Skill Development in India: भारत के युवाओं को अब सिर्फ मौका नहीं, इक्विपमेंट, गाइडेंस और सेल्फ कॉन्फिडेंस चाहिए. बात सिर्फ नौकरियां क्रिएट करने की नहीं है, बल्कि युवाओं को उन नौकरियों के लिए तैयार करने की है.
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Skill Gap in India: भारत दुनिया का सबसे युवा देश है यहां की 65% से ज़्यादा आबादी 35 साल से कम उम्र की है. यह आंकड़ा किसी वरदान से कम नहीं, लेकिन तभी जब इस ऊर्जा और जोश को सही दिशा मिले. हर साल लाखों युवा पढ़ाई पूरी कर जॉब मार्केट में उतरते हैं, लेकिन ज्यादातर को मनचाहा काम नहीं मिल पाता. वजह? उनमें मोटिवेशन की कमी नहीं, बल्कि स्कूलों में मिली थ्योरी और असली दुनिया की जरूरतों के बीच का भारी फर्क है.
क्या सिर्फ डिग्री से बन पाएगा करियर?
आज का जॉब मार्केट तेजी से बदल रहा है कभी टेक्नोलॉजी के कारण, कभी जलवायु के मुद्दों के चलते, तो कभी डिजिटल टूल्स की वजह से. ऐसे में सिर्फ डिग्री से काम नहीं चलता. आज के युवा को ऐसी प्रैक्टिकल स्किल्स चाहिए जो सीधे जॉब की डिमांड से मेल खाएं. बात सिर्फ नौकरियां बनाने की नहीं है, बल्कि युवाओं को उन नौकरियों के लिए तैयार करने की है.
डिग्री है, फिर भी क्यों नहीं मिलती नौकरी?
हर साल लाखों ग्रेजुएट निकलते हैं, फिर भी कंपनियों को ऐसे लोग नहीं मिलते जो पहले दिन से काम संभाल सकें. रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत के करीब 47% वर्कर्स को "नॉन-एम्प्लॉयेबल" माना गया है, क्योंकि उनमें प्रॉब्लम सॉल्विंग, कम्युनिकेशन और टीमवर्क जैसी बेसिक स्किल्स की कमी है. असली चुनौती यह है कि पढ़ाई से ज्यादा जरूरी हो गया है उस नॉलेज को सही जगह और तरीके से इस्तेमाल करना.
क्या आज की पढ़ाई, कल की जरूरतों को पूरा कर पाएगी?
भारत की इकोनॉमी डिजिटल और इंडस्ट्रियल मोड़ पर तेजी से आगे बढ़ रही है. मैन्युफैक्चरिंग, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और सर्विस सेक्टर्स में अब वही लोग टिकते हैं जिनके पास डिजिटल नॉलेज, फ्लेक्सिबिलिटी और रियल वर्ल्ड एक्सपीरियंस होता है. यह वे गुण हैं जो ट्रेडिशनल एजुकेशन में अक्सर नदारद रहते हैं.
क्या स्किल इंडिया मिशन बदल रहा है तस्वीर?
देश ने इस स्किल गैप को भरने के लिए कई पहल की हैं. स्किल इंडिया मिशन के तहत 2015 से अब तक 1.4 करोड़ से ज्यादा युवाओं को ट्रेनिंग दी गई है. इसके नए वर्जन PMKVY 4.0—में AI, ग्रीन एनर्जी और डेटा एनालिटिक्स जैसी स्किल्स को कोर्सेस में शामिल किया जा रहा है ताकि युवा ग्लोबल स्टैंडर्ड पर फिट बैठ सकें. साथ ही, इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप को भी बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि युवा क्लासरूम से बाहर निकलकर असली दुनिया की तैयारी कर सकें.
गांव, महिलाएं और गरीब तबके क्या स्किलिंग से बाहर हैं?
हालांकि स्किलिंग को सभी के लिए सुलभ बनाना अभी भी एक बड़ी चुनौती है. गांवों में रहने वाले युवा, महिलाएं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग आज भी क्वालिटी ट्रेनिंग से वंचित हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण भारत के लगभग 80% युवाओं ने आज तक कोई स्किल ट्रेनिंग नहीं ली है. डिजिटल गैप भी एक और बाधा है इंटरनेट और डिवाइसेज की कमी से ऑनलाइन स्किलिंग भी सब तक नहीं पहुंच पा रही.
क्या युवा अब सिर्फ नौकरी नहीं, खुद की पहचान बना रहे हैं?
युवाओं की सोच भी बदल रही है वे अब सिर्फ नौकरी की तलाश में नहीं हैं, वे खुद भी नौकरियां देने वाले बनना चाहते हैं. आज का युवा फ्रीलांसिंग, गिग इकोनॉमी और डिजिटल एंटरप्रेन्योरशिप को करियर का हिस्सा मान रहा है. फाइनेंशियल लिटरेसी, डिजिटल टूल्स और पर्सनल ब्रांडिंग जैसी स्किल्स उन्हें माइक्रो-एंटरप्राइज और स्वतंत्र करियर की राह पर ला रही हैं.
क्या हम मिलकर बना सकते हैं स्किल्ड भारत?
स्किल गैप भरना एक दिन का काम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जिम्मेदारी है. इसके लिए सरकार, इंडस्ट्री और एजुकेशन वर्ल्ड को एक साथ आना होगा. टेक्नोलॉजी को सभी के लिए सुलभ बनाना होगा, और यह सुनिश्चित करना होगा कि हर युवा को समान मौके और सही मार्गदर्शन मिले.
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अंत में सवाल सिर्फ नौकरियों का नहीं, नागरिकों की काबिलियत का है
भारत के युवाओं को अब सिर्फ मौका नहीं, इक्विपमेंट, गाइडेंस और सेल्फ कॉन्फिडेंस चाहिए. अगर हम यह दे सके, तो भारत दुनिया का सबसे स्किल्ड और भविष्य-रेडी देश बन सकता है. क्योंकि बात सिर्फ वर्कर्स की नहीं है हमारा लक्ष्य काबिल नागरिक बनाना होना चाहिए.
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