जमीनी युद्ध हुआ तो इस टैंक से दुश्मन के चीथड़े उड़ा देगा भारत! इंडियन आर्मी को मिल सकती है अगली पीढ़ी की युद्धक मशीन
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जमीनी युद्ध हुआ तो इस टैंक से दुश्मन के चीथड़े उड़ा देगा भारत! इंडियन आर्मी को मिल सकती है अगली पीढ़ी की युद्धक मशीन

Russia Offers India T-14 Tank:  भारतीय सेना ने अभी तक अपने NGMBT कार्यक्रम के लिए प्लेटफॉर्म को अंतिम रूप नहीं दिया है, लेकिन रूसी कंपनी का टी-14 आर्मटा एक मजबूत दावेदार बनकर उभरा है.

जमीनी युद्ध हुआ तो इस टैंक से दुश्मन के चीथड़े उड़ा देगा भारत! इंडियन आर्मी को मिल सकती है अगली पीढ़ी की युद्धक मशीन

T-14 Armata main battle tank:  भारत और रूस के संबंध किसी से छिपे नहीं है. ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन इस साल भारत दौरे पर आ सकते हैं. वहीं, इससे पहले क्या दोनों देशों के बीच कोई अहम डील होने जा रही है? दरअसल, हथियारों के मामले में रूस का भारत को हमेशा से सपोर्ट रहा है. लेकिन अब रूस के ऐसे टैंक को भारत के साथ मिलकर बनाना चाहता है जो इंडियन आर्मी की जमीनी युद्ध में ताकत को बेहद बढ़ा देगा.

भारत की बख्तरबंद युद्ध क्षमताओं के भविष्य को नया आकार मिल सकता है. रूस की यूरालवगोनजावॉड (Uralvagonzavod)  जो T-14 आर्मटा मुख्य युद्धक टैंक (MBT) की निर्माता है, उसने भारत के लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (CVRDE) या अन्य भारतीय रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के साथ सहयोग करने में गहरी रुचि व्यक्त की है.

इसका उद्देश्य भारतीय सेना की अगली पीढ़ी के मुख्य युद्धक टैंक (NGMBT) की जरूरतों के लिए टी-14 आर्मटा का एक अनुकूलित संस्करण पेश करना है.

NGMBT परियोजना को भारतीय रक्षा खरीद प्रक्रिया की 'मेक-I' श्रेणी के अंतर्गत आगे बढ़ाया जा रहा है. यह श्रेणी प्रोटोटाइप विकास के लिए 70% तक सरकारी धन उपलब्ध कराकर स्वदेशी विकास को प्रोत्साहित करती है, जिससे यह एक मजबूत घरेलू विनिर्माण घटक के साथ सार्थक अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी के लिए एक प्रमुख अवसर बन जाता है. ऐसे में रूसी कंपनी चाहती है कि वह भारत के साथ इसे स्वदेशी रूप से बनाए और इससे भारतीय सेना को मजबूती मिले.

Uralvagonzavod ने टी-90S टैंकों के लिए टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर (ToT) के माध्यम से भारत के बख्तरबंद बेड़े में पहले ही एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनका निर्माण भारत में टी-90 भीष्म के रूप में लाइसेंस के तहत किया जाता है. भारत ने टी-90 भीष्म में 83% स्वदेशी सामग्री का स्तर हासिल कर लिया है, जिसमें टैंक के इंजन का 100% स्थानीयकरण भी शामिल है और अब रूसी रक्षा कंपनी का लक्ष्य टी-14 के साथ भारतीय भागीदारी के स्तर को और भी ऊपर ले जाना है.

रूसी कंपनी का क्या कहना है?
idrw.org से बात करते हुए, Uralvagonzavod के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि टी-14 आर्मटा, जो वर्तमान में दुनिया के सबसे उन्नत एमबीटी में से एक है, भारतीय सेना के पुराने हो रहे टी-72 बेड़े का एक आदर्श विकल्प होगा. उन्होंने भारत में निर्मित पुर्जों और उप-प्रणालियों को शामिल करके टैंक की प्रणालियों को और अधिक स्वदेशी बनाने की अपनी इच्छा पर भी जोर दिया.

गौरतलब है कि रूसी कंपनी भारत में स्थानीय रूप से विकसित DATRAN-1500HP इंजन को T-14 के भारतीय संस्करण में एकीकृत करने के लिए तैयार है. वर्तमान T-14 में 12N360 ट्विन-टर्बोचार्ज्ड डीजल इंजन लगा है, जो 1,500 हॉर्सपावर (1,100 kW) उत्पन्न करने में सक्षम है, लेकिन Uralvagonzavod ने संकेत दिया है कि यदि भारतीय अधिकारी आदेश दें तो DATRAN इंजन पर स्विच करना तकनीकी रूप से संभव होगा.

T-14 टैंक की ताकत
टी-14 आर्मटा में एक क्रांतिकारी डिजाइन है, जिसमें एक मानवरहित टरंट, चालक दल के लिए एक आइसोलेटेड बख्तरबंद कैप्सूल और एक पूरी तरह से डिजिटल नियंत्रण प्रणाली शामिल है. इसमें एडवांस सक्रिय सुरक्षा प्रणालियां (APS), मॉड्यूलर कवच और अत्याधुनिक स्थितिजन्य जागरूकता तकनीकें भी हैं, जो इसे MBT डिजाइन में एक बड़ी छलांग बनाती हैं.

हालांकि भारतीय सेना ने अभी तक अपने NGMBT कार्यक्रम के लिए प्लेटफॉर्म को अंतिम रूप नहीं दिया है, लेकिन Uralvagonzavod की पेशकश, स्थानीयकरण को गहरा करने और भारतीय तकनीकों को एकीकृत करने की उसकी इच्छा के साथ, टी-14 आर्मटा को एक मजबूत दावेदार बना सकती है.

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