Maha Shivratri 2025: इस मंदिर के शिखर पर लगा है रहस्यों से भरा पंचशूल, दर्शन करते ही कट जाते हैं सभी पाप
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Maha Shivratri 2025: इस मंदिर के शिखर पर लगा है रहस्यों से भरा पंचशूल, दर्शन करते ही कट जाते हैं सभी पाप

Shiva Panchshul Mystery On Mahashivratri 2025: देवघर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ बाबा बैद्यनाथ धाम है जहां पर महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. चतुष्प्रहर पूजा, सिंदूर दान जैसे विशेष अनुष्ठान देखने को मिलते हैं.

Lord Shiva Panchshul Mystery
Lord Shiva Panchshul Mystery

Lord Shiva Panchshul Mystery In Hindi, देवघर, 25 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ धाम है जिसे द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है. महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर देवघर के प्रसिद्ध बाबाधाम में कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं जिसमें शिव विवाह से लेकर चतुष्प्रहर पूजा, सिंदूर दान जैसे विशेष दृश्य देखने को मिलते हैं. देवघर के बाबाधाम में स्थित सभी 22 मंदिरों पर पंचशूल स्थापित है जिसको महाशिवरात्रि से पहले उतारकर विधि-विधान से शुद्ध करने का विधान है. सभी पंचशूलों को शुद्धकर फिर से मंदिरों के शिखरों पर स्थापित किया जाता है. इन पंचशूलों की धार्मिक महिमा बहुत विशेष है.

पंचशूल के रहस्य
बाबा बैद्यनाथ धाम के मंदिरों पर पंचशूल स्थापित है जो यहां के आकर्षण का केंद्र है. ये पंचशूल रहस्यों से भरे हैं. मान्यताएं तो ये है कि पंचशूल लंकापति रावण से भी जुड़ा है. बाबा मंदिर के तीर्थ पुरोहित मानते हैं कि मुख्य मंदिर पर स्वर्ण कलश के ऊपर लगाया गया पंचशूल माता पार्वती के साथ साथ अन्य मंदिरों पर भी लगा है. रावण को बाबा बैद्यनाथ शिवलिंग की स्थापना का श्रेय दिया जाता है. सुरक्षा के लिए लंका के चारों द्वारों पर रावण ने पंचशूल स्थापित किए थे. पंचशूल की सुरक्षा भेदना रावण को आता था. श्रीराम को इसके बारे में नहीं पता था. वहीं राम विभीषण की मदद से लंका विजय करने में सफल हुए. 

पंचतत्वों का प्रतीक
ऐसी मान्यता है कि बाबा बैद्यनाथ धाम में जो पंचशूल स्थापित है वो मंदिरों की सुरक्षा किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय करता है. मानव शरीर में जो पांच विकार होते हैं- काम, क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या, पंचशूल इसका नाश करता है. मानव शरीर के पंचतत्वों का भी प्रतीक पंचशूल को माना गया है. इसके अलावा पंचशूल को लेकर कई और मान्यताएं भी बताई जाती हैं.

सती माता का हृदय
प्रभाकर शांडिल्य बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर के तीर्थ पुरोहित है जिसका कहना है कि "देवघर के देवाधिदेव महादेव आत्मालिंग हैं. महादेव और माता शक्ति दोनों का बाबा बैद्यनाथ धाम स्थान है. जब माता सती के शरीर को भगवान विष्णु ने विच्छेद किया तब देवघर में सती माता का हृदय गिरा और उसी विशिष्ट स्थल पर बैद्यनाथ धाम की स्थापना भगवान विष्णु जी ने की. प्रभाकर शांडिल्य का कहना है कि यह शिव-शक्ति का मिलन स्थल है. यहां पर सभी मंदिरों पर पंचशूल लगे हैं, जिसमें से जो दो शूल हैं वो आधार शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं. शक्ति ने जो उन्हें यानी महादेव को आधार दिया है, उसका प्रतीक है. वहीं त्रिशूल बाबा का प्रतीक माना गया है."

पंचशूल के संबंध में मान्यताएं
पंचशूल के संबंध में कई अन्य मान्यताएं भी हैं. धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि बाबा बैद्यनाथ धाम के ज्योतिर्लिंग में शिवजी के साथ माता शक्ति भी विराजती हैं. यहां पर मां शक्ति की पूजा तंत्र साधना के लिए किया जाता है. तीर्थ पुरोहितों की मानें तो शिव पुराण में बताए गए पंचशूल के दर्शन कर लेने भर से ही श्रद्धालुओं के अनजाने में किए पाप का नाश हो जाता है और समस्त फलों की प्राप्ति होती है.

मनोकामनाएं होंगी पूरी
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर देवघर में विशेष आयोजन के तहत चतुष्प्रहर पूजा की जाती है. बाबा को सिंदूर अर्पित करने का विधान है. इसी विधान के साथ शिव विवाह की परंपरा पूरी हो जाती है. बाबा को मोर मुकुट भी अर्पित किया जाता है. वो साधक जो अविवाहित हो अगर बाबा पर मोर मुकुट चढ़ाएं तो विवाह में आने वाली बाधाओं का नाश होता है. महाशिवरात्रि पर बाबा का श्रृंगार नहीं होता बल्कि रातभर उनकी पूजा की जाती और तब जाकर माता पार्वती और शिव का विवाह संपन्न होता है. यहां पर पंचशूल के गठबंधन की भी विशेष मान्यता है, कहते हैं कि ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 
इनपुट-आईएएनएस
एबीएम/
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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