Operation Mahadev: पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले (Pahalgam Terrorist Attack) से जुड़ा एक सैटेलाइट फोन, काफी समय से बंद पड़ा था यानी यूज में नहीं था. दो दिन पहले उसी फोन में हलचल देखी गई यानी फोन जैसे ही एक्टिव हुआ, उसके बाद श्रीनगर (Srinagar Encounter) के दाचीगाम जंगल में सेना और सुरक्षाबलों ने सर्च अभियान शुरू किया और कामयाबी हासिल की.
Trending Photos
Operation Mahadev inside story: भारत की 140 करोड़ आबादी का सीना छलनी करने वाले पहलगाम आतंकवादी हमले की जांच जारी है. जांच से जुड़े नए-नए अपडेट सामने आ रहे हैं. तमाम जांच पड़ताल के बीच जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आज पहलगाम हमले का बदला लेते हुए श्रीनगर में एक मुठभेड़ में मास्टरमाइंड सुलेमान शाह उर्फ हाशिम मूसा को मार गिराया. ऑपरेशन महादेव नाम से शुरू हुए इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए, जिसकी योजना करीब 14 दिनों तक बनाई गई. जानकारी के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का आतंकवादी सुलेमान शाह, पाकिस्तानी फौज की स्पेशल यूनिट स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का पूर्व कमांडो है, जो आतंकवादी हाफिज सईद के लश्कर ए तैयबा में भर्ती होकर अपनी दहशत की दुकान चला रहा था.
ऑपरेशन नहीं 'मिशन' के दौरान मिला इनपुट
सेना और भारत के सुरक्षा बल पहलगाम आतंकी हमलों से जुड़े पूरे नेटवर्क को खंगाल रहे थे. इसी दौरान भारत की टॉप सिक्योरिटी एजेंसियां 22 अप्रैल के बाद से एक कम्युनिकेशन डिवाइस की पड़ताल कर रही थं. फौज और सुरक्षाबल अपने हथियारों के साथ दुश्मनों को ढेर करने के लिए एकदम तैयार थे. तभी अचानक एक्टिव हुई एक सैटेलाइट कॉल ने भारतीय क्षेत्र में खतरे की घंटी बजा दी. उस कॉल से मिला इनपुट डेवलप करने के बाद मिली जानकारी और पुख्ता करने के बाद सोमवार को दाचीगाम के जंगलों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया.
लोकेशन हुई ट्रेस
पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों ने कथित तौर पर चीन में संचार उपकरण बनाने वाली बड़ी कंपनी 'हुआवेई' का सैटेलाइट फोन इस्तेमाल किया था, हालांकि आतंकवादी ने हमले के बाद से उस उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया गया था. हालांकि, फोन पर नजर रखने वाली खुफिया एजेंसियों ने पाया कि दो दिन पहले इस उपकरण से एक कॉल की गई थी. बाद में, उस सैटेलाइट फोन की लोकेशन दाचीगाम के जंगल के काफी अंदर ट्रैक हुई जहां आसपास कोई मानव बस्ती नहीं थी.
14 दिन, महादेव पीक और एक मिशन...ऑपरेशन महादेव की योजना ऐसे बनी
इस ऑपरेशन का नाम जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में महादेव चोटी के नाम पर रखा गया था. आतंकवादी महादेव चोटी की तलहटी में घने जंगलों में छिपे हुए थे. सुरक्षा बल लगातार जंगल में गश्त करने के साथ आतंकवादियों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी भी कर रहे थे. इसी दौरान जुलाई की शुरुआत में सेना को एक संदिग्ध कम्युनिकेशन इनपुट यानी सैटेलाइट कॉल का पता चला.
सुरक्षा बलों को एक चीनी अल्ट्रा-रेडियो की हलचल में कुछ बातचीत होने का पता चला, जिसके बाद यह ऑपरेशन चलाया गया. आपको बताते चलें कि लश्कर-ए-तैयबा एन्क्रिप्टेड संदेशों के लिए चीनी रेडियो का इस्तेमाल करता है. सुरक्षा बलों ने दाचीगाम के जंगलों पर निशाना साधा, जहां पहलगाम के आतंकवादियों के छिपे होने का अंदाजा लगाया जा रहा था. ऐसा इसलिए था क्योंकि ये चोटी काफी ऊंचाई पर है, जहां कथित तौर पर आतंकवादियों को जंगल युद्ध (Jungle War) का प्रशिक्षण दिया जाता है.
आतंकवादियों की पहचान होनी बाकी
हालांकि एजेंसियां सोमवार को दाचीगाम मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों की पहचान नहीं कर पाई हैं, लेकिन उनमें से एक की पहचान पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा के रूप में हुई है. माना जा रहा है कि ये सभी आतंकवादी, पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा पहले गिरफ्तार किए गए परवेज और बशीर अहमद के रूप में पहचाने गए दो शरणार्थियों ने भी कहा कि पहलगाम आतंकी हमले में तीन पाकिस्तानी लश्कर आतंकवादी शामिल थे.
जम्मू-कश्मीर के सैन्य अफसरों का कहना है कि मारे गए आतंकवादियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन फोटोग्राफी पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है. मारे गए आतंकवादी की पहचान के लिए ये तस्वीरें गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों को दिखाई जाएंगी.
दाचीगाम मुठभेड़
सुरक्षा बलों ने सोमवार को श्रीनगर के पास दाचीगाम जंगल के ऊपरी इलाकों में तीन आतंकवादियों को मार गिराया, जब दिन में इलाके में गोलियों की आवाजें सुनी गईं. शीर्ष खुफिया सूत्रों ने पुष्टि की है कि मारे गए तीनों आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े विदेशी नागरिक थे. श्रीनगर स्थित सेना की चिनार कोर ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया, 'ऑपरेशन महादेव' जारी है.