यह राज्य लगातार अपराध के मामलों में सुर्खियों में रहता है. हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यहां प्रति लाख जनसंख्या पर सबसे अधिक आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं. बढ़ती रिपोर्टिंग, जनसंख्या और सामाजिक समस्याएं इसकी वजह मानी जा रही हैं. कानून व्यवस्था को सुधारने के प्रयास जारी हैं.
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भारत एक ऐसा देश है, जहां हर राज्य की अपनी खास पहचान है. कोई संस्कृति के लिए जाना जाता है, कोई तकनीक और शिक्षा के लिए और कुछ राज्य अपने प्रशासनिक मॉडल के लिए चर्चा में रहते हैं. लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं जिनका नाम बार-बार अपराध और कानून व्यवस्था को लेकर सामने आता है. उन्हीं में से एक है 'उत्तर प्रदेश', देश का सबसे बड़ा और सबसे अधिक आबादी वाला राज्य. उत्तर प्रदेश का नाम जब भी आता है, तो दो बातें अक्सर साथ जुड़ जाती हैं, उसकी विशाल जनसंख्या और बढ़ते अपराध के मामले. लेकिन क्या अपराध का जिक्र सिर्फ अफवाहों और मीडिया हाइप पर आधारित है या फिर इसके पीछे ठोस आंकड़े भी हैं?
NCRB रिपोर्ट क्या कहती है?
हर साल भारत में अपराध से जुड़े मामलों का लेखा-जोखा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) जारी करता है. इस रिपोर्ट को देशभर के थानों से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार किया जाता है. NCRB की 2025 की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश एक बार फिर उन राज्यों में सबसे आगे रहा, जहां अपराध के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में प्रति लाख जनसंख्या पर 7.4 आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं. इस आंकड़े ने एक बार फिर से यूपी को इस चर्चा में ला दिया है कि वहां अपराध पर नियंत्रण पाना इतना मुश्किल क्यों हो रहा है?
अपराध बढ़ रहे हैं या अब दिखने लगे हैं?
यह सवाल अपने आप में बड़ा दिलचस्प है. क्या वास्तव में अपराध बढ़ गए हैं, या अब लोग ज्यादा जागरूक हो गए हैं और थानों में जाकर एफआईआर दर्ज कराने लगे हैं? कई विशेषज्ञ मानते हैं कि आजकल पुलिसिंग सिस्टम में पारदर्शिता आई है. लोग अब खुलकर सामने आते हैं और घटनाओं को रिपोर्ट करते हैं. पहले जो बातें दबा दी जाती थीं, डर, समाज, या सिस्टम पर भरोसा न होने के चलते, अब वो बातें रिकॉर्ड पर आ रही हैं. इसका एक पहलू ये भी है कि आंकड़ों का बढ़ना हमेशा बुरी बात नहीं होती, बल्कि ये इस बात का संकेत भी हो सकता है कि अब चीजें छिपाई नहीं जा रहीं.
कौन-कौन से अपराध सबसे ज्यादा दर्ज हुए?
उत्तर प्रदेश में जो अपराध सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए गए हैं, उनमें महिलाओं के खिलाफ अपराध (जैसे दहेज उत्पीड़न, यौन हिंसा), जमीन-जायदाद से जुड़े विवाद, हत्या, लूटपाट, और घरेलू हिंसा प्रमुख हैं. विशेष रूप से महिलाओं के प्रति अपराध के मामले लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं. हालांकि, सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई गई हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनका असर अभी पूरी तरह से दिख नहीं रहा.
सिर्फ आबादी ही जिम्मेदार नहीं
यह सच है कि उत्तर प्रदेश की आबादी बहुत ज्यादा है, करीब 25 करोड़ के आसपास. लेकिन सिर्फ यही वजह नहीं है कि वहां अपराध ज्यादा होते हैं. अगर हम 'प्रति व्यक्ति अपराध दर' यानी per capita crime rate देखें, तो भी यूपी का ग्राफ ऊपर ही रहता है. इसका मतलब ये है कि समस्या कहीं न कहीं समाज की बनावट, प्रशासन की क्षमता, और लोगों की सोच से जुड़ी हुई भी है.
सरकार के प्रयास और चुनौतियां
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे 24x7 पुलिस गश्त, 112 इमरजेंसी सेवा, महिला हेल्पलाइन, फास्ट ट्रैक कोर्ट्स, पुलिस थानों में निगरानी बढ़ाना और CCTV का दायरा बढ़ाना. सरकार का कहना है कि अब ज्यादा एफआईआर दर्ज हो रही हैं, इसलिए अपराध के आंकड़े ज्यादा दिख रहे हैं और यह सिस्टम में पारदर्शिता का संकेत भी है.
सामाजिक नजरिया और लोगों की सोच
स्थानीय लोगों का नजरिया इस मामले में दो तरफा है. कुछ लोगों का मानना है कि आज के समय में मीडिया अक्सर उत्तर प्रदेश की घटनाओं को ज्यादा हाईलाइट करता है, जिससे लगता है कि यहां अपराध बहुत ज्यादा हैं, जबकि दूसरी जगहों पर भी कम अपराध नहीं हो रहे. वहीं कुछ लोग मानते हैं कि अगर उत्तर प्रदेश में सचमुच बदलाव लाना है, तो सिर्फ पुलिसिंग नहीं, समाज की सोच, शिक्षा, और रोजगार के अवसरों पर भी काम करना होगा.