फिट और हेल्दी थीं, एक दिन अचानक आया उस बीमारी का अटैक, जिसे समझ रही थीं मामूली वर्क स्ट्रेस
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फिट और हेल्दी थीं, एक दिन अचानक आया उस बीमारी का अटैक, जिसे समझ रही थीं मामूली वर्क स्ट्रेस

फिट और हेल्दी इंसान भी ऐसी बीमारी का शिकार हो सकता है, जिसकी कल्पना उन्होंने सपने में भी नहीं की होगी. आपको शरीर के कुछ इशारों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है.

फिट और हेल्दी थीं, एक दिन अचानक आया उस बीमारी का अटैक, जिसे समझ रही थीं मामूली वर्क स्ट्रेस

Work Stress Turn Out As Paralysis: इंग्लैंड की 44 वर्षीय अकाउंटेंट एलिस्जा फारिनियार्ज (Alicja Faryniarz) अब लाइफ चेंजिंग पैरालिसिस के साथ जी रही हैं, जब एक रेयर ब्रेन डिजीज ने उन्हें एक बड़े स्ट्रोक का शिकार बना दिया. कई सालों तक उन्हें तेज सिरदर्द, बेहोशी के दौरे और हद से ज्यादा थकान रहती थी. ऐसे लक्षण जिन्हें वो सीरियस मानती थीं, लेकिन उनका कहना है कि उनके डॉक्टर ने इन्हें बार-बार सिर्फ माइग्रेन, साइनस की परेशानी या स्ट्रेस कहकर नजरअंदाज कर दिया.

शुरुआती लक्षणों की अनदेखी
'द सन' की रिपोर्ट के मुताबिक एलिस्जा की परेशानी उनके शुरुआती 20 के दशक में शुरू हुईं, जब उन्हें तेज सिरदर्द और कभी-कभी बेहोशी के दौरे पड़ते थे. डॉक्टर्स ने सिर्फ पेन किलर दवाएं दीं, जिससे वो साइकिल चलाने, दौड़ने, डांस करने और अपने कुत्ते के साथ टहलने जैसी एक्टिव लाइफस्टाइल जारी रख सकीं. साल 2004 में पोलैंड से यूके आने के बाद, उनके सिरदर्द और थकान की गंभीरता बढ़ गई.

2021 में, कोविड-19 महामारी के दौरान, वो अपने बाथरूम में गिर पड़ीं, जिससे उन्हें सिर पर चोट और आंख के पास सूजन आ गई. हालांकि एम्बुलेंस बुलाई गई थी, वो अगले दिन तक नहीं पहुंची. उस वक्त कोविड पॉजिटिव होने के कारण पैरामेडिक्स ने उन्हें अस्पताल ले जाने से इनकार कर दिया. एलिस्जा का मानना है कि अगर उस वक्त उनका ब्रेन स्कैन किया गया होता, तो डॉक्टर उनकी बीमारी समय रहते पकड़ सकते थे और न ठीक न होने वाले डैमेज से बचा सकते थे.
 

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वो स्ट्रोक जिसने सब बदल दिया
3 सितंबर 2023 को, एलिस्जा एशर टेनिस क्लब में गर्मियों के आखिर के एक टेनिस कॉम्पिटिशन में खेल रही थीं. हाल ही में उन्होंने 115 किलोमीटर की साइकिल राइड और दोस्तों के साथ लंबी वॉक पूरी की थी, लेकिन वह अच्छा महसूस नहीं कर रही थीं. दूसरे मैच के दौरान उनकी नजर धुंधली हो गई और अचानक, तेज सिरदर्द हुआ. कुछ ही पलों में वो गिर पड़ीं और बोल या हिल नहीं पा रही थीं. डर के मारे उन्हें लगा कि उनकी मौत हो गई है.

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एम्बुलेंस को आने में दो घंटे लग गए. पहले उन्हें सेंट पीटर्स अस्पताल, चर्टसी ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने कारण पहचाना कि ब्रेन आर्टेरियोवेनस मॉलफॉर्मेशन (AVM) का फटना है. ये रेयर कंडीशन है, जो 1% से भी कम लोगों को अफेक्ट करती है, ब्रेन में आर्टरीज और वेंस के बीच एब्नॉर्मल कनेकेशन बनाने वाले उलझे हुए ब्लड वेसेल्स के ग्रुप को दिखाती है. अक्सर ये जन्मजात और बिना लक्षणों के होती है, और तब तक पता नहीं चलती जब तक कि इसमें ब्लीडिंग न हो जाए. एलिस्जा का AVM 3 इंच का था और फटने से उनके शरीर के दाहिने हिस्से में लकवा मार गया तथा वो 3 दिनों के लिए कोमा में चली गईं.

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आईसीयू और रिहैब
एलिस्जा को लंदन के सेंट जॉर्ज अस्पताल में ट्रांसफर किया गया और आईसीयू में रखा गया. 6 सितंबर को जब उन्हें होश आया, तो उन्होंने पाया कि वो अपने शरीर के दाहिने हिस्से को न हिला सकती हैं और न ही महसूस कर सकती हैं, साथ ही बोलने की क्षमता भी खो चुकी हैं. उन्हें अपने बाएं हाथ से दाहिना हाथ और पैर उठाना पड़ता था. दो हफ्ते बाद ही वह अपने बीच की उंगली को हल्का सा हिला पाईं.

