नासा चंद्रा ने एंड्रोमेडा की नई तस्वीरें साझा कीं, डार्क मैटर का रहस्य सुलझाने में वेरा रुबिन का बड़ा योगदान
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नासा चंद्रा ने एंड्रोमेडा की नई तस्वीरें साझा कीं, डार्क मैटर का रहस्य सुलझाने में वेरा रुबिन का बड़ा योगदान

NASA Chandra: हाल ही में नासा के चंद्रा ने आकाशगंगा के पड़ोसी की नई तस्वीरें साझा की हैं. एंड्रोमेडा आकाशगंगा, जिसे मेसियर 31 भी कहा जाता है हमारे मिल्की वे आकाशगंगा के सबसे नजदीक की सर्पिल आकाशगंगा है जो लगभग 2.5 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है.

 

नासा चंद्रा ने एंड्रोमेडा की नई तस्वीरें साझा कीं, डार्क मैटर का रहस्य सुलझाने में वेरा रुबिन का बड़ा योगदान

Mesiar 31: वेरा रुबिन और उनकी टीम ने 1960 के दशक में M31 का अध्ययन किया था. इस रिसर्च में उन्होंने पाया कि हमारी आकाशगंगा में कुछ पदार्थ ऐसे हैं जो दिखाई नहीं देते लेकिन वह Milkyway के घूमने के तरीकों पर असर डाल रहे हैं. इसी से डार्क मैटर की खोज की शुरुआत हुई. दिखाई गई इस तस्वीर में M31 का डाटा शामिल है.

एक्स-रे से M31 का अध्ययन

चंद्रा एक्स-रे वेधशाला से देखने पर M31 के बीच मे मौजूद सुपरमैसिव ब्लैक होल के पास से निकलने वाली बहुत तेज एक्स-रे की किरणें दिखाई देती हैं. साथ ही बिल्कुल ऐसी ही किरणें आकाशगंगा में फैले कई दूसरे छोटे और घने पिंडों से भी निकलती हैं. ऐसे ही साल 2013 में एक फ्लेयर देखी गई थी जिसका मतलब था कि ब्लैक होल से निकलने वाली नॉर्मल एक्स-रे में अचानक काफी तेजी आई थी.

डॉ. वेरा रुबिन को श्रद्धांजलि

यह नई M31 (एंड्रोमेडा) की तस्वीर डॉ. वेरा रुबिन की महान खोजों को समर्पित की गई है. इनके द्वारा किए गए रिसर्च और अध्ययन ने ब्रह्मांड के बारे में हमारी सोच को पूरी तरह से बदल कर रख दिया था. डॉ.रुबिन नेएंड्रोमेडा आकाशगंगा के घूमने के तरीके को बहुत ही ध्यान से मापा था. इससे ये सबूत मिले कि आकाशगंगाएं एक बहुत ही बड़े ना दिखने वाले पदार्थ के अंदर मौजूद है. इसी Invisible Substance को आज डार्क मैटर कहते हैं.

पुरानी सोच को चुनौती

उनके द्वारा किए गए कामों ने ब्रह्मांड के बारे में हमारी पुरानी सोच को चुनौती देते हुए रिसर्च का एक नया दौर शुरु कर दिया था. उनके योगदान को देखते हुए यूनाइटेड स्टेट्स मिंट्स ने हाल ही में 2025 में एक सिक्का जारी किया है जिस पर वेरा रुबिन की तस्वीर है. बता दें कि यह सिक्का उनके अमेरिकन वुमन क्वार्टर प्रोग्राम का हिस्सा हैं. साथ ही वह इस सीरीज में सम्मानित होने वाली पहली खगोलशास्त्री बन गई हैं. 

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