Explained: सूखे के बाद सैलाब...कुदरत के कहर से क्यों कराह रहा पाकिस्तान, मॉनसून के पहले ही 32 मौतें
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Explained: सूखे के बाद सैलाब...कुदरत के कहर से क्यों कराह रहा पाकिस्तान, मॉनसून के पहले ही 32 मौतें

Global Warming in Pakistan: पाकिस्तान जलवायु परिवर्तन की मार झेलने वाले सबसे जोखिम वाले देशों में से एक है. बाढ़, शहरों में फ्लैश फ्लड से लेकर सूखे के कारण फसलों की बर्बादी जैसे संकट वो झेल रहा है. 

Pakistan Flood
Pakistan Flood

Climate Change in Pakistan: पाकिस्तान जलवायु परिवर्तन की मार झेलने वाले सबसे जोखिम वाले देशों में से एक है. बाढ़, शहरों में फ्लैश फ्लड से लेकर सूखे के कारण फसलों की बर्बादी जैसे संकट वो झेल रहा है. पाकिस्तान सूखे की मार के अब सैलाब का संकट झेल रहा है. बाढ़ में पिछले कुछ दिनों में 32 लोगों की मौत हो चुकी है. गर्मी में सूखे के संकट के बाद मॉनसून आते ही पंजाब से लेकर सिंध तक सैलाब कहर बनकर बरपा है. 

जलवायु परिवर्तन भी वजह
पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति ऐसी है, जिस कारण भी उसे भूकंप-बाढ़, सूखे और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का बड़े पैमाने पर सामना करना पड़ता है. वो जलवायु परिवर्तन का खतरा झेल रहे सबसे जोखिम वाले देशों में शामिल है. पाकिस्तान की नेशनल डिसास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने भी ग्लेशियर के बीच बनी झीलों के फटने, शहरी इलाकों की बाढ़ और फ्लैश फ्लड (बादल फटने के वक्त अचानक आई बाढ़) की चेतावनी अगले 24 से 48 घंटों के लिए जारी की है.पाकिस्तान में स्वात नदी भी मॉनसून के लिए पहले ही उफना रही है. 

ग्लेशियरों का घर
पाकिस्तान करीब 1300 ग्लेशियरों का घर है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण ये बर्फीले पहाड़ लगातार पिघल रहे हैं. इससे पाकिस्तान में बाढ़ और फ्लैश फ्लड का खतरा बढ़ा है. बेमौसम भारी बारिश या सूखे से भी हाला खराब हैं. भूकंप के संवेदनशील इलाकों की जोन में उसका बड़ा हिस्सा आता है.

स्वात घाटी में बह गए टूरिस्ट
पाकिस्तान का भ्रष्ट सरकारी तंत्र और क्लाइमेट चेंज से जुड़ा कोई प्रभावी तंत्र न होने से भी संकट बढ़ा है. स्वात इलाके में पिछले दिनों छुट्टियां मनाने आए कुछ पर्यटक बह गए. उनके बचाव का कोई इंतजाम नहीं था.स्थानीय कारोबारियों ने इसका जमकर विरोध किया.

मलिन बस्तियों की बढ़ती संख्या
पाकिस्तान में एक चौथाई से ज्यादा जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है. यही वजह से गांवों से शहरों की ओर बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है. इस कारण शहर किनारे मलिन बस्तियों की तादाद बढ़ती जा रही है. यूएन हैबिटेट की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के शहरों में 50 फीसदी आबादी झुग्गी बस्तियों और कच्चे मकानों में रहती है. इस कारण नदी-नहरों या अन्य इलाकों में अतिक्रमण से जलभराव या बाढ़ जैसे हालात पैदा हो रहे हैं. शहरों में कंक्रीट के जाल से दिन क्या रातें भी खूब गर्म हो रही हैं. पाकिस्तान के मुल्तान-इस्लामाबाद जैसे कई शहर दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से एक हैं. प्लास्टिक के अंधाधुंध इस्तेमाल और कचरा निपटारे की कोई ठोस योजना ही नहीं है.

पाकिस्तान के पूर्व जलवायु परिवर्तन मंत्री शेरी रहमान का कहना है कि सरकारों के लिए ये कोई मुद्दा ही नहीं है, लेकिन ये कितना बड़ा खतरा है, वो हमें 27 जून की फ्लैश फ्लड में हुईं मौतों से फिर पता चल गया है.पाकिस्तान प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए आईएमएफ से पैसा मांग रहा है. आईएमएफ ने उसे 1.4 अरब डॉलर दिए थे, लेकिन उसका खर्च कहां और कैसे कर रहा है, पता नहीं. जलवायु परिवर्तन से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNFCCC का कहना है कि पाकिस्तान का कार्बन उत्सर्जन में योगदान 1 फीसदी से कम है, लेकिन खतरा उससे कई गुना ज्यादा है. 

सिंधु जल संधि रद्द
पाकिस्तान की हरकतों के कारण भारत ने सिंधु जल संधि के तहत आने वाली नदियों के जल प्रवाह से जुड़ा कोई डेटा पड़ोसी मुल्क से साझा करना बंद कर दिया है. इससे उसकी मुश्किलें बढ़ी हैं. चिनाब नदी पर बने सलाब बांध के 12 गेट रविवार को खोले गए, इससे भी पाकिस्तान के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए. चिनाब-झेलम से लेकर सिंधु का पानी अब वरदान के लिए अभिशाप बन सकता है. 

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