सोमवार को दिल्ली में SIR के खिलाफ हुए प्रदर्शन में विपक्षी पार्टियों के दिग्गज नेता शामिल हुए. राहुल गांधी, अखिलेश यादव, मल्लिकार्जुन खरगे, शरद पवार, प्रियंका गांधी, डिंपल यादव जैसे विपक्षी दिग्गज प्रदर्शन में शामिल हुए.
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Delhi SIR Protest: अब बात उस दिल्ली की जहां एक बड़ा राजनीतिक प्रदर्शन हुआ इस प्रदर्शन में बहुत दिनों बाद, विपक्ष की एकजुटता दिखी. मुद्दा बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR का था. विपक्ष SIR को मुद्दा क्यों बना रहा है? हम इसका विश्लेषण विस्तार से करेंगे, लेकिन पहले आपको बताते हैं कि कैसे आज SIR ने विपक्ष को एकजुट कर दिया.
SIR के खिलाफ हुए प्रदर्शन में विपक्षी पार्टियों के दिग्गज नेता शामिल हुए. राहुल गांधी, अखिलेश यादव, मल्लिकार्जुन खरगे, शरद पवार, प्रियंका गांधी, डिंपल यादव जैसे विपक्षी दिग्गज प्रदर्शन में शामिल हुए. संसद भवन से चुनाव आयोग तक ये विरोध प्रदर्शन होना तय था. सुबह करीब 11 बजकर 30 मिनट पर संसद के मकर द्वार से SIR के खिलाफ विपक्ष का प्रदर्शन शुरू हुआ.
#DNAWithRahulSinha | राहुल-प्रियंका-अखिलेश..सड़क पर 'क्लेश'! 'दिल्ली प्रोटेस्ट' का 'मैन ऑफ द मैच' कौन?#DNA #RahulGandhi #Congress #Protest @RahulSinhaTV pic.twitter.com/I2nHpyKGoG
— Zee News (@ZeeNews) August 11, 2025
400 मीटर दूर ही पुलिस ने घेरा
प्रदर्शन के पहले विपक्षी संसदों ने राष्ट्रगान गाया. उसके बाद करीब 300 विपक्षी सांसद चुनाव आयोग के कार्यालय की तरफ रवाना हुए. सांसदों के हाथों में 'वोट बचाओ' के बैनर थे लेकिन करीब 400 मीटर दूर ही पुलिस ने उन्हें रोक दिया. दिल्ली पुलिस का कहना था कि मार्च के लिए अनुमति नहीं ली गई थी.
SIR के मुद्दे पर सड़क पर विपक्ष
संसद के मौजूदा सत्र में विपक्ष ने सबसे ज्यादा हंगामा ऑपरेशन सिंदूर को लेकर किया लेकिन विपक्षी पार्टियां SIR के मुद्दे पर सड़क पर उतरीं. विधानसभा चुनाव बिहार में हैं. SIR फिलहाल बिहार के लिए बड़ा मुद्दा है लेकिन विपक्ष के प्रदर्शन में डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शरद पवार वाली एनसीपी, उद्धव गुट वाली शिवसेना जैसी तमाम विपक्षी पार्टियां भी शामिल हुईं. सवाल है कि विपक्ष के लिए ये प्रदर्शन सिर्फ एकजुटता दिखाने का मंच था या विपक्ष का लक्ष्य कुछ बड़ा है.
क्या विपक्ष को बिहार चुनाव जीतने की कुंजी मिल गई
ये सवाल बड़ा है और इसीलिए सबसे पहले इसी पर चर्चा करते हैं. सोचिए जो विपक्ष चुनाव में महंगाई, रोजगार, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को एजेंडा बनाता है वो आज SIR को बड़ा मुद्दा क्यों बना रहा है. क्या विपक्ष को ये लग रहा है कि उसे बिहार विधानसभा चुनाव जीतने की कुंजी मिल गई है. क्या विपक्ष को लग रहा है कि वो SIR के मुद्दे पर देशभर में एक बड़ा सरकार विरोधी नैरेटिव तैयार कर सकता है. क्या विपक्ष को लग रहा है कि एक मुद्दे को बड़ा बनाकर सरकार को घेर सकता है?
