Bhopal News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भाजपा के लोगों ने नवाब हमीदुल्लाह खान को गद्दार करार देते हुए उनसे जुड़ी संस्थाओं और जगहों के नाम बदलने की मांग की है. भोपाल नगर निगम ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया है, जिससे राज्य की सियासत गरमा गई है.
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Bhopal Nawab Politics: आज़ादी के बाद भी भारत एक पूर्ण देश नहीं था. बल्कि, भारत में कई राजे-रजवाड़े थे. न सिर्फ़ मुस्लिम रियासतें ने भारत में विलय से इनकार किया, बल्कि कई हिंदू रजवाड़ों ने भी भारत में विलय से इनकार कर दिया, लेकिन नवाब रजवाड़े भाजपा की गंदी राजनीति का शिकार हो गए हैं. भाजपा के लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि देश की आज़ादी के बाद नवाब और मुस्लिम रजवाड़े भारत में विलय नहीं करना चाहते थे. पहले मुगलों और हैदराबाद के निज़ाम को खूब बदनाम किया गया. अब ये लोग भोपाल के नवाब को गद्दार कह रहे हैं. और तो और नवाब खानदान से जुड़ी चीज़ों के नाम बदलने पर भी तुले हुए हैं.
दरअसल, भोपाल नगर निगम की बैठक में हमीदिया कॉलेज, हमीदिया स्कूल और हमीदिया अस्पताल का नाम बदलने का प्रस्ताव पास किया गया. यह प्रस्ताव भाजपा पार्षद देवेंद्र भार्गव ने रखा और कहा कि इन संस्थाओं का नाम पाकिस्तान समर्थक और गद्दार नवाब हमीदुल्लाह ख़ान के नाम पर नहीं होना चाहिए.
कांग्रेस ने काटा बवाल
इस बयान पर कांग्रेस पार्षद भड़क गए. विपक्ष की नेता शबिस्ता ज़की ने भाजपा पार्षद से पूछा, "क्या आपको नवाब का इतिहास पता है?" उन्होंने 'गद्दार' शब्द हटाने की मांग की. इसके बाद सदन में माहौल तनावपूर्ण हो गया. नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने नाम परिवर्तन प्रस्ताव बहुमत से पारित होने की घोषणा करते हुए कहा, "हमीदुल्ला खान गद्दार थे, हैं और रहेंगे."
कांग्रेस विधायक ने बीजेपी पर बोला हमला
वहीं, इस विवाद को लेकर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कड़ा विरोध जताया और कहा, "इन लोगों को देश का इतिहास नहीं पता. भारत में आज़ादी के समय 526 रियासतें थीं, लेकिन नवाब हमीदुल्लाह ख़ान अकेले ऐसे नवाब थे जिन्होंने 1929 में महात्मा गांधी को भोपाल बुलाकर उन्हें सरकारी मेहमान बनाया था." आरिफ मसूद ने कहा कि नवाब हमीदुल्लाह ख़ान ने अस्पताल, स्कूल और कॉलेज के लिए ज़मीन दान की थी, आज उन्हीं संस्थानों का नाम बदला जा रहा है. यह एहसान फरामोशी है.
FAQs
1. सावल- स्वतंत्रता के समय किन प्रमुख हिंदू रियासतों ने भारत में विलय से इनकार कर दिया था?
जवाब- भारत की स्वतंत्रता के समय, न केवल मुस्लिम, बल्कि कुछ हिंदू रियासतों ने भी भारत में विलय से इनकार कर दिया था. त्रावणकोर (केरल), जोधपुर (राजस्थान), इंदौर (मध्य प्रदेश) और ग्वालियर (मध्य भारत) जैसी कुछ रियासतों ने भी शुरुआत में भारत में विलय को लेकर हिचकिचाहट दिखाई.
2. सवाल - क्या केवल मुस्लिम नवाबों ने ही भारत में विलय का विरोध किया था?
जवाब- नहीं, यह धारणा कि केवल मुस्लिम नवाबों ने ही भारत में विलय का विरोध किया था, गलत है. वास्तविकता यह है कि कुछ हिंदू शासक भी भारत में विलय से पहले स्वतंत्रता या विशेष शर्तों की मांग कर रहे थे. यह निर्णय धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक कारणों से लिया जा रहा था.
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