Kerala Grand Mufti Aboobacker Musliyar: भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम ए. पी. अबूबकर मुसलियार ने यमन में फंसी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी रुकवाने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने 'खून-बख्शीश' के इस्लामी सिद्धांत का हवाला देकर यमनी धर्मगुरुओं को मना लिया, जिससे सजा फिलहाल टल गई. वहीं, अब मुफ्ती मुसलियार सुर्खियों में हैं.
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Kerala Grand Mufti: केरल के 94 साल के मुस्लिम धर्मगुरु और 'ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया' के तौर पर पहचाने जाने वाले कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार इस समय सुर्खियों में हैं. उन्होंने भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी रुकवाने में बड़ी भूमिका निभाई है. यह घटना यमन की हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले सना शहर की है, जहां निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई थी.
भारत के दसवें और मौजूदा ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम ए. पी. अबूबकर मुसलियार देश और दुनिया में अपने शांति प्रयासों, धार्मिक संवाद और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कामों के लिए मशहूर हैं. केरल के कोझिकोड में 22 मार्च 1931 को जन्मे मुसलियार ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा और समस्त केरल जमीयतुल उलेमा (एपी ग्रुप) के महासचिव भी हैं.
मुफ्ती मुसलियार का ऑफिशिलय नाम शेख अबूबकर अहमद है. मुफ्ती अबूबकर मुसलियार केरल के रहने वाले हैं और भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के बड़े धार्मिक नेता माने जाते हैं. उन्हें भारत और दक्षिण एशिया में इस्लामी विद्वान के रूप में बड़ी इज्जत से देखा जाता है. हालांकि, 'ग्रैंड मुफ्ती' का पद भारत सरकार के जरिये ऑफिशियली मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन अबूबकर मुसलियार इस खिताब को धारण करने वाले 10वें मुस्लिम धर्म गुरु माने जाते हैं.
साल 2019 में मुसलियार को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में ऑल इंडिया तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम के जरिये भारत का ग्रैंड मुफ्ती घोषित किया गया. यह कार्यक्रम उपस्थिति के लिहाज से रामलीला मैदान का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना गया.
मुसलियार ने दुनियाभर में अंतरधार्मिक संवाद और मानवता के लिए शांति सम्मेलनों में हिस्सा लिया है. उन्होंने दुबई में आयोजित वर्ल्ड टॉलरेंस समिट और ग्लोबल ह्यूमन फ्रैटरनिटी कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेकर पोप फ्रांसिस से भी मुलाकात की. इसके अलावा वह मार्कज नॉलेज सिटी, यूनानी मेडिकल कॉलेज और कई उच्च शिक्षा संस्थानों से जुड़े हैं. उनका मानना है कि "तालीम ही अमन की चाभी है."
मुफ्ती मुसलियार ने 2014 में ISIS के खिलाफ फतवा जारी करने वाले पहले आलिमेदीन थे. उनके फतवे को यूएई नेशनल आर्काइव्स में संरक्षित किया गया है. उन्होंने कट्टरपंथ और आतंकवाद के खिलाफ कई बार कड़ा रुख अपनाया है. उन्होंने देश में मुसलमानों के उत्थान के लिए कई काम किए हैं. विवादित नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी का मुसलियार ने पुरजोर विरोध किया था. बाद में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर धार्मिक आधार पर नागरिकता तय करने के प्रावधान को हटाने की अपील की थी.
मुसलियार ने बाबरी मस्जिद फैसले से पहले मुस्लिम समुदाय से शांति बनाए रखने की अपील की और फैसले के बाद भी सभी से भारत की अखंडता और सांप्रदायिक सौहार्द को प्राथमिकता देने का आग्रह किया. शिक्षा के क्षेत्र में उनके शानदार कामों और दुनिया में शांति लाने के लिए किए गए उपायों को कई मंचों से सम्मानित किया गया
ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम ए. पी. अबूबकर मुसलियार को साल 2023 में मलेशिया के राजा के जरिये "टोकोह माल हिजरा इंटरनेशनल अवॉर्ड" से सम्मानित किया गया. साथ ही उन्हें OIC टुडे के जरिये "ज्वेल ऑफ वर्ल्ड मुस्लिम बिजनेस अवॉर्ड", इस्लामिक हेरिटेज अवॉर्ड और इंडो-अरब पर्सनैलिटी अवॉर्ड से भी नवाज जा चुका है.
मुफ्ती अबूबकर मुसलियार ने यमन के धार्मिक नेताओं से बातचीत कर 'माफी के बदले मुआवजा' यानी 'खून-बख्शीश' के इस्लामी सिद्धांत के आधार पर निमिषा प्रिया को बचाने की पहल की. उन्होंने कहा कि इस्लाम में अगर कोई शख्स कत्ल करता है, तो पीड़ित परिवार चाहे तो उसे माफ कर सकता है, खासकर जब इसके बदले में मुआवजा दिया जाए.
ऐसे समय जब निमिषा प्रिया की फांसी टलवाने का क्रेडिट भारत सरकार को दिया जा रहा था, ठीक उसी समय अबूबकर मुसलियार की भूमिका का खुलासा होने पर लोगों को उनके बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई. मुसलियार ने बताया, "मैंने यमन के विद्वानों से संपर्क किया और उन्हें हालात समझाए. इस्लाम इंसानियत को बहुत अहमियत देता है." उनकी कोशिशों के बाद यमन के धार्मिक विद्वानों ने औपचारिक रूप से सूचित किया कि निमिषा की फांसी को टाल दिया गया है, जिससे आगे की बातचीत का रास्ता खुल गया.
इसके बाद उन्होंने यह जानकारी भारत सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजी है. निमिषा प्रिया को जुलाई 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तालाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी, जिसे 2023 में हूती प्रशासन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने भी बरकरार रखा.
भारत सरकार और कुछ सामाजिक संगठनों ने भी निमिषा को बचाने के लिए काफी कोशिस की. फिलहाल उनकी मां यमन में मौजूद हैं और पीड़ित परिवार से बातचीत की कोशिश कर रही हैं ताकि किसी समझौते के जरिए निमिषा की जान बचाई जा सके. इस पूरे मामले को और भी पेचीदा बना देता है भारत और यमन के हूती प्रशासन के बीच राजनयिक संबंधों की कमी. बावजूद इसके ग्रैंड मुफ्ती की पहल से उम्मीद की एक किरण नजर आई है.
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