Oldest Continental Crust: पृथ्वी के शुरुआती महाद्वीप हमेशा से बने रहने के लिए जाने जाते हैं. उनकी जड़ें बहुत ही गहरी थी जिसे 120 मील से भी ज्यादा मोटी बताया जाता है. ये इतनी ठंडी और मजबूत थीं कि इन्हें मेंटल से अलग करना बहुत ही मुश्किल था.
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Earth's Crust: लेकिन अब चीन के भूविज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शाओफेंग लियू के एक अध्ययन से पता चला है कि सबसे मजबूत और पुरानी पृथ्वी की ऊपरी परत भी धीरे-धीरे टूट सकती है. बता दें कि ऐसा तभी होता है जब टेक्टोनिक बल अपनी दिशा और गति बदलते हैं.
पृथ्वी की महाद्वीपीय परत
धरती की Continental Crust हमारे ग्रह की सबसे ठोस और बाहरी परत है. लेकिन क्या आपको पता है कि इसी से हमारे महाद्वीपीय शेल्फ बने हैं. ज्यादातर यह परत ग्रेनाइट की चट्टानों से बनी है जो समुद्र के परत की बेसाल्टिक चट्टानों से कम हल्के होते हैं. वजन और बनावट में अंतर होने के कारण से ही यह परत मेंटल पर तैरती है.
क्रेटोन्स के लिए सबक
लेकिन उत्तरी अमेरिका से नया उदाहरण देखने को मिलता है. करीब 90 मिलियन साल पहले रॉकी पहाड़ों के नीचे वायोमिंग फ्लैट-स्लैब घटना शुरू हुई थी. इस घटना का ये अंजाम हुआ कि इसने जमीन की परत को ऊपर उठा दिया और नीचे की परत को भी सूखा दिया. इसके बाद जैसे ही ये स्लैब पीछ की ओर खिसको तो ज्वालामुखी विस्फोट होने लगे.
क्या पड़ेगा अंतर?
क्रेटन स्टील, खनिज भंडार और यहां तक कि बर्फ की चादरों के पिघलने पर ये महाद्वीपों के हिलने के तरीके को भी प्रभावित कर सकती है. साथ ही कील के खत्म होने से Volcanic Arcs अपनी जगह बदल सकते हैं. इससे ऐसे खनिज मार्ग खुल जाएंगे जहां पर सोना, तांबा जैसी कई महत्वपूर्ण धातुएं शामिल हो सकती हैं. इसी अध्ययन से पता चलता है कि पुरानी पृथ्वी की ऊपरी परत भी धीरे-धीरे टूट सकती है.