JUDGE HOLIDAY: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था, 'जो लोग सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की लंबी छुट्टियों को लेकर आलोचना करते हैं, वो ये नहीं समझते कि न्यायाधीशों (जजों) को तो शनिवार और रविवार की भी छुट्टी नहीं मिलती. इस दौरान अन्य कार्य, सम्मेलन आदि होते हैं.'
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Indian judiciary: भारत में ज्युडीशियरी के पेशे को बहुत आदर और सम्मान के नजरिए से देखा जाता है. ये एक रसूखदार पेशा है. देश में हमेशा से ही लोगों को कोर्ट और उसकी प्रोसीडिंग्स यानी सुनवाई के बारे में जानने का लोगों में चार्म रहता है. शोहरत और पावर से इतर न्यायपालिका के इस क्षेत्र में कितनी मेहनत करनी पड़ती है यानी कितना काम करना होता है इसके बारे में कम लोगों की जानकारी होती है, खासकर यह कि जजों को साल में कितनी छुट्टियां मिलती है.
जज करते हैं कितना काम?
न्यायपालिका के कभी न रुकने वाला क्षेत्र है. अगर किसी को न्याय देना है तो फिर छुट्टियां खासकर जजों की छुट्टियां मायने नहीं रहतीं. कोर्ट को गर्मी की छुट्टियों में भी खुले रहते हैं. ये पेशा ही बड़ी मेहनत और निष्पक्षता वाला है. आइए बताते हैं कि कौन कितना काम करता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रायल कोर्ट साल में सबसे ज्यादा दिन तक काम करते हैं. ट्रायल कोर्ट 365 में से 245 दिन काम करते हैं. वहीं, देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में सालभर में 193 दिन काम होता है.
जजों को शनिवार-इतवार की छुट्टी भी नहीं मिलती
सुप्रीम कोर्ट ने मई 2024 में एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था, 'जो लोग सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की लंबी छुट्टियों को लेकर आलोचना करते हैं, वो ये नहीं समझते कि न्यायाधीशों (जजों) को तो शनिवार और रविवार की भी छुट्टी नहीं मिलती. इस दौरान अन्य कार्य, सम्मेलन आदि होते हैं.' यह टिप्पणी वर्तमान समय में सीजेआई गवई और और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने उस समय की थी जब जस्टिस गवई देश के सीजेआई नहीं थे.
पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और जज भूषण रामकृष्ण गवई की बेंच ने भी इस विषय में जजों की मुश्किलों का हवाला दिया था. उस समय सीजेआई ने कहा था- 'जजों को वीकली ऑफ नहीं मिलते हैं. खासकर जिला जज एक भी दिन छुट्टी नहीं लेते हैं. इसके अलावा उन्हें लीगल कैंप्स और प्रशासनिक कार्य करने होते हैं. वहीं जस्टिस गवई ने बताया था कि गर्मियों की छुट्टियों में जज फ्री नहीं रहते बल्कि जजमेंट लिखते रहते हैं.'
छुट्टियों के हकदार हैं न्यायाधीश
उस समय सुप्रीम कोर्ट की बेंच बंगाल सरकार के एक वाद पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सीबीआई पर राज्य से पूर्व अनुमति लिए बिना जांच करते रहने का आरोप लगाया गया था. बंगाल के मामले में केंद्र का पक्ष रख रहे मेहता ने बेंच से कहा था- शीर्ष अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट के जज रोजाना 50 से 60 मामले देखते हैं इसलिए वे छुट्टियों के हकदार हैं.
सुप्रीम कोर्ट के जजों को मिलती है कितनी छुट्टियां?
SC में जजों की गर्मियों की छुट्टियां अमूमन 20 मई से शुरू होती हैं. इस तारीख के हिसाब से सर्वोच्च अदालत का कामकाज अक्सर 8 जुलाई से शुरू होता है. यानी जजों कुल 48 दिन की छुट्टी मिलती है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में रुटीन कामकाज नहीं होता. वैसे जजों को मिलने वाली इन छुट्टियों को लेकर लंबे समय से बहस हो रही है.
कब-कब होती है कोर्ट की छुट्टी?
गौरतलब है कि समर वेकेशन के अलावा, अदालतों में दशहरा और दिवाली के मौके पर अवकाश होता है. इतना ही नहीं दिसंबर के आखिर के 2 हफ्ते भी कोर्ट बंद रहता है. बता दें कि छुट्टियों का यह शेड्यूल आज के समय का नहीं है, बल्कि इसे ब्रिटिश शासन के समय बनाया गया था. यह शेड्यूल आज भी फॉलो किया जा रहा है.
