ओडिशा में फॉरेस्ट रेंज में कार्यरत डिप्टी रेंजर रामचंद्र नेपक के घर से जो मिला, उसने सबको चौंका दिया. 69,680 रुपये की मासिक सैलरी वाले इस सरकारी अफसर के पास से ₹1.44 करोड़ नकद, 1.5 किलो सोना, 4.63 किलो चांदी बरामद हुई.
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ओडिशा के कोरापुट जिले के जयपुर फॉरेस्ट रेंज में कार्यरत डिप्टी रेंजर रामचंद्र नेपक के घर से जो मिला, उसने सबको चौंका दिया. 69,680 रुपये की मासिक सैलरी वाले इस सरकारी अफसर के पास से ₹1.44 करोड़ नकद, 1.5 किलो सोना, 4.63 किलो चांदी और कई लग्जरी संपत्तियां बरामद हुई हैं. सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि जयपुर स्थित 'गोल्डन हाइट्स' अपार्टमेंट के एक फ्लैट में एक गुप्त तहखाना भी मिला, जिसमें नोटों के बंडल छिपाकर रखे गए थे.
छापेमारी 6 अलग-अलग ठिकानों पर हुई, जिनमें जयपुर के दो फ्लैट, कार्यालय, पुश्तैनी जमीन पर बना मकान, ससुराल और भुवनेश्वर का एक अपार्टमेंट शामिल था. इस छापे में 6 डीएसपी, 5 इंस्पेक्टर, 9 एएसआई समेत बड़ी संख्या में अधिकारी शामिल थे. सीक्रेट रूम में मिले कैश को गिनने के लिए काउंटिंग मशीन तक मंगानी पड़ी. ऐसे में क्या आपके मन में भी सवाल उठा है कि रेड में बरामद किए गए कैश, सोना-चांदी और अन्य चीजों का क्या होता है? अगर आप नहीं जानते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं.
इस 'खजाने' का क्या होगा?
जब सतर्कता विभाग (विजिलेंस) किसी अधिकारी के पास से इतनी बड़ी मात्रा में अवैध संपत्ति बरामद करता है, तो पूरी प्रक्रिया बेहद कानूनी, पारदर्शी और नियमबद्ध होती है:
* सबसे पहले, जब्त नकदी, सोना-चांदी और अन्य संपत्ति का डिटेल्ड इन्वेंटरी बनाया जाता है.
* इन वस्तुओं को सरकारी सुरक्षित गोदाम या बैंक लॉकर में जमा किया जाता है.
* मालिक (नेपक) से पूछताछ की जाती है और उन्हें इसका सही सोर्स बताने का मौका मिलता है.
* अगर वह नकदी और संपत्ति का कोई कानूनी आधार नहीं दे पाते, तो इसे अवैध संपत्ति माना जाता है.
* इसके बाद यह संपत्ति सरकारी खजाने में जमा की जा सकती है या नीलामी कर दी जाती है.
अगर अदालत में यह साबित हो गया कि यह सम्पत्ति भ्रष्टाचार या किसी अपराध से जुड़ी है, तो रामचंद्र नेपक पर भ्रष्टाचार अधिनियम, आय से अधिक संपत्ति रखने और आपराधिक षड्यंत्र जैसे गंभीर आरोप तय किए जा सकते हैं.