DNA: अपनी सातों औलाद को सरकारी नौकरी और बाकी कश्मीरियों के हाथों में पत्थर! हिजबुल चीफ ने ऐसे किया आतंक का 'बिजनेस'
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DNA: अपनी सातों औलाद को सरकारी नौकरी और बाकी कश्मीरियों के हाथों में पत्थर! हिजबुल चीफ ने ऐसे किया आतंक का 'बिजनेस'

Terrorist Salahuddin Family: आजादी के नाम पर कश्मीरी नौजवानों के हाथ में पत्थर और हथियार थमाने वाले हिजबुल सरगना सलाउद्दीन ने अपनी सातों औलादों को इस दहशतगर्दी से दूर रखा और कश्मीर में सरकारी नौकरियों में बिठा दिया.

 

DNA: अपनी सातों औलाद को सरकारी नौकरी और बाकी कश्मीरियों के हाथों में पत्थर! हिजबुल चीफ ने ऐसे किया आतंक का 'बिजनेस'

Why Hizbul Chief Salahuddin son not get bail: कश्मीर में सुरक्षा बल जमीन पर आतंकियों के सफाए के लिए स्ट्राइक कर रहे हैं तो आतंकियों के मददगारों के खिलाफ कानूनी स्ट्राइक भी हो रही है. आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ और ग्लोबल टेररिस्ट सैयद सलाउद्दीन के बेटे शाहिद यूसुफ को दिल्ली हाकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया. यानी अब आतंक के आका का आतंकी सोच वाला बेटा जेल में ही सड़ेगा. 

सलाहुद्दीन से कम नहीं है उसका बेटा

सोचिए सलाहुद्दीन पाकिस्तान में बैठकर कश्मीर में हिंसा की साजिश रचता है. उसका बेटा आतंकियों का मददगार है. सलाहुद्दीन का आतंकी कुनबा भारतीय संविधान का विरोध करता है. लेकिन राहत के लिए भारतीय संविधान में मिले अधिकारों का इस्तेमाल कर कोर्ट पहुंच जाता है. आज हम आपको ये भी बताना चाहेंगे कि ग्लोबल टेररिस्ट सलाहुद्दीन का बेटा भी उसी की तरह आतंकी सोच रखता है. 

शाहीद यूसुफ पर टेरर फंडिंग का आरोप है. उसने आतंकी एजाज अहमद भट्ट से पैसा लिया था. शाहीद को पता था कि ये पैसा भारत में आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल होगा. उसने नकली पहचान वाले पासपोर्ट से विदेश यात्रा की और बाद में दस्तावेज को नष्ट कर दिया. कोर्ट ने ये माना कि शहीद यूसुफ देश की एकता और अंखडता के लिए खतरा है. 

ले रहा था सरकारी नौकरी के मजे

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जो शाहीद यूसुफ टेरर फंडिंग में शामिल था. जिसे कोर्ट ने देश की एकता-अखंडता के लिए खतरा माना है, वो कभी सरकारी सिस्टम का हिस्सा था. आतंकी सलाउद्दीन का बेटा शाहीद यूसुफ 2021 तक श्रीनगर में कृषि विभाग में काम करता था. यानी वो सरकारी कर्मचारी था.

आज जम्मू-कश्मीर के नौजवानों को पत्थरबाजी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए उकसाने वाली सोच को भी हम सलाउद्दीन के परिवार के जरिए समझ सकते हैं. ग्लोबल टेररिस्ट सलाउद्दीन पाकिस्तान के पैसे से पीओके में शानो-शौकत से रहता है. सलाउद्दीन का बड़ा बेटा सैयद शकील अहमद सरकारी नौकरी करता था. दूसरा बेटा जावेद युसूफ बडगाम भी सरकारी नौकरी करता था. 

अपने बच्चों के हाथ में नहीं पकड़ाए पत्थर

तीसरा बेटा शाहिद युसूफ श्रीनगर कृषि विभाग में काम करता था. चौथा बेटा वाहिद युसूफ श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में डॉक्टर था. पांचवां बेटे सैयद मुईद ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. सलाउद्दीन की बेटी नसीमा बडगाम और अख्तारा सरकारी स्कूल में टीचर थीं.

पाकिस्तान में बैठे सलाउद्दीन ने अपने बेटों को डॉक्टर, कंप्यूटर इंजीनियर बनाया, उन्हें सुरक्षित सरकारी नौकरी दिलाई. लेकिन दूसरों के बच्चों के हाथ में बंदूक और पत्थर थमाए. सोचिए ये कैसा पाखंड है. कैसी पाखंडी सोच है. जो अपने परिवार के लिए सुख-सुविधा जुटाती है और दूसरों के बच्चों को हिंसा के लिए उकसाती है.

अब उम्र भर जेल में सड़ेगा शाहीद यूसुफ

मित्रों, कहते हैं कि सबको अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है. सलाउद्दीन और शाहीद यूसुफ के लिए ये बात सौ प्रतिशत सही साबित हो रही है. दूसरे के बच्चों के हाथ में बंदूक थमाने वाले सलाउद्दीन का बेटा खुद टेरर फंडिंग में शामिल था और अब उम्र भर जेल में सड़ेगा.

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देविंदर कुमार

अमर उजाला, नवभारत टाइम्स और जी न्यूज चैनल में काम कर चुके हैं. अब जी न्यूज नेशनल हिंदी वेबसाइट में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और जियो पॉलिटिकल मामलों पर गहरी पकड़ हैं. धर...और पढ़ें

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