DNA: ट्रंप से टैरिफ वॉर के बीच चीन ने ईरान में क्यों भेज दिए अपने फाइटर जेट्स? क्या करने की जुगत में है 'ड्रैगन'
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DNA: ट्रंप से टैरिफ वॉर के बीच चीन ने ईरान में क्यों भेज दिए अपने फाइटर जेट्स? क्या करने की जुगत में है 'ड्रैगन'

Iran China News in Hindi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक ओर भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका पर भारी टैरिफ लगाकर अपने सनकपन का इजहार कर रहे हैं. वहीं चीन ने चुपके से ईरान में अपने फाइटर जेट्स भेज दिए हैं.

DNA: ट्रंप से टैरिफ वॉर के बीच चीन ने ईरान में क्यों भेज दिए अपने फाइटर जेट्स? क्या करने की जुगत में है 'ड्रैगन'

DNA Analysis Chinese fighter jets supplied to Iran: ट्रंप ने 'टैरिफ-टैरिफ' खेलकर पूरी दुनिया में खलबली मचा रखी है. इसके चलते अमेरिका की मनमानी से त्रस्त सभी देश एक प्लेटफार्म पर एकजुट होने लगे हैं. कुछ OPEN SOURCE INTELLIGENCE दावा कर रहे हैं कि चीन से J-10 फाइटर जेट्स की पहली खेप ईरान पहुंच गई है. ईरान पर इजरायली हमलों के दौरान ईरानी एयर डिफेंस और फाइटर जेट्स को बड़ा नुकसान हुआ था. जिसके बाद ईरान ने चीन से एयर डिफेंस सिस्टम और फाइटर जेट खरीदने की डील की थी. तेहरान और बीजिंग के बीच 60 फाइटर जेट्स की डील हुई थी. जिसकी पहली खेप अब ईरानी एयरफोर्स को मिल चुकी है.

ईरान की धरती पर उतरे चीनी फाइटर जेट्स

फाइटर जेट्स से पहले चीन ने ईरान को HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम भी दिए थे. अब J-10 फाइटर जेट ईरान की धरती पर उतर चुके हैं. इन फाइटर जेट्स से ईरान की आसमानी ताकत बढ़ना लाजमी है. लेकिन चीनी विमानों का ईरान में TOUCHDOWN मिडिल ईस्ट में अमेरिकी प्रभाव को सीधी चुनौती भी बन सकते हैं.

जानकारों का मानना है कि जिनपिंग का असली मकसद यही है कि हथियारों की डील के जरिए मिडिल ईस्ट में अपना प्रभाव बढ़ाया जाए. ईरान से पहले सऊदी अरब और कतर जैसे देश भी चीन से हथियार खरीद चुके हैं. 

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सऊदी अरब ने चीन से HQ-17 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा है. जबकि UAE को चीन ने लंबी दूरी के अटैक ड्रोंस दिए हैं. वहीं कतर ने चीन से मध्यम और लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल खरीदी हैं. 

ट्रंप टैरिफ में अपने लिए मौका देख रहा चीन

चीन से हथियार भले ही खरीदे गए हों लेकिन सऊदी अरब और UAE सीधे तौर पर अमेरिकी प्रभाव में रहते हैं. कतर ने भी कभी खुले तौर पर अमेरिकी प्रभाव का विरोध नहीं किया है. हालांकि ईरान ने बार बार अमेरिका की ताकत को चुनौती दी है.

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इजरायल से टकराव के दौरान भी ईरान ने सीधे तौर पर झुकने से मना कर दिया था. इसी वजह से माना जा रहा है कि चीन अब ईरान के जरिए मिडिल ईस्ट में अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देना चाहता है. ईरान और चीन के इस गठबंधन से निपटने के लिए ट्रंप ने भी एक नया दांव खेला है. ट्रंप का नया मिडिल ईस्ट प्लान. आपको भी बेहद गौर से इसके बारे में जानना चाहिए. 

चीनी कबाड़ खरीदकर पछताएगा ईरान!

डॉनल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि वो ईरान को छोड़कर मिडिल ईस्ट के सभी देशों को अब्राहम समझौते का हिस्सा बनाना चाहते हैं. ट्रंप सरकार का दावा है कि इजरायल को सभी देशों से मान्यता मिलने के बाद मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति का रास्ता खुल जाएगा. इससे पहले रूस को घेरने के लिए ट्रंप ने अजरबैजान जैसे मध्य एशियाई देशों को भी अब्राहम समझौते का सदस्य बनाने का ऑफर दिया था.

मिडिल ईस्ट में चीन और अमेरिका की इस खींचातानी का क्या नतीजा निकलेगा. ये आने वाले वक्त में पता चलेगा. लेकिन मेड इन चाइना हथियारों पर भरोसा करके शायद ईरान बड़ी गलती कर रहा है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं. ये जानने के लिए आपको भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का इतिहास बेहद गौर से देखना चाहिए. 

भरोसे के लायक नहीं माने जाते J-10 जेट

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इंडियन एयरफोर्स ने एक सुसाइड ड्रोन ने ही पाकिस्तान में तैनात चीन के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया था. जिसकी वजह से पाकिस्तान के पंजाब के एक हिस्से की हवाई सुरक्षा चौपट हो गई थी. ऑपरेशन सिंदूर से पहले पुलवामा आतंकी हमले के बाद हुई आसमानी टक्कर में पाकिस्तानी एयरफोर्स में तैनात चीन के J-10 विमानों ने उड़ान तो भरी थी. लेकिन भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 से आमना सामना करने की बजाय ये विमान वापस भाग गए थे.

इतना ही नहीं, चीन के J-10 विमानों को म्यांमार और नाईजीरिया जैसे देशों ने लगातार होते हादसों की वजह से नकारना भी शुरु कर दिया है. पाकिस्तान और दूसरे देशों में विमान के प्रदर्शन की वजह से फाइटर जेट्स की दुनिया में J-10 को भरोसे के लायक नहीं माना जाता.

कामयाब नहीं है चीनी फाइटर जेट 

जानकारों के मुताबिक मेड इन चाइना हथियार उतने कामयाब नहीं हैं. जितना ढिंढोरा पीटा जाता है. लेकिन फाइटर जेट की इस डील से एक संभावना साफ साफ नजर आती है कि सामरिक टेंशन और टैरिफ ने चीन और रूस जैसे ट्रंप विरोधियों को वो मौका दे दिया है. जिसके जरिए वो दुनिया के उस हिस्से में दायरा बढ़ा रहे हैं. जहां कभी सिर्फ और सिर्फ अमेरिका का हुक्म चलता था.

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देविंदर कुमार

अमर उजाला, नवभारत टाइम्स और जी न्यूज चैनल में काम कर चुके हैं. अब जी न्यूज नेशनल हिंदी वेबसाइट में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और जियो पॉलिटिकल मामलों पर गहरी पकड़ हैं. धर...और पढ़ें

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