कोर्ट कितने दिन करते हैं काम?
ऐसे में एक अहम सवाल ये भी उठता है कि आखिरकार कोर्ट सालभर में कितने दिन काम करते हैं? तो आपको बताते चलें कि भारत में ट्रायल कोर्ट साल में सबसे ज्यादा दिन तक काम करते हैं. ट्रायल कोर्ट 365 में से 245 दिन काम करते हैं. वहीं, हाईकोर्ट में 210 दिन काम होता है, जबकि देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में सालभर में 193 दिन काम होता है.
गौरतलब है कि जजों को सेशन के दौरान कुछ ही मामलों में छुट्टी मिलती है. जैसे जजों की फैमिली में किसी इमरजेंसी या उनके या उनकी फैमिली की हेल्थ से जुड़े मामलों की वजह से ही जजों को आकस्मिक छुट्टी मिलती है. हालांकि, जज सोशल इवेंट्स के लिए कभी-कभार छुट्टी ले सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल किया मंथन
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में गर्मी की लंबी छुट्टियों को लेकर बड़ा बदलाव करने का मन बनाया था. तब अवकाशकालीन जज शब्द को भी खत्म करने का निर्णय लिया था. SC के नए नियम में हर साल होने वाली गर्मी की छुट्टी को अब 'आंशिक न्यायालय कार्य दिवस' नाम दिया गया था. वहीं, वेकेशन जज के नाम में भी बदलाव करते हुए उसे जज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों को लेकर तब किया बदलाव इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा था, क्योंकि लंबे समय से ये चर्चा हो रही थी कि सुप्रीम कोर्ट को लंबी छुट्टियां मिलती हैं. ये सुप्रीम कोर्ट रूल 2013 के संशोधन का हिस्सा था, लेकिन बदलाव के बाद अब यह सुप्रीम कोर्ट (दूसरा संशोधन) नियम 2024 बन गया था. नोटिफिकेशन में कहा गया था कि 'आंशिक न्यायालय कार्य दिवस' की अवधि और कोर्ट के साथ उसके दफ्तरों की छुट्टियां चीफ जस्टिस तय करेंगे. ये छुट्टियां रविवार को छोड़कर 95 दिनों से ज्यादा की नहीं होंगी.
लॉ ट्रेंड की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने के 2025 के जारी कैलेंडर के मुताबिक भारत के सर्वोच्च न्यायालय का 2025 कैलेंडर न्यायालय के कार्य दिवसों, छुट्टियों और विशेष पालनों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है.
अतिरिक्त दिशा-निर्देश और पालन
1. रजिस्ट्री संचालन: सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री प्रत्येक महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को खुली रहेगी, ताकि आवश्यक फाइलिंग और दस्तावेज़ीकरण के लिए निरंतरता सुनिश्चित हो सके.
2. अवलोकन समायोजन वाली छुट्टियां: ईद-उल-फ़ित्र, ईद-उल-ज़ुहा और मुहर्रम जैसे त्योहारों के लिए जो चंद्र दर्शन पर निर्भर करते हैं, अदालत निर्दिष्ट करती है कि तिथियां चंद्र कैलेंडर के अनुसार बदल सकती हैं.
3. गैर-कार्यकारी शनिवार और रविवार पर अवलोकन: जब कोई छुट्टी सप्ताहांत या सुप्रीम कोर्ट की छुट्टी के साथ मेल खाती है, तो कोई अतिरिक्त छुट्टी नहीं दी जाती है.
4. दिसंबर की छुट्टियां: नए साल की छुट्टी के दौरान, रजिस्ट्री 25 दिसंबर (क्रिसमस) से 1 जनवरी तक बंद रहेगी, जिसमें दोनों तिथियां शामिल हैं. यह संरचित कैलेंडर महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और राष्ट्रीय छुट्टियों का सम्मान करते हुए सुप्रीम कोर्ट के लिए कुशल समय प्रबंधन सुनिश्चित करता है. कानूनी कार्यवाही या अदालती संचालन में शामिल लोगों के लिए, यह मार्गदर्शिका 2025 के लिए एक महत्वपूर्ण नियोजन संसाधन के रूप में कार्य करती है.