DNA Analysis: अमेरिका के साथ चल रही भारत की टैरिफ वॉर के बीच इस रक्षाबंधन की डेट यानि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा की डेट तय हो गई है. पुतिन इसी महीने के आखिर में भारत आएंगे. इससे पहले पुतिन ट्रंप से भी मिलेंगे.
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DNA Analysis: हमने डीएनए की शुरूआत में मुनीर और ट्रंप के रक्षाबंधन का विश्लेषण किया था लेकिन अब हम आपको मजबूत हर कसौटी पर खरी और ऐतिहासिक मित्रता वाले दो देशों यानि भारत और रूस के बीच का रक्षा बंधन दिखाएंगे. अमेरिका के साथ चल रही भारत की टैरिफ वॉर के बीच इस रक्षाबंधन की डेट यानि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा की डेट तय हो गई है. पुतिन इसी महीने के आखिर में भारत आएंगे. आज हम भारत—रूस रक्षाबंधन का विश्लेषण करेंगे लेकिन इससे पहले आपको अगले कुछ दिनों में होने वाली कुछ बड़ी मुलाकातों के बारे में जानना चाहिए जिसका असर न्यू वर्ल्ड ऑर्डर पड़ना तय माना जा रहा है.
सबसे पहले मुलाकात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होगी. एक हफ्ते के अंदर होने वाली इस मुलाकात का विश्लेषण भी हम आगे करेंगे. इसके बाद इसी महीने के आखिर में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मिलेंगे, पुतिन खुद भारत के दौरे पर आ रहे हैं. 31 अगस्त और 1 सितंबर को चीन में होने वाली एससीओ समिट में हिस्सा लेने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन जा रहे हैं. भारत के प्रधानमंत्री 8 साल बाद चीन जाएंगे और इस यात्रा को भी टैरिफ वॉर के बीच काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ये तीन मुलाकातें आज की परिस्थिति को देखते हुए इतनी महत्वपूर्ण हैं कि आप इनको दुनिया में अगस्त क्रांति करने वाली मुलाकात कह सकते हैं.
लेकिन सबसे पहले आपको उस मुलाकात के बारे में जानना चाहिए जिसे भारत रूस का रक्षाबंधन कहा जा रहा है और जिसकी भूमिका मास्को में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल की मौजूदगी में बनी. आज भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने मास्को में रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु से मुलाकात की और इसी दौरान अजित डोवल ने बताया रूस के राष्ट्रपति इस महीने के आखिर में भारत के दौरे पर आएंगे.
इससे पहले पुतिन 6 सितंबर 2021 में भारत आए थे. यूक्रेन वॉर शुरू होने के बाद पुतिन विदेशों के बहुत ज्यादा दौरे नहीं करते लेकिन जिस वक्त भारत के एनएसए मास्को में मौजूद हैं. उस वक्त इसी महीने पुतिन के भारत आने की खबर कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है पुतिन जिस वक्त भारत में होंगे. उससे पहले उनकी अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मुलाकात हो चुकी होगी. इसके अलावा महीने के आखिर में ही भारत के साथ ट्रेड डील करने अमेरिका का दल भी नई दिल्ली में होगा और 27 अगस्त से ही भारत पर अमेरिका के टैरिफ का दूसरा राउंड भी शुरू हो जाएगा यानि भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ वर्क करने लगेगा और उस वक्त भारत और रूस के बीच ऐसे समझौते हो सकते हैं. जिससे अमेरिका को कड़ा जवाब मिलेगा.
| 'टैरिफ वॉर' का THE END या 'परमानेंट'? अगस्त के अंत तक 'कुछ बड़ा' होने वाला है.. @RahulSinhaTV pic.twitter.com/XgPhTiI29u
— Zee News (@ZeeNews) August 7, 2025
इन समझौतों का रोडमैप आज भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने मास्को में बना दिया है मोदी-पुतिन मुलाकात के दौरान क्या क्या समझौते हो सकते हैं. इनका दुनिया में क्या असर पड़ सकता है उसका संकेत भी आज डोवल और रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु के बयान से मिल गया है. एनएसए अजीत डोभाल के साथ बैठक के बाद रूसी रक्षा प्रमुख ने नई विश्व व्यवस्था बनाने के संकेत दिए हैं. शोइगू ने कहा मॉस्को के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात भारत के साथ विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है. इसका मतलब अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत और रूस के बीच रक्षा समझौते होते रहेंगे और इस बात की संभावना भी है. अजित डोवल रूस के साथ कुछ बड़े रक्षा समझौतों का रोडमैप तैयार कर चुके हैं.
शोइगू ने कहा हमारे लिए एक-दूसरे के हितों का सम्मान सर्वोपरि है यानि भारत और रूस के बीच तेल व्यापार भी चलता रहता रहेगा क्योंकि इससे भारत और रूस दोनों के हित जुड़े हैं. मास्को में दोनों देशों ने आधुनिक चुनौतियों और खतरों का संयुक्त रूप से मुकाबला करने की बात भी कही इशारा साफ था सब जानते हैं आजकल भारत और रूस के लिए सबसे ज्यादा चुनौतियां कहां से आ रही हैं. यानि ये डोनाल्ड ट्रंप के लिए संदेश था. शोइगू ने कहा भारत और रूस न्यायसंगत और टिकाऊ विश्व व्यवस्था बनाने में सहयोग करेंगे. यानि अब टैरिफ पर अमेरिका की दादागीरी नहीं चलने दी जाएगी, भारत और रूस इसका विरोध करेंगे.
