ड्रैगन कर रहा स्पेस वॉर की तैयारी, जमीन-आसमान के बाद अंतरिक्ष हिलाने की बारी!
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ड्रैगन कर रहा स्पेस वॉर की तैयारी, जमीन-आसमान के बाद अंतरिक्ष हिलाने की बारी!

चीन अंतरिक्ष में अपनी सैन्य ताकत तेज़ी से बढ़ा रहा है. उसने PLA Aerospace Force बनाई है और सेटेलाइट्स से निगरानी, हथियार और संचार को मजबूत किया है. चीन एंटी-सैटेलाइट हथियार और नई टेक्नोलॉजी के जरिए अंतरिक्ष में अमेरिका को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है.

ड्रैगन कर रहा स्पेस वॉर की तैयारी, जमीन-आसमान के बाद अंतरिक्ष हिलाने की बारी!

अब तक अंतरिक्ष को वैज्ञानिक खोज और रिसर्च का क्षेत्र माना जाता था, लेकिन चीन इसे अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने का एक बड़ा जरिया बना रहा है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन अब अंतरिक्ष में खुद को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है. इसके लिए वो हर स्तर पर तैयारियां कर रहा है.

  1. चीन ने बनाई नई स्पेस फोर्स यूनिट
  2. अंतरिक्ष में सैन्य ताकत बढ़ा रहा चीन

सेटेलाइट्स की ताकत बढ़ी
चीन के पास अब 1,000 से ज्यादा सक्रिय सेटेलाइट्स हैं, जिनमें से कई निगरानी, संचार और सैन्य कामों के लिए हैं. पिछले कुछ वर्षों में चीन ने अपने सैटेलाइट नेटवर्क को बहुत तेजी से बढ़ाया है. इससे उसे धरती पर हर गतिविधि पर नजर रखने की ताकत मिल रही है.

एंटी-सैटेलाइट हथियार
चीन ने 2007 में ही अपने पहले एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. तब से उसने लेजर, माइक्रोवेव और मिसाइल जैसे आधुनिक हथियार बनाए हैं, जो दुश्मन के सैटेलाइट को खत्म करने की क्षमता रखते हैं. अमेरिका भी चीन की इस ताकत को लेकर चिंता जता चुका है.

PLA Aerospace Force का गठन
अप्रैल 2024 में चीन ने अपनी सेना में एक बड़ा बदलाव किया. उसने PLA Strategic Support Force को तोड़कर एक नया हिस्सा बनाया जिसका नाम है PLA Aerospace Force. यह यूनिट सिर्फ अंतरिक्ष से जुड़े मिशनों पर काम करेगी. अमेरिका के बाद यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्पेस फोर्स बन गई है.

भारी निवेश और रिसर्च
चीन ने अंतरिक्ष तकनीक में रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया है. इसमें डीप स्पेस नेटवर्क, नई लॉन्चिंग तकनीक, और एडवांस ट्रैकिंग सिस्टम शामिल हैं. ये सभी आधुनिक युद्ध की तैयारी का हिस्सा हैं.

नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
चीन हाई-पावर माइक्रोवेव हथियार बना रहा है, जो बिना मिसाइल के ही दुश्मन के सैटेलाइट और कम्युनिकेशन सिस्टम को बंद कर सकता है. इसके अलावा, चीन अब GEO (Geo Stationary Orbit) और डीप स्पेस में भी अपनी मौजूदगी मजबूत कर रहा है.

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