Quit India Movement: देश से अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए कई जतन किए गए. उन्हीं में से एक था 'भारत छोड़ो आंदोलन' (Quit India Movement). 8 अगस्त 1942 के दिन महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने 'भारत छोड़ो आंदोलन' की शुरुआत थी. चलिए जानते हैं इस आंदोलन के बाद कहां-कहां हिंसा हुई और कैसे इसने अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दी थी.
Trending Photos
Quit India Movement: 15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हो गया था, लेकिन ये आजादी यूं ही नहीं मिली इसके पीछे बलिदान की एक लंबी कहानी है. हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने लगभग 90 साल तक आजादी की इस लड़ाई को जारी रखा. ये काफी लंबा और कठिन समय था. इस दौरान अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के सैकड़ों जतन और कई आंदोलन किए गए. इन्हीं संघर्षों में से एक और महत्वपूर्ण आंदोलन था 'भारत छोड़ो आंदोलन'.
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत
8 अगस्त 1942 के दिन महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. इसमें सभी भारत वासियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. गांव-गांव तक आजादी की अलख जगी थी पूरे देश में शहरों से लेकर दूर-दराज गांवों तक में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बड़ी-बड़ी रैलियां निकाली गई थीं. जब 'भारत छोड़ो आंदोलन' आपने पीक पर था और जनता अंग्रेजों को एक मिनट भी बर्दाश्त करने के मूड में नहीं थी. तब ब्रिटिश सरकार को इस बार का भरोसा हो गया था कि अब उनको भारत की धरती से जाना ही होगा. चलिए जानते हैं कैसे हिंसक हो गया था 'भारत छोड़ो आंदोलन'.
गांधी ने दिया 'करो या मरो' का नारा
तारीख थी 8 अगस्त 1942, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के बॉम्बे सत्र में महात्मा गांधी ने मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में अंग्रेजों से भारत छोड़ने के लिए कहा था. इसी दौरान महात्मा गांधी ने 'करो या मरो' का नारा दिया था. इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत तिलमिला गई और दमन करने पर उतर आई. लोगों पर 'करो या मरो' का नारा कुछ इस तरह काम किया कि भारत की जनता ने अंग्रेजों से दो-दो हाथ करने के लिए कमर कस ली थी. आंदोलन की शुरुआत के दो दिन तो शांति रही, लेकिन उसके बाद जब अंग्रेजी हुकूमत ने आंदोलन को कुचलने के लिए लाठियां और गोलियां चलानी शुरू करी तो लोगों ने भी हाथों में पत्थर उठा लिए और गोलियों का सामना करने लगे.
अंग्रेजी हुकूमत ने सेना को उतारा
जब भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के गले की हड्डी बन गया तो इसको पूरी तरह कुचलने के लिए सेना को भेज दिया गया था. अंग्रेजी हुकूमत ने मार्श स्मिथ और नीदरसोल के नेतृत्व में सेना को भेज दिया. इस दौरान लूटमार और आगजनी कंट्रोल से बाहर हो गई थी और बड़ी संख्या में महिलाओं से साथ दुर्व्यवहार हुआ. इस दौरान काफी संख्या में लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. अंग्रेजी हुकूमत के इस दमन के दौरान कई राज्यों में जमकर हिंसा हुई.
किस घटना ने बदल दिया था गांधीजी का मन
अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर हिंसा का सहारा लेकर इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश की थी. इस दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने जनता पर गोलियां चलाईं, लाठीचार्ज करवाया और कई गांवों को जला दिया गया था. इससे भी पेट नहीं भरा तो भारी जुर्माना भी लगाया. इस दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने 1 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया और कांग्रेस को भी गैरकानूनी घोषित कर दिया था. इस घटना से गांधी जी के मन को बढ़ा धक्का लगा था, उन्होंने इस हिंसा की बहुत निंदा की थी. क्योंकि इस आंदोलन में हुई हिंसा गांधी जी के विचारों और सिद्धांतों के खिलाफ थी. गांधी जी हमेशा सत्याग्रह और अहिंसा के मार्ग पर चलने के समर्थक थे.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.