Dean of Student Well-Being: IIT खड़गपुर की यह पहल उन सभी संस्थानों के लिए उदाहरण है जो चाहते हैं कि उनके छात्र न केवल पढ़ाई में अच्छा करें, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मजबूत बनें.
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Mental Health Initiatives: IIT खड़गपुर ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. पहली बार, संस्थान में स्टूडेंट वेल-बीइंग डीन का पद बनाया गया है. इस पद पर अरुण चक्रवर्ती को नियुक्त किया गया है, जो सेंटर फॉर ओशन, रिवर, एटमॉस्फियर एंड लैंड साइंसेज में प्रोफेसर हैं.
संस्थान के निदेशक सुमन चक्रवर्ती ने इस घोषणा को 26 जुलाई को नए B.Tech बैच के इंडक्शन प्रोग्राम में किया. इस पद को बनाने का मुख्य कारण यह है कि छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर समय रहते ध्यान दिया जा सके. पिछले सात महीनों में कैंपस में चार छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी. इनमें सबसे हाल का मामला 18 जुलाई का है, जब चौथे साल के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र रितम मंडल अपने हॉस्टल रूम में मृत पाए गए थे.
निदेशक का कहना है, "यह संभवतः देश के किसी भी IIT में पहली बार हो रहा है कि डीन लेवल का कोई व्यक्ति सिर्फ छात्रों की भलाई के लिए नियुक्त किया गया है. हमारे पास बहुत बड़ी संख्या में छात्र हैं, इसलिए ऐसे डीन की जरूरत है जो केवल वेलफेयर एक्टिविटीज पर ध्यान दे."
अरुण चक्रवर्ती का मानना है कि यह भूमिका चुनौतीपूर्ण है, लेकिन जरूरी भी है. वे कहते हैं, "हम कोई भी दुखद घटना नहीं चाहते. हर छात्र किसी भी समय हमसे संपर्क कर सकता है. छोटी से छोटी समस्या भी सुनी जाएगी. मैंने छात्रों से कहा है कि मैं 24x7 उपलब्ध हूं. घबराने की जरूरत नहीं है, हम यहां आपके माता-पिता की तरह हैं."
IIT खड़गपुर में 21 हॉस्टल हैं, जिनमें करीब 16,000 छात्र रहते हैं. पहले से ही एक डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स मौजूद है, लेकिन निदेशक ने बताया कि 'स्टूडेंट अफेयर्स' और 'स्टूडेंट वेल-बीइंग' अलग बातें हैं. डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स का काम प्रशासनिक मामलों जैसे हॉस्टल अलॉटमेंट और अनुशासन से जुड़ा है, जबकि नए डीन का ध्यान व्यक्तिगत और मानसिक समस्याओं को पहचानने और हल करने पर होगा.
संस्थान पहले से कई कदम उठा चुका है, जैसे कि AI-बेस्ड मानसिक स्वास्थ्य प्लेटफॉर्म SETU, नया काउंसलिंग सेंटर, "कैंपस मदर्स" योजना, स्टूडेंट टास्क फोर्स, और स्ट्रेस मैनेजमेंट वर्कशॉप. इन सबका मकसद छात्रों को तनाव से बचाना और उनके जीवन में पॉजिटिव माहौल बनाना है.
IIT खड़गपुर की यह पहल उन सभी संस्थानों के लिए उदाहरण है जो चाहते हैं कि उनके छात्र न केवल पढ़ाई में अच्छा करें, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मजबूत बनें.
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