वोट बचाओ विपक्ष का नैरेटिव है
'वोट बचाओ' ये विपक्ष का नया नैरेटिव है. विपक्ष इसे बड़ा नैरेटिव क्यों बना रहा है? इसे समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा. 2024 का लोकसभा चुनाव प्रचार को याद करिए. तब राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष ने संविधान बचाओ के नैरेटिव को प्रचारित किया था. विपक्षी नेताओं ने देशभर में ये कहा कि चुनाव में बहुमत मिला तो बीजेपी संविधान बदल देगी. बीजेपी आरक्षण खत्म कर देगी.
2019 बनाम 2024 चुनाव
राहुल गांधी ने देशभर की रैलियों में संविधान की कॉपी दिखाकर कहा कि बीजेपी को संविधान बदलने से रोकना है. इस नैरेटिव का असर चुनाव परिणाम में दिखा.
2024 बीजेपी को 239 सीट मिली.
2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 303 सीट मिली थी.
2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीट मिली
2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 52 सीट मिली थी
2024 में क्या था विपक्ष का नारा?
अब समझिए 2024 लोकसभा चुनाव में संविधान बचाने वाले नैरेटिव से विपक्ष को चुनावी फायदा मिला था. इसीलिए 2025 में विपक्ष संविधान बचाओं के तर्ज पर वोट बचाने का नैरेटिव तैयार कर रहा है, ताकि इसका राजनीतिक फायदा मिले. आखिर विपक्ष SIR के विरोध को बिहार में सत्ता की कुंजी क्यों समझ रहा है. इसे समझने के लिए हमें एस आई आर को लेकर बिहार में लोगों के असंतोष को भी समझना होगा.
वोटर लिस्ट पुनरीक्षण यानी SIR में बिहार में करीब 65 लाख लोगों के नाम काटे गए हैं.
कई जगहों पर गलत तरीके से आवासीय प्रमाण पत्र बनाने की खबर हम आपको पहले ही चुके हैं.
तेजस्वी यादव और विजय सिन्हा जैसे नेताओं के 2-2 वोटर कार्ड का मुद्दा चर्चा में हैं.
नए ड्राफ्ट में कई गड़बडियों की शिकायत
सोशल मीडिया पर वोटर लिस्ट के नए ड्राफ्ट में कई गड़बडियों की शिकायत सामने आ रही है. वोटर लिस्ट से नाम कटने से लोगों में नाराजगी है. इसी नाराजगी को SIR का मुद्दा उठाकर विपक्ष कैश करना चाहता है. यहां हम आपको ये भी याद दिलाना चाहेंगे कि आज वोट बचाओ को मुद्दा बना रहे विपक्ष ने 2015 के विधानसभा चुनाव में आरक्षण बचाने को मुद्दा बनाया था. तब विपक्ष ने कहा था कि बीजेपी आरक्षण को खत्म करना चाहती है. इस चुनाव में जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस का गठबंधन था. चुनाव में RJD को 80 सीट मिली थी, जबकि 2010 में RJD को महज 22 सीट मिली थी. कांग्रेस को 27 सीट मिली थी, 2010 में कांग्रेस को 4 सीट मिली थी. यानी आरक्षण बचाओ वाले नैरेटिव से भी विपक्ष को चुनाव में फायदा हुआ.
