ट्रेन के डिब्बे की तरह हो गया रिजर्वेशन... महाराष्ट्र निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर CJI सख्त, कही ये बात
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ट्रेन के डिब्बे की तरह हो गया रिजर्वेशन... महाराष्ट्र निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर CJI सख्त, कही ये बात

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि रिजर्वेशन अब ट्रेन के एक कंपार्टमेंट की तरह हो गया है. लोग खुद तो जनरल डिब्बे में चढ़ जाते हैं लेकिन दूसरों को रोकते हैं. 

ट्रेन के डिब्बे की तरह हो गया रिजर्वेशन... महाराष्ट्र निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर CJI सख्त, कही ये बात

Supreme Court or Reservation: आरक्षण से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने मंगलवार को बड़ी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि देश के अंदर जाति आधारित रिजर्वेशन की हालत ट्रेन के एक ऐसे डिब्बे की तरह हो गई है कि उसमें चढ़ने वाले ये नहीं चाहते कि उस डिब्बे में और लोग भी आएं. देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को रिजर्वेशन देने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

खुद तो जनरल डिब्बे में चढ़ जाता है लेकिन...

दिलचस्प बात यह है कि जस्टिस बीआर गवई ने भी इसी तरह की ट्रेन डिब्बे वाली बात अपनी पिछली टिप्पणी में कही थी. उन्होंने कहा था कि जैसे कोई व्यक्ति ट्रेन के जनरल डिब्बे में घुसने के लिए संघर्ष करता है, लेकिन अंदर घुसने के बाद दूसरों को रोकता है, वैसा ही हाल कुछ रिजर्वेशन वाली जातियों का भी हो गया है. यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया है. इससे सरकार को यह जानने में मदद मिलेगी कि कौन-कौन से वर्ग हकीकत में पिछड़े हैं और उन्हें उचित लाभ कैसे दिया जा सकता है.

2021 में अध्यादेश पर लगाई थी रोक

महाराष्ट्र में आखिरी स्थानीय चुनाव 2016-17 में हुए थे. इसके बाद से ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर कानूनी विवादों के चलते चुनाव नहीं हो सके. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में महाराष्ट्र सरकार का 27 फीसद ओबीसी रिजर्वेशन लागू करने वाले अध्यादेश को रद्द कर दिया था. अदालत ने कहा था,'ओबीसी रिजर्वेशन के लिए तीन शर्तें पूरी होनी चाहिए.'

  • एक आयोग बने जो यह जांच करे कि कौन-कौन सी जातियां स्थानीय स्तर पर पिछड़ी हैं.

  • आयोग की सिफारिशों की बुनियाद पर तय किया जाए कि किस स्थानीय निकाय में कितना रिजर्वेशन होना चाहिए.

  • एससी/एसटी/ओबीसी सभी मिलाकर आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

डेटा का इस्तेमाल नहीं कर रही सरकार

हालांकि अब तक डेटा इकट्ठा करने और कानूनी अड़चनों की वजह से चुनाव नहीं हो पाए हैं. इसी को लेकर सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने अदालत में कहा कि राज्य सरकार ने चुनाव हल्कों में ओबीसी की पहचान तो की है लेकिन उस डेटा का चुनाव में इस्तेमाल नहीं कर रही. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार बिना चुनाव कराए अपने पसंदीदा अधिकारियों से स्थानीय निकाय चला रही है.

'कुछ ही लोग रिजर्वेशन का फायदा उठा रहे हैं'

वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि ओबीसी के अदर भी राजनीतिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े लोगों की पहचान होनी चाहिए, ताकि रिजर्वेश का सही फायदा मिल सके. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सरकारों की जिम्मेदारी कि और ज्यादा पिछड़े वर्गों की पहचान करे. कुछ ही परिवार और समूह बार-बार रिजर्वेशन का फायदा उठा रहे हैं, बाकी वंचित रह जाते हैं.

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