Black Knight satellite: ब्लैक नाइट सैटेलाइट की कहानी दशकों से मशहूर है. इसमें निकोला टेस्ला द्वारा पकड़े गए अजीब रेडियो सिग्नल की कई कहानियां शामिल हैं. हालांकि, बाद में अमेरिकी वायु सेना द्वारा सैटेलाइट का पता लगाने के दावे किए गए. STS-88 मिशन के दौरान ली गई 1998 की एक तस्वीर ने मिथक को और हवा दी.
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कई दशकों से 'ब्लैक नाइट सैटेलाइट' (Black Knight Satellite) की कहानी साजिश सिद्धांतों में छाई रही है. कहा जाता है कि यह एक रहस्यमय स्पेसशिप है, जो 13,000 सालों से पृथ्वी की पास की कक्षा में घूम रहा है. कई लोग मानते हैं कि यह किसी एलियन तहजीब का उपकरण हो सकता है. यह कहानी अक्सर इंटरनेट फोरम, टैब्लॉइड न्यूज और कुछ अजीब तस्वीरों व रेडियो सिग्नलों के साथ सामने आती रही हैं. लेकिन अगर साइंस की नजर से देखा जाए तो इसके पीछे की सच्चाई काफी आसान और फैक्ट्स पर आधारित है. तो आखिर यह रहस्यमयी कहानी शुरू कैसे हुई? और क्या वाकई कोई ब्लैक नाइट सैटेलाइट है? आइए जानते हैं इसके पीछे की असली कहानी.
ब्लैक नाइट सैटेलाइट थ्योरी से जुड़ी कई गैर-मुतालिक कहानियां मौजूद हैं, जो एक सदी से भी ज़्यादा पुरानी हैं. इसकी शुरुआत निकोला टेस्ला से होती है, जो एक मशहूर सर्बियाई-अमेरिकी इंजीनियर, भविष्यवादी ( Futuristic ) और आविष्कारक हैं, जो आधुनिक प्रत्यावर्ती धारा बिजली आपूर्ति प्रणाली ( Modern Alternating Current Power Supply systems ) के डिजाइन में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं. 1899 में उन्होंने कोलोराडो स्प्रिंग्स में अजीब रेडियो सिग्नल पकड़े. कुछ लोगों को लगा कि उन्होंने एलियन ट्रांसमिशन को इंटरसेप्ट किया है, लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि ये प्राकृतिक रेडियो तरंगें या Equipment Interference थे. वहीं, 1927 में शौकिया रेडियो ऑपरेटर जोर्गन हॉल्स ने लंबे वक्त तक Delayed echoes रिकॉर्ड कीं, जो एक और जिज्ञासु लेकिन स्थलीय घटना थी.
फिर,1954 में यूएफओ प्रमोटर डोनाल्ड कीहो ने दावा किया कि अमेरिकी एयर फोर्स ने पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे दो सैटेलाइट्स का पता लगाया और यह Sputnik से दशकों पहले हुआ था. बाद में 1960 के टाइम पत्रिका के एक लेख में नौसेना द्वारा उठाए गए एक 'डार्क ऑब्जेक्ट' का वर्णन किया गया था. लेकिन जल्द ही इसकी पहचान अमेरिकी डिस्कवरर जासूसी उपग्रह ( Spy Satellite ) के मलबे के रूप में की गई.
स्पेस डॉट कॉम के मुताबिक, ये अफवाह 1998 में प्रज्वलित हुई, जब STS-88 पर सवार अंतरिक्ष यात्रियों ने ISS को इकट्ठा करने के लिए पहला शटल मिशन, पृथ्वी की नीली बैकग्राउंड के खिलाफ तैरती हुई एक अजीब काली वस्तु की तस्वीरें खींचीं. तभी इसे ब्लैक नाइट का नाम दिया गया. लेकिन मिशन से परिचित लोग बेहतर जानते थे. हालांकि, लाइवसाइंस डॉट कॉम का कहना है कि अंतरिक्ष यात्री जेरी रॉस ने बाद में बताया, 'जेरी, एक थर्मल कवर आपसे दूर चला गया.' क्योंकि स्पेसवॉक के दौरान एक थर्मल इंसुलेशन कंबल ढीला हो गया था.
नासा ने उसी वस्तु को ऑब्जेक्ट 025570 के रूप में दस्तावेज किया और कुछ ही दिनों बाद पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से एंट्री किया. नासा के दस्तावेज़ों के मुताबिक, एसटीएस-88 क्रू ने मॉड्यूल घटकों की सिक्योरिटी के लिए चार थर्मल कवर लगाए.
इस मिथक के खंडन के बाद भी, ब्लैक नाइट मिथक अभी भी जिंदा है. यह एलियन खुफिया जानकारी, Secret conspiracies और अज्ञात के प्रति हमारे आकर्षण को दर्शाता है. हाल ही में यूएपी और अवर्गीकृत सरकारी रिपोर्टों में रुचि के साथ, लोगों की जानने की इच्छा बनी हुई है. आर्कियोलॉजिस्ट एलिस गोर्मन ने एली वार्ड के साथ ओलोजीज़ के एक एपिसोड में कहा, 'कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिनके पास कैटलॉग नंबर होता है, लेकिन हम वास्तव में नहीं जानते कि वे क्या हैं. यह संभव है कि वे एक ऑप्टिकल भ्रम देख रहे हों. वह कहती हैं कि यह अतार्किक है कि एक कथित 13,000 साल पुराना सैटेलाइट्स बिना रखरखाव के संचालित और ऑर्बिट में बना रहेगा. ऐसा कुछ जो हमारी मौजूदा तकनीक हासिल नहीं कर सकती.