करीब तीन हफ्ते सेंट जॉर्ज में बिताने के बाद, उन्हें एक महीने के पुनर्वास के लिए वोकिंग कम्युनिटी अस्पताल भेजा गया. अब, एक साल बाद, एलिस्जा की बोलने की क्षमता और दाहिने हाथ की कुछ हरकतें वापस आ चुकी हैं, लेकिन उन्हें अब भी चलने के लिए छड़ी या व्हीलचेयर की जरूरत पड़ती है. उन्हें खेलकूद से लेकर अपने कुत्ते के साथ सिंपल वॉक तक कई पसंदीदा एक्टिविटीज छोड़नी पड़ी हैं.

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क्या हो सकती है वजह?
एलिस्जा का मानना है कि उनके AVM का फटना काम के हद से ज्यादा तनाव से हुआ, जिसने उनकी खून की नसों को कमजोर कर दिया. उन्हें ये भी शक है कि घटना से एक हफ्ते पहले रक्तदान करने से उनका खून गाढ़ा हो गया, और कड़ी शारीरिक मेहनत के साथ मिलकर उनकी नसों पर एक्स्ट्रा पेशर पड़ा.

एलिस्जा को है अफसोस
अपने मेडिकल जर्नी पर विचार करते हुए, एलिस्जा का मानना है कि अगर जीपी के पास शुरुआती दौर में सीटी स्कैन कराया गया होता, तो वो डिसेबिलिटी से बच सकती थीं. उन्होंने कहा, “अगर मुझे डॉक्टरों द्वारा टालने के बजाय सीटी स्कैन दिया गया होता, तो मेरा मानना है कि वे इसे ढूंढ लेते और ये सब कभी नहीं होता.” अब वो AVM और स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए डेडिकेटेड हैं, और इस बात पर जोर देती हैं कि जो भी इंसान महसूस करे कि “कुछ सही नहीं है”, उसे पूरा मेडिकल टेस्ट करवाना चाहिए.

ब्रेन AVM क्या है?
एनएचएस के मुताबिक, AVM ब्रेन के भीतर या सतह पर एब्नॉर्मल ब्लड वेसेल्स का गुच्छा है, जो ब्लड फ्लो को सीधे आर्टरीज से वेंस में मोड़ देता है, नॉर्मल नेटवर्क को बायपास करते हुए. कई लोगों में AVM के कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन संभावित इशारों में सिरदर्द, दौरे, बोलने या देखने में परेशानी, और कुछ मामलों में जानलेवा ब्रेन ब्लीडिंग शामिल हैं. इसका सटीक कारणों का अभी तक पता नहीं है, और हालांकि ज्यादातर AVM जन्म से मौजूद होते हैं, वो लाइफ में बाद में भी बन सकते हैं. आमतौर पर इसका डायग्नोसिस 20 से 40 साल की उम्र के बीच होता है.

स्ट्रोक जागरूकता
एलिस्जा की कहानी स्ट्रोक के लक्षण पहचानने में FAST की अहमियत को भी उजागर करती है. 

F – फेस ड्रॉपिंग: चेहरे का टेढ़ा होना या सुन्न हो जाना.

A – आर्म की कमजोरी: एक या दोनों हाथों को समान रूप से न उठा पाना.

S – स्पीच में दिक्कत: अनक्लियर या अजीब तरह से बोलना.

T – टाइम टू कॉल इमरजेंसी: तुरंत आपातकालीन सेवा को कॉल करें.

बाकी वॉर्निंग साइन में अचानक कमजोरी या सुन्न होना (शरीर के एक हिस्से में), शब्द खोजने में दिक्कत, धुंधली या खोई हुई नजर, चक्कर आना, कंफ्यूजन, तेज सिरदर्द, बोलने को समझने में परेशानी, या निगलने में दिक्कत शामिल हैं.

बदली हुई जिंदगी
एलिस्जा कहती हैं कि स्ट्रोक वाले दिन उनकी “जिंदगी खत्म हो गई” और वो अब भी इसे दोबारा बनाने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि उन्होंने ठीक होने में बड़ा प्रोग्रेस किया है, फिर भी वो सपोर्टिंग टूल्स पर डिपेंड हैं और परमानेंट लिमिटेशंस के साथ जीना होगा. वो इस बात पर जोर देती हैं कि उनके जैसा एक्सपीरिएंस किसी के साथ भी हो सकता है, चाहे वो कितना भी फिट और हेल्दी क्यों न हो, और उम्मीद करती हैं कि उनका अनुभव दूसरों को चिकित्सा के मामले में अपने लिए आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित करेगा. वो कहती हैं, “मैं अपनी कहानी इसलिए शेयर कर रही हूं ताकि अवेयरनेस फैले कि यो किसी के साथ भी हो सकता है. अगर आपको पता है या लगता है कि कुछ गलत है, तो एनश्योर करें कि आप इसे चेक कराएं.”

(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)

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Shariqul Hoda शारिक़ुल होदा

ज़ी न्यूज में सीनियर सब एडिटर. हेल्थ और लाइफस्टाइल की स्टोरीज करते हैं. नेशनल, इंटरनेशनल, टेक, स्पोर्ट्स, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट, हेल्थ और लाइफस्टाइल का लंबा तजुर्बा है. जर्नलिज्म करियर की शुरुआत 2...और पढ़ें

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