Bharat Ratn Aruna Asaf Ali: एक ब्राह्मण प्रोफेसर का मुस्लिम से प्रेम; आज होता तो इसे भी बता दिया जाता 'लव जिहाद'!
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Bharat Ratn Aruna Asaf Ali: एक ब्राह्मण प्रोफेसर का मुस्लिम से प्रेम; आज होता तो इसे भी बता दिया जाता 'लव जिहाद'!

Bharat Ratn Aruna Asaf Ali Death Anniversary: एक बंगाली ब्राह्मण प्रोफेसर अरुणा गांगुली और कांग्रेस नेता आसफ अली का प्यार गुलाम भारत में भी किसी कलंक से कम नहीं था, लेकिन इसके बावजूद दोनों ने शादी की और अपना पूरा जीवन देश की आज़ादी, सामाजिक न्याय और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने में खर्च कर दिया. आसफ अली के समाज और देश को दिए गए योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाज़ा था.   

अरुणा आसफ अली और आसफ अली; फाइल फोटो
अरुणा आसफ अली और आसफ अली; फाइल फोटो

Bharat Ratn Aruna Asaf Ali Death Anniversary: देश की राजधानी दिल्ली की भीड़-भरी सड़कों पर जब हम जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी या तुर्कमान गेट की जानिब बढ़ते हैं, तो अक्सर निगाहें सड़क किनारे लगे एक साइन बोर्ड पर ठहर जाती हैं. इस साइन बोर्ड पर लिखा है अरुणा आसफ अली मार्ग. ये भला कैसा नाम है ? अरुणा भी और आसफ अली भी? किसी के जहन में ये सवाल पैदा हो सकता है कि आखिर कौन है ये शख्सियत जिसके नाम पर सड़क का नामकरण कर दिया गया है? 

भले ही आज की नई नस्ल इस नाम से पूरी तरह वाकिफ न हो, मगर तारीख के पन्ने पलटें तो अरुणा आसफ अली का सार्वजनिक जीवन जितना उपलब्धियों से भरा है, उनकी निजी जिंदगी उतनी ही दिलचस्प और दुश्वार रही है. उनकी जिंदगी हमें एक ऐसी प्रेम कहानी और शख्सियत से रूबरू कराती है, जिसमें सामाजिक रूढ़ियों को आईना दिखाया गया है.

गुलाम भारत में 16 जुलाई 1909 को हरियाणा के कालका में पैदा हुईं अरुणा गांगुली का नाता एक ब्राह्मण परिवार से था, लेकिन उनके इस सफर में जीवन भर के साथी आसफ अली बन गए थे.

अरुणा आसफ अली की पूरी ज़िन्दगी इंसानों के लिए एक प्रेरणा है, जिसमें प्यार, साहस और समाज को बदलने की जिद दिखाई देती है. उनका एक मुस्लिम से प्रेम विवाह करना उस दौर में एक क्रांतिकारी कदम था, जब धर्म और उम्र के अंतर को सामाजिक ताने-बाने में आजाद करने की कल्पना करना भी मुश्किल था. हांलाकि, अरुणा और आसफ अली का रिश्ता सिर्फ जाती नहीं, बल्कि स्वतंत्रता, समानता और सामाजिक न्याय के लिए उनकी साझा विचारधारा पर भी टिका था.

आसफ अली के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अरुणा ने मुल्क की जंग ए आजादी में हिस्सा लिया था. 1942 के 'भारत छोड़ो' आंदोलन में गोवालिया टैंक मैदान पर झंडा फहराने से लेकर ब्रिटिश हुकूमत  को चुनौती देने तक अरुणा ने साबित किया कि प्रेम और क्रांति एक साथ चल सकते हैं. 

महज 19 साल की उम्र में अरुणा गांगुली ने अपने से  21 साल बड़े और मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले आसफ अली से प्रेम विवाह किया था. यह 1928 का वक़्त था, जब अंतर्जातीय और अंतरधार्मिक विवाह समाज के लिए बड़े 'कलंक' थे. अरुणा ने न सिर्फ अपने दिल की सुनी, बल्कि इस प्रेम को स्वतंत्रता संग्राम के साझा जुनून से जोड़कर एक मिसाल भी कायम की. 

 जब अरुणा गांगुली कोलकाता के गोखले मेमोरियल कॉलेज में प्रोफेसर थीं, तो उस दौरान उनकी पहली मुलाकात इलाहाबाद के मशहूर वकील और कांग्रेस नेता आसफ अली से हुई थी. आसफ अली स्वतंत्रता संग्राम में काफी सक्रिय थे. इसी दौरान दोनों के बीच प्रेम पनपा.  इस प्रेम को मंजिल तक पहुंचाने में आसफ अली का 21 साल बड़े होने और एक मुस्लिम होना बहुत बड़ी रुकावट थीं. एक ऐसा रिश्ता, जो रूढ़िवादी समाज के लिए बिलकुल नाकाबिल कबूल था. अरुणा के परिवार, खासकर उनके वालिद उपेंद्रनाथ गांगुली भी इस अंतरजातीय और उम्र के अंतर वाले विवाह के सख्त खिलाफ थे.  इसके बावजूद अरुणा ने 1928 में घर वालों के खिलाफ जाकर अपनी मर्जी से आसफ अली से शादी कर ली. 

शादी के बाद अरुणा की ज़िन्दगी का मकसद ही बदल गया. आसफ अली के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ाव ने अरुणा को भी इस तहरीक में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया. 

भारत की आजादी की पृष्ठभूमि के इर्द-गिर्द बनी इस प्रेम कहानी की बुनियाद सिर्फ रोमांस पर नहीं टिकी थी. अरुणा आसफ अली की विचारधारा स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और महिलाओं के अधिकारों पर केंद्रित थी. वह समाजवादी विचारों से गहराई से मुतासिर थीं और जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया और अच्युत पटवर्धन जैसे समाजवादी नेताओं के साथ मिलकर काम करती थीं.

अरुणा आसफ अली को उनके योगदान के लिए कई अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिनमें 1964 का लेनिन शांति पुरस्कार, 1991 का जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार, और मरणोपरांत 1997 में भारत रत्न शामिल हैं. उनकी याद में दक्षिण दिल्ली में एक सड़क का नाम 'अरुणा आसफ अली मार्ग' रखा गया है. इसके अलावा उनकी स्मृति में 1998 में एक डाक टिकट भी जारी किया गया था. 
29 जुलाई 1996, को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. 

अरुणा आसफ अली की पुण्य तिथि पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उनकी एक तस्वीर के साथ उन्हें खिराजे अकीदत पेश करते हुए लिखा है, " भारत रत्न से सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी, श्रद्धेय अरुणा आसफ अली जी की पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. स्वतंत्रता के लिए आपके समर्पण का राष्ट्रीय कृतज्ञ रहेगा। आपका जीवन नारी शक्ति के लिए प्रेरणा का अनंत स्रोत है. 

हालांकि, एक सवाल मन में बार बार आता है कि अरुणा गांगुली और आसफ अली अगर आज के दौर में होते तो क्या उनके प्यार को भी लव जिहाद नहीं बता दिया जाता, जब देश के हर अंतर्धार्मिक शादियों को लव जिहाद के एंगल से देखा और समझा जा रहा हो.  

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