इस्लाम के इतिहास की वह जंग जिसमें नहीं गई किसी की जान, मुसलमान बने थे सुपरपावर
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इस्लाम के इतिहास की वह जंग जिसमें नहीं गई किसी की जान, मुसलमान बने थे सुपरपावर

Islam: जंग-ए-तबूक पैगंबर मोहम्मद (स.अ) की आखिरी जंग थी, जिसमें मुसलमान बिना लड़े ही जीत गए. 30 हजार की मुस्लिम फौज को देखकर रोमन साम्राज्य पीछे हट गया. इस दौरान पैगंबर मोहम्मद (स.अ) को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

 

इस्लाम के इतिहास की वह जंग जिसमें नहीं गई किसी की जान, मुसलमान बने थे सुपरपावर

Islam: पैगंबर मोहम्मद (स.अ) के रहते हुए मुसलमानों ने कई बड़ी जंगे लड़ी, जिनमें से कुछ बड़ी जंगे बद्र, ओहद, खंदक और खैबर थी. इनमें से एक जंग ऐसी भी थी जो होती तो बड़ा कत्लेआम होता, लेकिन वह जंग बिना लड़े ही मुसलमान जीत गए, और दुनिया का सुपरपावर बन गए. इस जीत को इस्लाम की इतिहास की बड़ी जीत माना गया. इस जंग का नाम जंग-ए-तबूक था.

पैगंबर मोहम्मद (स.अ) की आखिरी जंग

Jang e Tabuk पैगंबर मोहम्मद (स.अ) की आखिरी जंग थी. इसके बाद उनका इस दुनिया में मिशन पूरा हो गया और कुछ साल बाद उनका इंतेकाल हो गया. आज हम आपको इस जंग के बारे में जानकारी देने वाले है. तो आइये जानते हैं.

रोमन एंपायर के खिलाफ थी जंग

जंग-ए-बद्र में मक्का फतेह करने के बाद लोगों को यकीन हो गया था कि हुजूर (स.अ) ही अल्लाह के रसूल हैं, जिसके बाद अरब के लोग तेजी से इस्लाम कबूल करने लगे. मुसलमानों का परचम पूरे अरब में फैलने लगा. लेकिन, अरब से बाहर उस वक्त दुनिया का सुपर पावर कहे जाने वाले रोमन अंपायर अरबों को इकट्ठा होता देखकर नाखुश थे. उन्हें इस बात का डर सता रहा था कि कहीं अरब उनके लिए मुसीबत न बन जाएं.

पूरी दुनिया में यह बात फैलने लगी कि रोमन एंपायर मुसलमानों पर हमला करने वाले हैं. इन खबरों के बाद मुसलमान हर वक्त अलर्ट रहने लगे. ऐसा कहा जा रहा था कि रोम 1 लाख की फौज लेकर मुसलमानों की तरफ बढ़ रहे हैं. ये खौफ होना लाज़िम भी था, क्योंकि इससे पहले रोम परशिया को हराकर दुनिया का सुपर पावर बना था. 

रोम के खिलाफ जंग का ऐलान

हिजरत के 9 साल बाद पैगंबर मोहम्मद (स.अ) ने रोम के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया. उस वक्त हालात इतने संजीदा हो चुके थे कि आप (स.अ) ने पहले ही ऐलान कर दिया कि वह रोम पर हमला करने वाले हैं, आम तौर पर वह किसी भी जगह पर हमला करने से इतने दिन पहले किसी को कुछ नहीं बताते थे.

इस दौरान ऐलान किया गया कि हर मुसलमान का इस जंग में शरीक होना फर्ज है, और जो भी मुसलमान इस जंग में शरीक नहीं होगा उसे मुनाफिक घोषित कर दिया जाएगा.

