Nathu La Border Trade: नाथू ला सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने की मांग काफी दिनों से चल रही थी. इसको लेकर राज्यसभा सांसद दोरजी शेरिंग लेप्चा ने केंद्र से कई सवाल पूछे थे. अब इस पर केंद्र सरकार ने जवाब दिया है. राज्यसभा सदस्य दोरजी शेरिंग लेप्चा के सवालों के जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने एक लिखित जवाब पेश किया है.
Trending Photos
Nathu La Border Trade: नाथू ला सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने की मांग लंबे वक्त से उठ रही है. यह दर्रा भारत और चीन के बीच ऐतिहासिक तिजारती रास्ते में से एक है, जो सिक्किम में मौजूद है और 2006 से सीमा व्यापार के लिए खोला गया था. इसी मुद्दे पर राज्यसभा सांसद दोरजी शेरिंग लेप्चा ( Dorjee Tshering Lepcha ) ने केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे थे. हाल ही में इन सवालों का जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ( Kirti Vardhan Singh ) ने बताया कि भारत और चीन के बीच मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत सीमा व्यापार के लिए तीन रास्ते तय हैं. उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा (1992 से), हिमाचल प्रदेश में शिपकी ला दर्रा (1995 से) और सिक्किम में नाथू ला दर्रा (2006 से).
In response to Rajya Sabha MP Dorjee Tshering Lepcha's questions to the Minister of External Affairs on the resumption of Nathu La border trade, MoS MEA Kirti Vardhan Singh submitted a written reply saying, "(a to d) The existing bilateral arrangements designate three points for… pic.twitter.com/Qrel9KDeBB
— ANI (@ANI) August 8, 2025
उन्होंने कहा कि 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान इन सभी रास्तों से व्यापार पूरी तरह बाधित हो गया था और तब से अब तक इसे दोबारा शुरू नहीं किया गया है. हालांकि, भारत सरकार इन ट्रेड रूट्स के जरिए से व्यापार बहाल करने के लिए चीनी पक्ष के साथ बातचीत कर रही है.
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अपने लिखित जवाब में कहा, '( A to D) मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्था भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार करने के लिए तीन बिंदु निर्धारित करती है. उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा (1992 से), हिमाचल प्रदेश में शिपकी ला दर्रा (1995 से), और सिक्किम में नाथू ला दर्रा (जुलाई 2006 से). हालांकि, 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान, इन सभी बिंदुओं के जरिए से व्यापार बाधित हो गया था और तब से इसे फिर से शुरू नहीं किया गया है. भारत सरकार ने इन सभी ट्रेड रूट्स के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने की सुविधा के लिए चीनी पक्ष के साथ बातचीत की है.'
जब भारतीय सेना ने चीनी सेना के करीब 400 जवान मार गिराए थे
9 दिसंबर, 2022 को चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के सैनिक के 300 जावनों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में गुस्ताखी की. इसके बाद एक बार फिर एलएसी पर झड़प हुई. जून 2020 के बाद पहली बार चीन ने ऐसी हरकत की थी. उस वक्त भी गलवान में भारतीय सेना ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया था. चीन को याद रखना चाहिए कि साल 1967 से ही भारतीय सेना उसे हराने में सक्षम है. सितंबर 1967 में सिक्किम के नाथू ला में हुए टकराव में भारतीय सेना ने जो साहस दिखाया वो हमेशा के लिए दर्ज हो गया. भारतीय सेना ने चीनी सेना के करीब 400 जवान मार गिराए थे. यहां तक कि चीन ने अपने सैनिकों के डेड बॉडी लेने में भी हिचक दिखाई थी.
यह भी पढ़ें:- साउथ चाइना सी में भारत की हुंकार, चीन को लग गई मिर्ची, मिमियाते हुए देने लगा ये दुहाई