राहुल गांधी तो बैरिगेडिंग के पार खड़े होकर देखते रहे लेकिन उनके सहयोगी अखिलेश यादव ने तुरंत बैरिगेटिंग के ऊपर से छलांग लगा दी और उसके पार निकल गए. कहने को तो ये 'पॉलिटिकल जंप' अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के समर्थन में लगाई थी लेकिन आंकड़े और हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं.
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Akhilesh Yadav's Political Jump: सोमवार (11 अगस्त) को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इलेक्शन कमीशन के सामने लगाई गई पुलिस की बैरीगेटिंग कूद कर पार निगल गए. अखिलेश यादव की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. यहां बड़ा सवाल ये है कि अखिलेश यादव की ये 'पॉलिटिकल जंप' किसके लिए समाजवादी पार्टी के लिए या फिर राहुल गांधी के लिए? कहने को तो अखिलेश यादव और राहुल गांधी की पार्टियों का चुनावी गठबंधन हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने जिस तरह से उत्तर प्रदेश की सीटों पर शिकंजा कसा है वो कहीं न कहीं राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 'वोट चोरी' का आरोप लगाते हुए पार्लियामेंट से निकलकर इलेक्शन कमीशन दफ्तर की ओर जैसी ही निकले तो उनके साथ विपक्ष के तमाम नेता भी निकल पड़े. इसी दौरान पुलिस ने बैरिगेटिंग लगाकर विपक्ष के सभी नेताओं का रास्ता रोक लिया.राहुल गांधी तो बैरिगेडिंग के पार खड़े होकर देखते रहे लेकिन उनके सहयोगी अखिलेश यादव ने तुरंत बैरिगेटिंग के ऊपर से छलांग लगा दी और उसके पार निकल गए. कहने को तो ये 'पॉलिटिकल जंप' अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के समर्थन में लगाई थी लेकिन आंकड़े और हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं.
2017 में पहली बार साथ आए थे राहुल और अखिलेश
साल 2017 में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव जिसमें दो लड़के (अखिलेश यादव और राहुल गांधी) एक साथ चुनावी मैदान में उतरे थे. इस चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने रिकॉर्डतोड़ 325 सीटें जीतीं थीं. वहीं कांग्रेस और सपा गठबंधन ने कुल 54 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसमें से भी सपा के खाते में 47 सीटें आईं थीं जबकि कांग्रेस को महज 7 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. एक राष्ट्रीय पार्टी जिसने लगभग 60 सालों तक देश पर राज किया हो उसकी ये दशा. दरअसल कांग्रेस के परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक में सपा सेंध लगा चुकी थी. इसके बाद किसी भी चुनाव में कांग्रेस सपा से आगे नहीं निकल पाई चाहे वो लोकसभा का चुनाव रहा हो या फिर विधानसभा का.
समाजवादी पार्टी को मिला है यूपी में बड़ा फायदा
लोकसभा चुनावों में भी सपा-कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ते हैं लेकिन साल 2014 के बाद से अगर हम आंकड़ों पर गौर करें तो समाजवादी पार्टी लगातार कांग्रेस को पीछे धकेलने में कामयाब रही है. कांग्रेस यूपी में पैर पसारने की कोशिश जरूर कर रही है लेकिन समाजवादी पार्टी के रहते ये शायद ही मुमकिन हो पाए. बीते तीन लोकसभा चुनाव से तो हम यही देखते आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं 2014 के बाद से 2024 तक उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में कांग्रेस और सपा को कितनी-कितनी सीटें मिली हैं.
अपने हक़ और इंसाफ की ख़ातिर लड़ेंगे
अब ज़ुल्मों की हर बंदिश हम पार करेंगे! pic.twitter.com/crn0m3Ajx5— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 11, 2025
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अखिलेश की 'पॉलिटिकल जंप' से किसको को खतरा?
इन आंकड़ों को देखकर तो कम से कम यही लग रहा है कि अखिलेश यादव ने इस बार जो 'पॉलिटिकल जंप' लगाई है वो कांग्रेस के लिए अपनी जड़ों में मट्ठा देने काम करेगी. यहां पर कांग्रेस के लिए बड़ी चेतावनी है कि चुनाव में खेल सिर्फ बीजेपी के खिलाफ ही नहीं बल्कि अपने साझेदारों (समाजवादी पार्टी) से भी है. हालांकि 2014 में बुरी तरह से पराजय के बाद कांग्रेस के वोट शेयरिंग में उछाल भी आया है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर लगभग 6 फीसदी से कुछ ज्यादा था तो वहीं ये 2024 में बढ़कर 9 फीसदी से भी ज्यादा हो गया है.
हर चुनाव में सपा बढ़ा रही है कांग्रेस पर बढ़त
2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने रिकॉर्डतोड़ 37 सीटों पर साइकिल का परचम लहराया. वहीं कांग्रेस को इस चुनाव में भी महज 6 सीटें ही मिल पाईं. समाजवादी पार्टी के इस जोरदार प्रदर्शन से यूपी में वो बीजेपी भी महज 33 सीटों पर सिमट गई जिसने 2014 में 71 सीटें और 2019 में 62 सीटों पर कमल खिला दिए थे. लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा में साथ दिया था और यूपी में कांग्रेस के सहयोगी के तौर पर मंच साझा किया था. अब वही अखिलेश राहुल गांधी के यूपी में सिरदर्द बनने लगे हैं. वजह साफ है कि कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक पर समाजवादी पार्टी कब्जा करने में सफल हो रही है.
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