मास्को में अंतरराष्ट्रीय कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता भी जाहिर की गई यानि अगर टैरिफ पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होगा तो भारत और रूस इसका भी विरोध करेंगे. आज शोइगू ने भारत और रूस के रणनीतिक साझीदारी को बढ़ाने की बात की, आपको इसका मतलब भी समझना चाहिए, डोवल और शोइगू के बीच आज किन विषयों पर रोडमैप बना और पुतिन के दौरे पर किन समझौतों पर फैसला हो सकता है. पुतिन के दौरे पर भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की बची हुई दो बैटरियों की डिलीवरी की तारीख पर फैसला हो सकता है. भारत ने रूस से एस 400 की पांच बैटरियां खरीदने का सौदा किया था. तीन बैटरियों की डिलीवरी हो चुकी है लेकिन यूक्रेन युद्ध की वजह से अब तक 2 बैटरियां नहीं मिल पाई हैं.
भारत और रूस मिलकर BrahMos जैसे नए मिसाइल सिस्टम पर भी सहयोग की योजना बना रहे हैं. पुतिन भारत आएंगे तो इस पर फैसला हो सकता है. यानि भारत और रूस मिलकर हाइपरसोनिक मिसाइल के निर्माण पर समझौता कर सकते हैं. इस मिसाइल की रफ्तार 8 से 9 मैक यानि आवाज से नौगुना तेज होगी. इसके अलावा पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट सुखोई-57 पर सहयोग पर भी फैसला हो सकता है. पुतिन के दौरे पर रूस और भारत के बीच दक्षिण एशिया के हालात और दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को लेकर भी आपस में चर्चा हो सकती है यानि पाकिस्तान और अमेरिका के बढ़ते सहयोग पर भी रणनीति बनाई जा सकती है.
लेकिन इस मुलाकात से पहले एक और बड़ी मुलाकात होगी जिसमें दुनिया की दो महाशक्तियां दुनिया में चल रहे बड़े युद्ध पर फैसला दे सकती हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही भारत के रूस से तेल खरीदने पर टैरिफ बढ़ाते जा रहे हैं लेकिन अब खुद डोनाल्ड ट्रंप रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करने वाले हैं. अमेरिका और रूस दोनों की तरफ से ये खबर पुष्ट हो गई है और जो संकेत मिल रहे हैं, उसके मुताबिक इस मुलाकात की जगह भी फिक्स हो गई है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जल्द ही यूएई में मुलाकात कर सकते हैं. मास्को में पुतिन ने ट्रंप के साथ अपनी बैठक के लिए यूएई को संभावित स्थल बताया है. इस साल ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन और ट्रंप के बीच यह पहली मुलाकात होगी. इस मुलाकात को तीन साल से भी अधिक समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के प्रयासों का सबसे बड़ा पड़ाव माना जा रहा है. आज आपको पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात की इनसाइड स्टोरी भी समझनी चाहिए. आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप की तमाम कोशिशों के बावजूद जो पुतिन यूक्रेन वॉर रोकने को तैयार नहीं थे. वो ट्रंप से बात करने को कैसे तैयार हो गए और क्या यूक्रेन वॉर को खत्म करने का कोई फॉर्मूला निकल आया है.
आज मास्को में अचानक एक खास मेहमान पहुंचा ये मेहमान पुतिन और ट्रंप दोनों का खास दोस्त है. ये मेहमान थे संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान माना जा रहा है. अल नाहयान की ये विजिटअमेरिका और रूस के बीच मध्यस्थता के लिए थी. पुतिन और अल नाहयान के बीच क्रेमलिन में लंबी बातचीत हुई. जिसके बाद पुतिन ने यूएई को ट्रंप के साथ बातचीत की संभावित जगह बता दिया. इससे पहले ट्रंप के दूत ने मास्को पहुंचकर पुतिन ने यूक्रेन वॉर को बंद करने को लेकर चर्चा की थी. इस वार्ता को अमेरिका और रूस दोनों ने सफल बताया और इसके बाद ही कयास लगाया जाने लगा कि यूक्रेन वॉर को बंद करने को लेकर कोई फॉर्मूला मिल गया है.
आज पुतिन से ये सवाल भी किया गया कि इस वार्ता की पहल किसकी तरफ से हुई, इसके जवाब में पुतिन ने कहा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और दोनों पक्ष इसके लिए तैयार हैं. इसका मतलब अब ट्रंप पुतिन की शर्तों को मानने के लिए जेलेंस्की को मना सकते हैं क्योंकि जब पुतिन से ये सवाल पूछा गया. क्या जेलेंस्की इस बैठक में शामिल होंगे तो पुतिन से साफ जवाब नहीं दिया लेकिन क्रेमलिन ने पहले ही कहा था कि पुतिन और ज़ेलेंस्की को तभी मिलना चाहिए जब उनके बीच कोई समझौता हो जाए. यानि पहले अमेरिका और रूस के बीच समझौता होगा फिर इसकी जानकारी ज़ेलेंस्की को दे दी जाएगी लेकिन पुतिन ने यूक्रेन के जीते हुए चार क्षेत्रों के मिलने बाद ही युद्ध रोकने की बात कही थी. ऐसे में ट्रंप और पुतिन के बीच वॉर रोकने का क्या फॉर्मूला बनता है इस पर दुनिया की नजर टिकी रहेगी लेकिन नोबल पुरस्कार की चाहत रखने वाले डोनाल्ड ट्रंप को इस मुलाकात से बड़ा युद्ध खत्म करवा कर नोबेल की दावेदारी का एक मौका जरूर मिल गया है.