जब-जब विपक्ष ने मुद्दा उछाला उसे फायदा हुआ
जब-जब विपक्ष एक बड़ा मुद्दा लेकर आया उसे फायदा हुआ. 2015 में विपक्ष ने बिहार में आरक्षण बचाने को मुद्दा बनाया और इसका फायदा उसे हुआ. 2024 लोकसभा चुनाव में भी विपक्ष ने संविधान बचाने का नैरेटिव बनाया और इसका फायदा उसे हुआ. लोकसभा में विपक्ष की सीट बढ़ी. इसलिए विपक्ष 2025 में वोट बचाओ वाला नैरेटिव बना रहा है. ये नैरेटिव बड़ा दिखे इसलिए सभी विपक्षी पार्टियां एक साथ आई हैं. नैरेटिव को मजबूती से उठाया जाए, इसलिए विपक्ष के सभी दिग्गज एक साथ दिख रहे हैं. यही बात बिहार में NDA के लिए परेशानी बनती दिख रही है.
अखिलेश यादव मैन ऑफ दे मैच
SIR पर एकजुट हुए विपक्ष को लग रहा है कि उसे बिहार में सत्ता की कुंजी मिल गई है. आज प्रदर्शन में हर विपक्षी पार्टी के दिग्गज शामिल थे. विपक्ष का हर नेता खुद को SIR के खिलाफ प्रोटेस्ट में विरोध को चेहरा बता और दिखा रहा था लेकिन आज इस प्रोटेस्ट के मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड जिस नेता को दिया जाना चाहिए वो हैं अखिलेश यादव. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, इसे समझने के लिए आपको अखिलेश यादव का ये वीडियो देखना चाहिए.
52 साल की उम्र में अखिलेश ने फांदा बैरिकेड
पुलिस ने जब विरोध प्रदर्शन कर रहे सांसदों को रोका तो 52 वर्ष के अखिलेश यादव पलक झपकते बैरिकेड फांद गए. पुलिसवालों ने अखिलेश को रोकने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे. बैरिकेड फांदकर अखिलेश सांसदों के साथ धरने पर बैठ गए. अखिलेश के बैरिकेड फांदने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. बेशक SIR के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व राहुल गांधी ने किया लेकिन बैरिकेड फांदकर अखिलेश यादव विरोध का चेहरा बन गए. अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव ने सोशल मीडिया पर ये वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा की संघर्ष की पहचान- रुकना नहीं, टकराना है.
प्रियंका थरूर में चर्चा में रहे
प्रदर्शन के दौरान ताली बजाकर नारा लगाती प्रियंका गांधी की तस्वीरों की भी सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है. SIR के खिलाफ प्रदर्शन में कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी शामिल हुए. उनकी मौजूदगी भी चर्चा में है. क्योंकि चर्चा है कि शशि थरूर कांग्रेस नेतृत्व से नाराज हैं.
अब आपको ये भी बताना चाहेंगे कि चुनाव आयोग ने SIR पर पक्ष रखने के लिए विपक्ष के 30 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय दिया था.
राजन्ना ने दिखाया कांग्रेस को आइना!
दिल्ली में विपक्ष ने SIR को मुद्दा बनाया तो कर्नाटक के मंत्री एन राजन्ना को इस मुद्दे पर राहुल गांधी को आत्मचिंतन की सलाह देना भारी पड़ गया. उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. राजन्ना ने कहा था कि गड़बड़ी हमारी सरकार के दौरान हुई. तब हम कहां थे, हम अब आवाज क्यों उठा रहे हैं. राजन्ना के बयान के बाद हंगाम हुआ और उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसलिए बीजेपी राहुल गांधी पर सवाल उठा रही है.
विपक्ष ने नहीं दर्ज करवाई आपत्ति
SIR पर विपक्ष के प्रदर्शन के बीच चुनाव आयोग ने बताया है कि आज सुबह 10 बजे तक उसे बिहार में SIR को लेकर एक भी आपत्ति नहीं मिली है. यानी किसी भी दल ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर आधिकारिक तौर पर आपत्ति दर्ज नहीं कराई है. यानी वो सांसद जो सड़क पर चुनाव आयोग के खिलाफ SIR के मुद्दे पर विरोध कर रहे थे, इनमें से किसी भी सांसद ने अब तक आधिकारिक तौर पर चुनाव आयोग की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर विरोध दर्ज नहीं कराया है.