Flibrary: लाइब्रेरी में तो पढ़ते आए हैं अब तक आखिर क्या है "फ्लाइब्रेरी"?
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Flibrary: लाइब्रेरी में तो पढ़ते आए हैं अब तक आखिर क्या है "फ्लाइब्रेरी"?

Flibrary in India: यह भारत में ऐसी पहल है, जहां एयरपोर्ट के बिजी माहौल में किताबों को पढ़ने, दान करने और घर ले जाने की पूरी छूट है.

Flibrary: लाइब्रेरी में तो पढ़ते आए हैं अब तक आखिर क्या है "फ्लाइब्रेरी"?

Difference Between Library and Flibrary: हम सभी ने अब तक "लाइब्रेरी" का नाम तो सुना है, जहां किताबें होती हैं और शांति से बैठकर पढ़ाई करते हैं, लेकिन अब समय बदल रहा है और इसी बदलाव का प्रतीक बनकर सामने आई है "फ्लाइब्रेरी". यह शब्द सुनने में भले ही नया लगे, लेकिन इसका मकसद शिक्षा को एक नई ऊंचाई पर ले जाना है.

"फ्लाइब्रेरी" दरअसल एक ऐसी लाइब्रेरी है जो पंख लगाकर उड़ती नहीं, लेकिन ज्ञान के पंख जरूर देती है. जिसमें सैकड़ों किताबें, पढ़ाई की सुविधा होती हैं. यह उन क्षेत्रों तक पहुंचती है जहां लोगों के पास एक जगह बैठकर किताब पढ़ने का वक्त नहीं है. स्थायी लाइब्रेरी नहीं हैं - जैसे एयरपोर्ट.

भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर किताबों से जुड़ा एक अनोखा दृश्य देखने को मिलता है. एक ऐसी जगह जहां न कोई लाइब्रेरी कार्ड चाहिए, न कोई रजिस्ट्रेशन, न कोई नियम-कायदे, और न ही कोई कर्मचारी. यहां है "फ्लाइब्रेरी", यानी उड़ती हुई लाइब्रेरी.

यह भारत में ऐसी पहल है, जहां एयरपोर्ट के बिजी माहौल में किताबों को पढ़ने, दान करने और घर ले जाने की पूरी छूट है. फ्लाइब्रेरी में हिंदी, अंग्रेजी और ओड़िया भाषा की 600 से ज्यादा किताबें रखी गई हैं, जिन्हें यात्री बिना किसी औपचारिकता के घर ले जा सकते हैं और पढ़ने के बाद किताब को फिर से वापस कूरियर से भेज सकते हैं.

यहां कोई निगरानी नहीं है, कोई पाबंदी नहीं. इस अनोखी लाइब्रेरी की सबसे बड़ी खूबी यही है – विश्वास. यहां आने वाले यात्री अपनी पसंद की किताब चुनते हैं, कुछ वहीं बैठकर पढ़ते हैं, कुछ साथ ले जाते हैं, तो कई लोग किताबें दान भी करते हैं. फ्लाइब्रेरी सिर्फ एक किताबों का स्टैंड नहीं, बल्कि एक सोच है – कि ज्ञान को पिंजरे में नहीं, भरोसे के पंखों पर उड़ाया जाए.

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इस पहल ने यात्रियों के सफर को एक नया रंग दिया है. जहां आमतौर पर इंतजार उबाऊ होता है, वहां अब किताबें साथी बन गई हैं. यह पहल बताती है कि अगर नीयत साफ हो और मकसद साझा हो, तो शिक्षा और साहित्य हर जगह उड़ान भर सकते हैं. यहां तक कि एक एयरपोर्ट पर भी.

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चेतन शर्मा

चेतन शर्मा 2013 से मीडिया इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं. हिंदुस्तान अखबार से करियर की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, NBT में भी काम किया. साल 2016 में डिजिटल मीडिया में कदम रखा और जनसत्ता डॉट कॉम से ...और पढ़ें

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