अमेरिका भारत से आने वाली दवाओं पर 250 प्रतिशत टैरिफ लगाना चाहता है. इसके बावजूद कि भारत की सस्ती दवाएं अमेरिका में महंगी हो जाएंगी और इससे अमेरिकी हेल्थ सिस्टम पर सालाना 20 लाख करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इन दिनों नोबेल पुरस्कार पाने का जुनून सवार है. व्हाइट हाउस तक दावा कर चुका है कि ट्रंप को शांति का नोबेल मिलना चाहिए. लेकिन ट्रंप का यह बुखार कहीं अमेरिका की सेहत ही न बिगाड़ दे! ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हाल ही में ट्रंप ने भारत से आने वाली दवाओं पर 250% टैरिफ लगाने की धमकी दी है.
उनका कहना है कि अमेरिका अब दवाओं के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रह सकता, और इन्हें अमेरिका में ही बनाना चाहिए. लेकिन ट्रंप की ये सोच, और ये धमकी उनके देशवासियों के स्वास्थ्य को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है. भारत के बिना अमेरिका की फार्मेसी अधूरी है. ऐसे में इस सच्चाई को नजरअंदाज करना अमेरिका की सेहत से खिलवाड़ करने जैसा है.
भारत-अमेरिका दवा व्यापार
भारत इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक दवाओं का उत्पादक है. अमेरिका में उपयोग होने वाली 47% जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं. वित्तीय वर्ष 2024 में भारत ने अमेरिका को करीब 8.7 अरब डॉलर (76,000 करोड़ रुपये) की दवाएं निर्यात की थीं. 2025 में यह आंकड़ा बढ़कर 87,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो भारत के कुल दवा निर्यात का 34.5% हिस्सा है.
भारत से ही जाती है कैंसर डायबिटीज की दवाएं
भारत अमेरिका को डायबिटीज, कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य, हार्ट, कोलेस्ट्रॉल और न्यूरोलॉजी से जुड़ी कई आवश्यक दवाएं भेजता है. ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी अगर जमीन पर उतरी, तो भारत की सस्ती दवाएं अमेरिका में महंगी हो जाएंगी और इससे अमेरिकी हेल्थ सिस्टम पर सालाना 20 लाख करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है.
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क्या होगा अगर भारत दवाओं का निर्यात रोके?
अगर भारत अमेरिका को दवाओं का निर्यात बंद कर दे, तो वहां की 47% जेनेरिक दवाएं एक झटके में गायब हो जाएंगी. मानसिक रोगों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की 62% कमी हो जाएगी. डायबिटीज, कैंसर, हार्ट डिजीज, एसिडिटी और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से जूझ रहे करोड़ों अमेरिकियों के इलाज पर खतरा मंडराने लगेगा. यहां तक कि अमेरिका में ब्लड प्रेशर की 60%, कोलेस्ट्रॉल की 58% और एसिडिटी की 56% दवाएं भारत से आती हैं. अमेरिका भारत पर जितना स्वास्थ्य के लिए निर्भर है, उतना शायद ही किसी और देश पर हो.
नोबेल की चाहत में सेहत से खिलवाड़?
डोनाल्ड ट्रंप शायद भूल रहे हैं कि जब पूरी दुनिया कोरोना से कांप रही थी, तब भारत ने ही वैक्सीन और जरूरी दवाएं दुनिया को भेजीं. ट्रंप ने खुद उस वक्त भारत से मदद मांगी थी. आज वही ट्रंप भारत को दवा टैरिफ से धमका रहे हैं. अगर ट्रंप वाकई नोबेल जीतना चाहते हैं, तो उन्हें दुनिया को जोड़ने की जरूरत है, तोड़ने की नहीं. भारत को धमकाकर ट्रंप अमेरिका की सेहत और जेब दोनों पर हमला कर रहे हैं.
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