Telangana Tree Felling Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार ( 3 अप्रैल ) तेलंगाना सरकार के चीफ सेक्रेटरी को ‘जेल भेजने’ की चेतावनी दी. कोर्ट ने हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली इलाके में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर भी चीफ सेक्रेटरी को कड़ी फटकार लगाई और कई सवाल पूछे. चलिए जानते हैं पूरा मामला?
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Telangana Tree Felling Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली में अथॉरिटीज द्वारा किए गए फॉरेस्ट की कटाई के लिए तेलंगाना सरकार के चीफ सेक्रेटरी को कड़ी चेतावनी जारी की. कोर्ट ने 04 मार्च को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को वन क्षेत्रों की पहचान के लिए एक्सपर्ट्स कमेटियों का गठन करने का आदेश दिया था और यह भी साफ किया था कि फॉरेस्ट लैंड में कमी समेत किसी भी चूक के लिए चीफ सेक्रेट जिम्मेदार होंगे. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने तेलंगाना सरकार द्वारा एक्सपर्ट्स कमेटी गठित करने के कुछ ही दिनों बाद, और पहचान की प्रक्रिया शुरू किए बिना, कांचा गाचीबोवली में वनरोपण शुरू करने की 'चिंताजनक जल्दबाजी' पर भी सवाल उठाया.
जस्टिस गवई ने टिप्पणी की, 'मुख्य सचिव झील के पास उसी स्थान पर बने अस्थायी जेल में जाएंगे...अगर मुख्य सचिव राज्य के आतिथ्य का आनंद लेना चाहते हैं, तो कोई उनकी मदद नहीं कर सकता.' कोर्ट ने यह भी कहा कि 'यह बहुत गंभीर मामला है. आप कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते.'
सुप्रीम कोर्ट ने लिया खुद संज्ञान
आज सुबह सुप्रीम कोर्ट ने साइट पर वनों की कटाई की रिपोर्टों पर स्वतः संज्ञान लिया और तेलंगाना सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वहां आगे पेड़ों की कटाई न हो. कोर्ट ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को तत्काल घटनास्थल का दौरा करने और शीर्ष न्यायालय को अंतरिम स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया. इसके बाद अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और मामले की सुनवाई अपराह्न 4 बजे फिर से शुरू होने से पहले रिपोर्ट पेश की.
रिपोर्ट में हुआ ये खुलासा
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि फॉरेस्ट एरिया में विकास कार्य किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा, 'एल.डी. रजिस्ट्रार (न्यायिक) की रिपोर्ट और उनके द्वारा भेजी गई तस्वीरों में भयावह तस्वीर दिखाई गई है. बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है, इसके अलावा लगभग 100 एकड़ क्षेत्र को नष्ट करने के लिए बड़ी मशीनरी का इस्तेमाल किया जा रहा है. रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि उक्त क्षेत्र में कुछ मोर, हिरण और पक्षी भी देखे गए थे'. इसने यह भी उल्लेख किया कि साइट के पास एक झील है. इसके बाद कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करने का आदेश दिया और कई निर्देश जारी किए.
कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से किए ये सवाल
Bar And Bench के मुताबिक, चीफ सेक्रेटरी को कई सवालों के जवाब देने के लिए कहा है, जिनमें कथित फॉरेस्ट एरिया से पेड़ों को हटाने सहित विकासात्मक गतिविधि शुरू करने की क्या अनिवार्य आवश्यकता थी? क्या ऐसी विकास गतिविधि के लिए राज्य ने पर्यावरण प्रभाव आकलन प्रमाणपत्र मांगा है. क्या पेड़ों को काटने के लिए फॉरेस्ट अधिकारियों या किसी अन्य स्थानीय कानून के तहत अपेक्षित अनुमति ली गई है या नहीं? तेलंगाना राज्य के आदेशों के तहत गठित समिति में क्रम संख्या 3, 4, 5, 6 और 10 के अधिकारियों को रखने की क्या आवश्यकता है? मुख्य चुनाव आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से संबंधित साइट का दौरा करना चाहिए और 16 अप्रैल तक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए. वहीं, अगले आदेश तक पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा के अलावा किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि राज्य द्वारा नहीं की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने आगे चेतावनी दी कि अगर उसके निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो राज्य के चीफ सेक्रेटरी व्यक्तिगत रूप से इसके लिए जिम्मेदार होंगे. गौरतलब है कि, बेंच ने आज इस मुद्दे पर तब ध्यान दिया जब वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर, जो पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर टी.एन. गोदावर्मन ने फॉरेस्ट एरिया में पेड़ों की कटाई से संबंधित समाचार रिपोर्टों से न्यायालय को अवगत कराया. दोनों इस मामले में न्यायमित्र हैं.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह मामला कांचा गाचीबोवली गांव में 400 एकड़ भूमि से संबंधित है, जिसे राज्य आईटी अवसंरचना विकसित करने के लिए तेलंगाना औद्योगिक अवसंरचना निगम (टीजीआईआईसी) के माध्यम से नीलाम करने का प्रस्ताव कर रहा है. हालांकि, इस कदम का राज्य में जमकर विरोध हो रहा है. विरोध करने वालों का तर्क है कि यह क्षेत्र एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र है जो हैदराबाद शहर के 'फेफड़ों' के रूप में काम करता है. इस कदम का कड़ा विरोध करने वालों में सबसे प्रमुख हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र हैं. हाल ही में विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्र और पुलिस में झड़प भी हुई थी. रिपोर्टों के अनुसार, दो पूर्व छात्रों को भी गिरफ्तार किया गया था.