RSS Nagpur News: सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा, 'समाज में बिना वजह झगड़ा ठीक नहीं है. इससे शांति और सौहार्द दोनों प्रभावित होते हैं. एक दूसरे के साथ सद्भावना और सदविचार से रहना यह आवश्यक है. देश के नाते, समाज के नाते हम एक हैं. संघ किसी का विरोध करने में विश्वास नहीं करता है .
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Mohan Bhagwat Statement: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन समारोह के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के स्वयंसेवकों को संबोधिक करते हुए पूरे देश को शांति और खुशहाली बनाए रखने का मंत्र दिया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अरविंद नेताम रहे, जिन्होंने संघ के स्वयंसेवकों को अपने लंबे सार्वजनिक जीवन के अनुभवों से रूबरू कराया. संघ प्रमुख भागवत ने कहा, 'संघ किसी का विरोध करने में विश्वास नहीं करता है'.
संघ के 100 साल और 'भागवत' मंत्र
सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा, 'समाज में बिना वजह झगड़ा ठीक नहीं है. इससे शांति और सौहार्द दोनों प्रभावित होते हैं. एक दूसरे के साथ सद्भावना और सदविचार से रहना यह आवश्यक है. देश के नाते, समाज के नाते हम एक हैं. संघ किसी का विरोध करने में विश्वास नहीं करता है और उसे विश्वास है कि किसी दिन संघ के कार्य का विरोध करने वाला कोई भी व्यक्ति संघ में शामिल हो जाएगा. पिछले 100 वर्षों में राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के आंदोलन के रूप में संघ ने उपेक्षा और उपहास से जिज्ञासा और स्वीकार्यता का सफर पूरा किया है'.
आतंकवाद का खतरा कब तक रहेगा?
मोहन भागवत ने कहा, 'हमें अपनी सुरक्षा के मामले में ‘स्व’ निर्भर होना चाहिए. पहलगाम में जो नृशंस घटना हुई. उसके बदले में कुछ कार्यवाही हुई. उसमें अपनी सेना की वीरता फिर से चमक उठी. शासन प्रशासन की दृढ़ता भी दिखी. राजनीतिक वर्ग में भी आपसी सूझबूझ दिखाई दी. समाज ने भी अपनी एकता का संदेश दिया. यह सभी बातें और भाव चिरस्थाई रहना चाहिए. जब तक द्विराष्ट्रवाद का भूत क़ायम है तब तक आतंक का खतरा बना रहेगा.'
मोहन भागवत ने कहा, 'कार्यकर्ता विकास वर्ग स्वयंसेवकों के लिए उनकी समझ, क्षमता और सामर्थ्य बढ़ाने के लिए एक प्रशिक्षण शिविर है. फिर वे राष्ट्रीय जीवन के विभिन्न आयामों में राष्ट्र निर्माण, चरित्र निर्माण और समाज को संगठित करने में समय और प्रयास लगाते हैं.
धर्मांतरण की समस्या कैसे दूर होगी?
इस आयोजन के दौरान देश में धर्मांतरण की समस्या पर मंथन हुआ. इस विषय को लेकर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने कहा, 'संघ और समाज मिलकर ही इस कन्वर्जन की समस्या का निदान कर सकते हैं. हम सभी यहीं के हैं, इसी माटी के हैं, कोई बाहर का नहीं है. धर्मांतरण बड़ी चुनौती है. संघ से बड़ी अपेक्षा है. इसमें संघ को रफ़्तार बढ़ानी होगी. बस्तर नक्सल और धर्मांतरण से जूझ रहा है. मैं संघ और सरसंघचालक को आभार व्यक्त करना चाहता हूँ कि मुझे मुख्य अतिथि के रूप में सम्मान दिया. मैं पहली बार आया हूं. यहां मुझे बहुत कुछ समझने के लिए मिला. ये संघ का शताब्दी वर्ष है. संघ ने देश की एकता अखंडता और समरसता के लिए बहुत बड़ा काम किया है.'