मुनाफिकों ने की साज़िश

इस दौरान मुनाफिकों ने मुसलमानों को रोम की ताकत दिखाकर डराना शुरू कर दिया. इसके बाद अरब दो भागों में बट गया. पहला वह जो अपना सब कुछ कु्र्बान करके पैगंबर मोहम्मद (स.अ) के साथ हो गए और दूसरे वो जो इस जंग से बचने के लिए तरह-तरह के बहाने और तर्क देने लगे.

क्या था इस जंग में चैलेंज?

जब लोग इकट्ठा होने शुरू हुए तो लड़ने वालों की तादाद 30 हजार पहुंच गई. अब ऐसे में इतनी बड़ी फौज को मैनेज करना काफी मुश्किल था. इसके साथ ही एक दिक्कत ये भी थी कि मुसलमानों को यह जंग गर्मी के महीने में लड़नी थी, और अरब की गर्मी गोश्त जला देने वाली होती है.

अपनाई ये पॉलिसी

इस दिक्कत से निपटने के लिए मुसलमानों ने फंड इकट्ठा करना शुरू किया. जिसकी जितनी हैसियत होती, वह उतना फंड देता. इससे पहले हुई जंगों में पैगंबर मोहम्मद (स.अ) ने जो भी माले गनीमत हासिल किया, वह मुसलमानों में बांट दिया. अब मुसलमानों की बारी थी कि वह इस जंग में तआवुन करें, और ऐसा ही हुआ.

इस दौरान हजरत उमर ने अपनी आधी प्रॉपर्टी, अबू बकर सिद्दीक ने अपनी पूरी जायदाद और हजरत उसमान जो उस वक्त अरब की अमीर शख्सियतों में शामिल होते थे उन्होंने 900 ऊंट, 100 घोड़े और 1 हजार दीनार डोनेट किए. किसी सहाबा ने खजूर तो किसी न कुछ डोनेट किया.

700 किलोमीटर दूर का गर्मी का सफर

पैसा तो इकट्ठा हो गया लेकिन वह इतना नहीं था कि 30 हजार की फौज को मैनेज कर सके. मदीना से तबूक 700 किलोमीटर था और 18 सहाबाओं पर एक ऊट था. ऐसे में सभी ने बारी-बारी करके इनका सफर किया. लेकिन 15 दिनों के सफर में मुसलमानों का खाना खत्म हो गया. ऐसे में इन्हें इन ऊंटो को भी ज़िब्हा करना पड़ गया.

15 दिनों बाद आखिरकार मुसलमान तबूक पहुंच गए और वहां जाकर वह रोमन एंपायर से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार थे. लेकिन, काफी वक्त इंतेजार करने के बाद भी मुसलमानों से लड़ने कोई नहीं आया.

स्कॉलर्स का मानना है कि मुसलमानों की इतनी बड़ी फौज देखकर रोम डर गए और वहां से भाग खड़े हुए; क्योंकि इससे पहली जंग में भी मुसलमानों की कम तादाद होने के बावजूद उन्होंने फतह हासिल की थी. 

पुरानी जंग बनी मिसाल

बदर की जंग में मुसलमान 313 थे और उन्होंने 1 हजार की फौज से लड़ाई की थी.  ओहद की जंग में मुसलमान 1 हजार थे और दुश्मन तीन हजार थे, खंदक में मुसलमान 3 हजार और दुश्मन 10 हजार थे.

इस हादसे के बाद पूरी दुनिया में बात फैल गई कि मुसलमान अपनी फौज लेकर गए, लेकिन दुनिया की सबसे बड़ा सुपर पावर रोम डरकर भाग खड़ा हुआ . इस वाकिये के बाद दुनिया मुसलमानों को एक पावरफुल एंपायर के तौर पर देखने लगी. रोम के आसपास के किंगडम्स ने भी इसके बाद मुसलमानों  के सामने सरेंडर किया. इस वाकिये के बाद मुसलमान मदीना लौटे तो उनका जबरदस्त स्वागत किया गया. इस तरह ये जंग बिना लड़े ही मुसलमान जीत गए.

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