत्तरकाशी जिले के धराली में 5 अगस्त को दोपहर 1.45 बजे बादल फट गया था. खीर गंगा नदी में बाढ़ आने से 34 सेकेंड में धराली गांव जमींदोज हो गया था. अब तक 5 मौतों की पुष्टि हो चुकी है. 100 से 150 लोग लापता हैं, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.

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ताहिर कामरान

पत्रकारिता की रहगुज़र पर क़दम रखते हुए 2015 में एक उर्दू अख़बार से अपने सफ़र का आग़ाज़ किया. उर्दू में दिलचस्पी और अल्फ़ाज़ की मोहब्बत धीरे-धीरे पेशे में ढल गई. उर्दू के बाद हिंदी-पंजाबी अख़बारों म...और पढ़ें

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