Rajnath Singh Full Speech 10 Points: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को संसद के निचले सदन (लोकसभा) में ऑपरेशन सिंदूर पर बहुप्रतीक्षित चर्चा की शुरुआत की. उन्होंने इस सैन्य अभियान को 'ऐतिहासिक' बताते हुए उन सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जो देश के लिए अपने प्राण देने को हमेशा तैयार रहे. इस खबर में आपको राजनाथ सिंह के जरिए दिए गए भाषण की मुख्य बातें 10 प्वाइंट्स में बताने जा रहे हैं.
- पीएम मोदी ने दी खुली छूट: रक्षा मंत्री ने बताया कि हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की और निर्णायक कार्रवाई की पूरी छूट दी. इसके बाद हमारी सेना ने आतंकियों को उनके ठिकानों में घुसकर मार गिराया.
- 22 मिनट में पाकिस्तान को सिखाया सबक: उन्होंने कहा,'सेना ने हमारे देश की माताओं और बहनों के सिंदूर का बदला लिया है. यह सिंदूर अब सिर्फ एक प्रतीक नहीं, बल्कि शौर्य की गाथा बन चुका है.' सिंह ने कहा,'मैं बेहद सावधानी से कह रहा हूं, इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकवादी और उनके हैंडलर मारे गए हैं. वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है, लेकिन हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी संख्या गलत न बताई जाए.' मारे गए आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े थे. हमारी सेना की तरफ से चलाया गया ऑपरेशन सिर्फ 22 मिनट में पूरा हो गया था.
- रामायण की चौपाई का किया जिक्र: राजनाथ सिंह ने बताया कि हमारी सेना के जरिए की गई कार्रवाई पूर्णरूप से जवाबी कार्रवाई थी. पाकिस्तान की तरफ से किए गए हमले के बाद भारतीय सेना ने जवाब दिया है. उन्होंने तुलनात्मक रूप में रामायण की चौपाई का जिक्र करते हुए कहा,'जिन मोहि मारा, तिन मोहि मारे...' यानी हमने सिर्फ जवाबी कार्रवाई की. हालांकि पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर हमला किया लेकिन भारत ने इन सभी हमलों को नाकाम कर दिया.
- फिर हो सकता है ऑपरेशन: रक्षा मंत्री ने अपने भाषण में पाकिस्तान को एक बार फिर ललकारते हुए कहा कि भविष्य में उसकी तरफ से कोई भी दुस्साहस या उकसावे की कार्रवाई करने पर ऑपरेशन सिंदूर तुरंत फिर से शुरू करना होगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा युद्ध विराम की पेशकश के बाद ऑपरेशन रोकने पर सहमति जताई थी, लेकिन यह कमजोरी की अलामत नहीं है.
- भारत ने क्यों किया युद्ध विराम? उन्होंने कहा कि हम युद्ध विराम को लेकर इसलिए राजी हो गए थे क्योंकि संघर्ष के पहले और उसके दौरान जो भी राजनीतिक और सैन्य लक्ष्य तय किए गए थे उसे हम पूरी तरह से हासिल कर चुके थे. इसलिए यह कहना कि ऑपरेशन किसी दबाव में रोका गया था यह बेबुनियाद और सरासर गलत है.
- हमने शांति के लिए अलग रास्ता अपनाया: राजनाथ सिंह ने कहा,'हमारी सरकार ने भी पाकिस्तान के साथ शांति कायम करने के लिए कई कोशिशें कीं लेकिन बाद में 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक और 2025 के ऑपरेशन सिंदूर के जरिए हमने शांति स्थापित करने के लिए एक अलग रास्ता अपनाया है. नरेंद्र मोदी सरकार का रुख स्पष्ट है. बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते.'
- इंदिरा सरकार की तारीफ की: राजनाथ सिंह ने कहा,'जब हमने 1971 की जंग में पाकिस्तान को सबक सिखाया था, मैं उस समय की सरकार को बधाई देता हूं. हमने तब अपने राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की प्रशंसा की थी. हमने यह नहीं देखा कि वह किस पार्टी की सरकार थी या क्या विचारधारा थी. हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में उस समय के नेतृत्व की प्रशंसा की थी. हमने यह नहीं पूछा कि उन्हें(पाकिस्तान) सबक सिखाते समय कितने भारतीय विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए, कितने उपकरण बर्बाद हुए, हमने तब भी यह सवाल नहीं पूछा.'
- अटल सरकार का भी किया जिक्र: रक्षा मंत्री ने कहा,'जब अटल जी प्रधानमंत्री थे तब पाकिस्तान के साथ कंपोजिट डायलॉग के लिए भारत की शर्त थी कि पाकिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए नहीं करेगा, जिसे पाकिस्तान ने भी मान लिया था लेकिन दुर्भाग्य से 2009 में शर्म-अल-शेख (समझौते) में तत्कालीन सरकार ने एक बड़ी भूल की. जब कंपोजिट डायलॉग प्रोसेस से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को अलग कर दिया गया. यानी बातचीत जारी रखने के लिए पाकिस्तान के जरिए अपनी जमीन को आतंकवाद के लिए प्रयोग ना करने की शर्त को ही खत्म कर दिया गया. मैं मानता हूं यह भारत की रणनीतिक निर्धारण को कमजोर कर देने वाला कदम था.'
- शेर-मेंढक की मिसाल भी दी: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा,'युद्ध उन लोगों के खिलाफ किया जाना चाहिए जो हमारे समान स्तर पर हैं. गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि प्रेम और शत्रुता समान स्तर पर होनी चाहिए. अगर शेर मेंढक को मार देता है, तो यह बहुत अच्छा संदेश नहीं देता है. हमारे सशस्त्र बल शेर हैं.'
- अब हमने सुदर्शन चक्र उठा लिया है: हमने भगवान कृष्ण से सीखा है कि अंत में, 'धर्म' की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र उठाना आवश्यक है. हमने 2006 के संसद हमले, 2008 के मुंबई हमले देखे और अब हमने कहा है कि बहुत हो गया और सुदर्शन चक्र उठा लिया.'