Saiyaara की क्रिएटिव टीम हफ्तों से फिल्म के एंडिंग पर माथापच्ची कर रही थी. कई ड्राफ्ट तैयार हुए, लेकिन कोई भी परफेक्ट बैलेंस- यानी ड्रामा और रियलिज्म का सही मिश्रण- नहीं बैठ रहा था. तभी एक असिस्टेंट राइटर ने सुझाव दिया, “क्यों न ChatGPT से पूछते हैं?”
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बॉलीवुड में फिल्मों का क्लाइमेक्स तैयार करना आसान काम नहीं होता. इसके लिए डायरेक्टर और राइटर महीनों मेहनत करते हैं. लेकिन रोमांटिक ड्रामा ‘सैयारा’ की टीम ने इस बार एक अलग ही तरीका अपनाया- उन्होंने मदद ली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट ChatGPT से. आमतौर पर AI का इस्तेमाल फिल्म प्रमोशन, मार्केटिंग या स्क्रिप्ट रिसर्च में होता है, लेकिन यहां ChatGPT को सीधे फिल्म का एंडिंग सोचने का काम दिया गया. यह प्रयोग फिल्म की क्रिएटिव टीम के लिए रोमांचक तो था, लेकिन इसके साथ ही कई सवाल भी उठा गया- क्या मशीन इंसानों की तरह भावनाओं और संस्कृति की बारीकियों को पकड़ सकती है? और क्या यह एंडिंग बड़े पर्दे तक पहुंच पाई?
ChatGPT को क्यों दी गई जिम्मेदारी
सैयारा की क्रिएटिव टीम हफ्तों से फिल्म के एंडिंग पर माथापच्ची कर रही थी. कई ड्राफ्ट तैयार हुए, लेकिन कोई भी परफेक्ट बैलेंस- यानी ड्रामा और रियलिज्म का सही मिश्रण- नहीं बैठ रहा था. तभी एक असिस्टेंट राइटर ने सुझाव दिया, “क्यों न ChatGPT से पूछते हैं?” टीम ने AI को फिल्म के सभी किरदारों, उनकी जर्नी, भावनाओं और क्लाइमेक्स तक पहुंचने वाले कॉन्फ्लिक्ट का डिटेल प्रॉम्प्ट भेजा. कुछ ही सेकंड में ChatGPT ने तीन अलग-अलग एंडिंग आइडियाज तैयार कर दिए, जिनमें संवाद और सीन की पूरी डिटेल थी.
वो AI एंडिंग जिसने सबको चौंका दिया
इनमें से एक एंडिंग ने तुरंत सभी का ध्यान खींचा. इसमें लीड कपल एक रेलवे स्टेशन पर बिछड़ते हैं- बिना किसी ड्रामेटिक डायलॉग के, सिर्फ एक हल्की-सी मुस्कान के साथ, और फिर अलग-अलग ट्रेनों में बैठ जाते हैं. यह आइडिया क्लासिक बॉलीवुड रोमांस की झलक देता था, लेकिन इसमें मॉडर्न टच भी था. टीम के कई लोग इस बात से हैरान थे कि एक मशीन, जिसने कभी प्यार या दिल टूटने का एहसास नहीं किया, इतनी भावनात्मक सीन कैसे लिख सकती है.
तो फिर क्यों नहीं लिया गया AI का आइडिया
डायरेक्टर के मुताबिक, ChatGPT का लिखा सीन “तकनीकी रूप से सही” था, लेकिन उसमें वो सांस्कृतिक बारीकियां और भावनाओं का गहरापन नहीं था, जो कहानी के लिए जरूरी था. इसके अलावा, टीम को लगा कि फिल्म के सबसे अहम पल पर AI का ज्यादा रोल दिखना, मानव कहानी कहने की कला को दबा सकता है. आखिरकार, उन्होंने एक ऐसा एंडिंग चुना, जिसमें भावनाएं भी थीं और कैरेक्टर आर्क भी और गहरे हो गए. यह पूरी तरह उनके शुरू से बनाए विज़न के अनुरूप था.
बॉलीवुड में AI का बढ़ता दखल
ये घटना बताती है कि बॉलीवुड में AI का रोल अब सिर्फ रिसर्च या प्रमोशन तक सीमित नहीं रह गया है. आने वाले समय में स्क्रिप्ट राइटिंग में AI का इस्तेमाल और बढ़ सकता है, लेकिन फिलहाल इंसानी कहानीकारों की जगह मशीनें नहीं ले पा रही हैं. सैयारा इसका ताजा उदाहरण है- जहां AI का लिखा एंडिंग लगभग फाइनल था, लेकिन आखिरी वक्त पर दिल जीतने वाला फैसला इंसान ने ही लिया.
Q1. क्या बॉलीवुड फिल्मों में पहले भी AI का इस्तेमाल हुआ है?
हां, लेकिन ज्यादातर मार्केटिंग और स्क्रिप्ट रिसर्च के लिए. क्लाइमेक्स लिखने का मामला अभी भी बहुत दुर्लभ है.
Q2. क्या ChatGPT का लिखा एंडिंग फाइनल कट में लिया जा सकता था?
तकनीकी तौर पर हां, लेकिन टीम ने सांस्कृतिक और भावनात्मक गहराई के चलते अलग रास्ता चुना.
Q3. क्या भविष्य में AI पूरी फिल्म लिख सकता है?
संभव है, लेकिन फिलहाल इंसानी राइटर्स की क्रिएटिविटी और भावनात्मक समझ का कोई विकल्प नहीं है.