भारतीय वायुसेना 1,000 किलोमीटर तक वार करने वाली ‘सुसाइड ड्रोन’ सिस्टम तैयार करने जा रही है. ये स्मार्ट Loitering Munition छह घंटे तक दुश्मन की सीमा में मंडरा सकते हैं और 50 किलो विस्फोटक वारहेड के साथ टारगेट पर सटीक हमला कर सकते हैं.
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दुनिया भर में युद्ध के तौर-तरीके बदल रहे हैं. इन बदलाव में सबसे अहम रोल ड्रोन हमलों का रहा है. ऐसे में, भारत भी एडवांस ड्रोन बनाने की तैयारी में जुट गया है. बता दें, भारतीय वायुसेना (IAF) जल्द ही 1,000 किलोमीटर रेंज वाली ‘सुसाइड ड्रोन’ यानी Loitering Munition के लिए निजी कंपनियों को सूचना अनुरोध (RFI) जारी करेगी. ये ग्राउंड-लॉन्च्ड ड्रोन 50 किलोग्राम विस्फोटक वारहेड के साथ छह घंटे तक दुश्मन के इलाके में मंडरा सकते हैं और टारगेट मिलने पर सटीक हमला करते हैं. इन ड्रोनों की मदद से भारतीय सेना चीन-पाकिस्तान की सीमाओं पर कड़ी निगरानी रखेगी और जरूरत पड़ने पर दुश्मनों को नेस्तनाबूद भी करेगी.
भारतीय सेना जल्द जारी करेगी RFI
IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना ने प्राइवेट कंपनियों को एडवांस ग्राउंड-लॉन्च्ड, Beyond Visual Line of Sight (BVLOS) Loitering Munitions डिजाइन और विकसित करने के लिए सूचना अनुरोध (RFI) जारी करने की तैयारी कर ली है. इन सुसाइड ड्रोनों को आधुनिक युद्ध की जरूरतों के हिसाब से डिजाइन किया जाएगा, जो लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम होंगे.
IAF का उद्देश्य है कि ये सिस्टम देश में ही विकसित हों, ताकि आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा मिल सके. ये स्मार्ट वेपन सिस्टम दुश्मन के इलाके में गहराई तक घुसकर बिना किसी सैनिक की जान जोखिम में डाले हमला करने की क्षमता रखते हैं.
क्या होगी इसकी खासियत?
इन ड्रोनों की सबसे खास बात है इनकी रेंज और क्षमता. यह ड्रोन 500 से 1,000 किलोमीटर तक की रेंज में उड़ान भरने में सक्षम होंगे. साथ ही 50 किलोग्राम विस्फोटक, और छह घंटे तक दुश्मन के इलाके में मंडराने की ताकत होगी.
इनमें लगे Electro-optical गाइडेंस सिस्टम के जरिए ऑपरेटर, रियल-टाइम वीडियो फीड भी देख सकते हैं और सटीक टारगेट चुनकर हमला कर सकते हैं. ये सिस्टम मोबाइल प्लेटफॉर्म्स या स्थाई ठिकानों से लॉन्च किए जा सकते हैं, जिससे ये किसी भी ऑपरेशन में आसानी से फिट हो सकते हैं.
टारगेट सेट और दुश्मन खल्लास!
इस ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत है कि यह टारगेट मिलते ही सुसाइड ड्रोन में तब्दील हो जाएगा. IAF के मुताबिक, इन ड्रोनों को ऑटोनॉमस नेविगेशन के लिए प्रोग्राम किया जाएगा, ताकि ये खुद ही दुश्मन के इलाके में पहुंचकर ‘होल्डिंग पोजिशन’ में जाकर अगले आदेश का इंतजार करें. इससे फ्यूल की बचत होगी और ऑपरेशन में फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ेगी.
वहीं ऑपरेटर EO सिस्टम के जरिए लाइव वीडियो फीड देखकर टारगेट पहचान सकते हैं. एक बार टारगेट लॉक होते ही, ड्रोन टारगेट पर वारहेड गिरा देगा, जिससे कम लागत में बड़े से बड़े टारगेटों को ध्वस्त किया जा सकता है.
पाकिस्तान-चीन से निपटने में मददगार
LAC पर चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों और पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए यह सिस्टम बेहद कारगर साबित हो सकती है. खासतौर पर, जब दुश्मन मोबाइल लॉन्चर्स और फोर्टिफाइड पोजिशन में होता है, तब यह ड्रोन घंटों मंडराकर, सही समय पर हमला कर सकता है. साथ ही इससे ऑपरेशनल रिस्क कम होगा और दुश्मन के रणनीतिक ठिकानों को सटीकता से तबाह किया जा सकेगा. वहीं पाकिस्तान से कई बार घुसपैठ की कोशिश होती है. ऐसे में वीडियो फीड की मदद से, दुश्मन को आसानी से पहचाने में मदद मिलेगी.
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