भारतीय वायुसेना भी नहीं खेल रही हल्का, Tu-160M बॉम्बर्स पाने से एक कदम दूर...लेकिन इस देश ने कर दिया काम खराब
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भारतीय वायुसेना भी नहीं खेल रही हल्का, Tu-160M बॉम्बर्स पाने से एक कदम दूर...लेकिन इस देश ने कर दिया काम खराब

IAF Tu-160M Acquisition Plans: भारत को दिए गए रूसी प्रस्ताव में 6-8 विमान शामिल होंगे, जो संभावित रूप से एक नए IAF रणनीतिक वायु कमान की रीढ़ बन सकते हैं. इस सौदे में टेक्नॉलॉजी भी साझा की जाएगी, जैसे कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल तैयार हुई.

भारतीय वायुसेना भी नहीं खेल रही हल्का, Tu-160M बॉम्बर्स पाने से एक कदम दूर...लेकिन इस देश ने कर दिया काम खराब

India Bombers Jet: हाल ही में अमेरिका ने अपने B-2 बॉम्बर से ईरान को दहलाकर रख दिया. इस समय हर जगह उन स्पेशल विमानों की ही बात हो रही है. इस बीच क्या आप जानते हैं कि भारत के पास भी ऐसे ही खतरनाक बॉम्बर आने वाले हैं? रक्षा पत्रकार संदीप उन्नीथन की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायु सेना (IAF) 6-8 नवनिर्मित टुपोलेव Tu-160M ​​'व्हाइट स्वान' रणनीतिक बॉम्बर (Tupolev Tu-160M 'White Swan' strategic bombers) को पट्टे पर देने के रूसी प्रस्ताव पर विचार कर रही है. 

यह प्रस्ताव रूस द्वारा कजान एविएशन प्लांट में Tu-160M ​​उत्पादन लाइन को फिर से सक्रिय करने से जुड़ा है, जिसका उद्देश्य संभावित IAF रणनीतिक वायु कमान के साथ भारत की रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करना है. हालांकि, चल रही बातचीत में कई बाधाएं आ गई हैं, जिससे सौदे की प्रगति में देरी हो सकती है.

भारत को दिए गए रूसी प्रस्ताव में 6-8 विमान शामिल होंगे, जो संभावित रूप से एक नए IAF रणनीतिक वायु कमान की रीढ़ बन सकते हैं. इस सौदे में टेक्नॉलॉजी भी साझा की जाएगी, जैसे कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल तैयार हुई.

Tu-160M कितना खतरनाक बॉम्बर?
Tu-160M, अपनी 12,000 किमी रेंज और 40-टन पेलोड के साथ, बेजोड़ रणनीतिक पहुंच प्रदान करता है. भारत के लिए इस तरह के प्लेटफॉर्म को हासिल करने से लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमताओं में कमी को दूर किया जा सकता है, खासकर चीन और पाकिस्तान से जुड़ी क्षेत्रीय सुरक्षा के मद्देनजर. 

इसमें ब्रह्मोस मिसाइले जोड़ी जा सकेंगी. ऐसे में इसकी क्षमता विमान को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता के लिए भारत के प्रयास के साथ संरेखित करेगी, जबकि एक लीज मॉडल सीधे खरीद की उच्च लागत को कम कर सकता है, जिसका अनुमान $500 मिलियन प्रति यूनिट है.

किस देश ने किया काम खराब
हालांकि, बेहतर सौदे के बावजूद प्रस्तावित डील में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा है. idrw.org की रिपोर्ट में कहा गया, '2022 से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध ने रूस के सैन्य-औद्योगिक परिसर को परेशान किया है. संघर्ष के कारण रूस के संचालन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों को वहां से हटा दिया है, जिससे कजान एविएशन प्लांट में उत्पादन समयसीमा प्रभावित हुई है. यूक्रेनी ड्रोन हमलों, विशेष रूप से जून 2025 के 'स्पाइडर वेब' ऑपरेशन ने रूसी एयरबेस को निशाना बनाया है, जिससे Tu-95MS और Tu-22M3 बमवर्षक क्षतिग्रस्त हो गए हैं और $7 बिलियन का नुकसान हुआ है. हालांकि Tu-160 को बचा लिया गया, लेकिन इन हमलों ने रूस के परमाणु त्रिकोण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखा, जिससे मॉस्को को ऐसी संपत्तियों को निर्यात करने में संकोच हो सकता है.' 

साथ ही रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों ने मामले को और जटिल बना दिया है, जिससे Tu-160M उत्पादन के लिए आवश्यक एडवांस कंपोनेंट और प्रौद्योगिकियों तक पहुंच सीमित हो गई है. इससे रूस की वादा किए गए विमान को समय पर वितरित करने की क्षमता के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं. 

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