Prophet Muhammad PBUH as a Role Model: मशहूर अमेरिकी इतिहासकार माइकल हार्ट ने अपनी किताब में आखिरी नबी पैगंबर हजरत मोहम्मद (स.अ.) को दुनिया की सबसे प्रभावशाली शख्सियत बताया. गांधी, कार्लाइल और लेमार्टिन जैसे दिग्गजों ने भी उन्हें सच्चा, ईमानदार और इंसानियत का रहनुमा कहा. इसकी चर्चा आज इसलिए जरुरी है क्योंकि न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मुसलमानों को उनके मजहब के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है.
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Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam: दुनिया की उत्पत्ति से लेकर अब तक की सबसे प्रभावशाली शख्सियत कौन है? यह सवाल जितना बड़ा है, उतना ही दिलचस्प और बहस को जन्म देने वाला भी. लेकिन इस सवाल का एक ऐतिहासिक और बौद्धिक उत्तर मशहूर अमेरिकी इतिहासकार माइकल एच. हार्ट ने अपनी चर्चित किताब The 100: A Ranking of the Most Influential Persons in History में देने की कोशिश की है.
हार्ट ने इस किताब में जिन 100 हस्तियों को शामिल किया है, उनमें पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को पहला स्थान दिया गया है. उनका मानना था कि पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इकलौती ऐसी शख्सियत हैं जो धार्मिक और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर सफल रहे. हार्ट लिखते हैं, "वे तन्हा शख्स हैं, जिन्होंने धार्मिक और दुनियावी मामलों में एक समान रूप से गैर मामूली कामयाबी हासिल की है."
इतिहासकारों का एक बड़ा तबका भी इस बात पर सहमत है कि पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का प्रभाव अरब के जनजीवन से लेकर आज दुनिया के अरबों मुस्लिमों के सामाजिक, आध्यात्मिक और कानूनी जीवन तक फैला हुआ है. उनकी जिंदगी मुसलमानों से परे दूसरे मजहब के लोगों के लिए भी एक आइडियल है.
सिर्फ माइकल एच. हार्ट ही नहीं बल्कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के जरिये पब्लिश कई रिसर्च में भी यह बताया गया है कि इस्लाम का विस्तार और सामाजिक न्याय की अवधारणाएं किस तरह पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के संदेश से प्रभावित रहीं.
हालांकि, इस लिस्ट में अन्य प्रभावशाली नाम भी हैं, जैसे ईसा मसीह, गौतम बुद्ध, अल्बर्ट आइंस्टीन, आइजैक न्यूटन और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी. लेकिन जहां बाकी लोग किसी एक क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए, वहीं पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का प्रभाव बहुआयामी रहा है.
ब्रिटिश लेखक और चिंतक ने आखिरी नबी (स.अ.) के बारे में कहा, "अगर आज मोहम्मद (स.अ.) होते, तो वह इस दुनिया की समस्याओं को ऐसे हल करते जैसे वह चाय पी रहे हों. वह सबसे महान शख्सियतों में से एक थे जिन्हें आलिमे इंसानियत ने कभी देखा."
फ्रेंच इतिहासकार लेमार्टिन ने कहा, "अगर महानता की तीन कसौटियों, मकसद की अजमत, साधनों की कमी और नतीजों में हैरतअंगेज कामयाबी पर किसी शख्स को परखें, तो कौन इतिहास में मोहम्मद (स.अ.) के बराबर ठहर सकता है?"
ब्रिटिश इतिहासकार थॉमस कार्लाइल ने लिखा, "पैगंबर मोहम्मद (स.अ.) एक सच्चे हीरो थे. उनके अंदर वह ताकत थी, जो एक पूरी कौम को अंधेरे से निकाल कर रौशनी की ओर ले गई."
पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शख्सियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके बारे महात्मा गांधी ने भी कई अहम बातें कहीं. जिसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब 'यंग इंडिया' में किया है. आजीवन दुनिया के सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक महात्मा गांधी की श्रद्धा और सम्मान के साथ कई बार किया गया जिक्र तारीखी ऐतबार से काफी अहम है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1924 में लिखी गई अपनी किताब 'यंग इंडिया' में पैगंबर मोहम्मद (स.अ.) के बार में कहा, "मैं चाहता था कि मैं जान सकूं कि वह शख्स कौन था, जिसने लाखों लोगों के दिलों पर बगैर तलवार के राज किया. मैंने उनके जीवन का अध्ययन किया, जिससे यह साफ हो गया कि यह तलवार नहीं थी जिसने इस्लाम को फैलाया बल्कि यह पैगंबर मोहम्मद (स.अ.) की सच्चाई, ईमानदारी, उनका आत्म-त्याग और अपने साथियों के प्रति निष्ठा थी."
अहिंसा और सच्चाई के बलबूते अंग्रेजी जुल्म की नींव हिला देने वाले बापू ने लिखा, "मुहम्मद साहब (स.अ.) की जिंदगी मुझे एक सच्चे और अल्लाह के लिए वक्फ एक शख्स की तस्वीर दिखी. उन्होंने मुश्किल हालात में धैर्य अपना सब्र नहीं खोया और हमेशा सच्चाई पर टिके रहे."
यही वजह है कि आज भी इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मजहब है और यह संदेश देता है कि एक शख्स के किरदार और ख्यालात एक पूरी सभ्यता को बदलने की चरित्र और विचार पूरी सभ्यता को बदलने की सलाहियत और कुव्वत रखते हैं.