Decompensated Liver Cirrhosis: जिस बीमारी से हुआ एक्टर मनोज कुमार का निधन, उस डिजीज के बारे में जानिए
Advertisement
trendingNow12705127

Decompensated Liver Cirrhosis: जिस बीमारी से हुआ एक्टर मनोज कुमार का निधन, उस डिजीज के बारे में जानिए

डिकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस एक सीरियर मेडिकल कंडीशन है जिसके लिए तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है. मरहूम एक्टर मनोज कुमार को भी ये बीमारी थी.

 

Decompensated Liver Cirrhosis: जिस बीमारी से हुआ एक्टर मनोज कुमार का निधन, उस डिजीज के बारे में जानिए

What is Decompensated Liver Cirrhosis: पूरब और पश्चिम और क्रांति जैसी देशभक्ति फिल्मों में यादगार रोल निभाने वाले वेटरन एक्टर मनोज कुमार का 87 साल की उम्र में निधन हो गया. उनको मुंबई के कोकिलाबेन धीरूबाई अंबानी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां दिल से जुड़े कॉम्पलिकेशंस के कारण उनकी मृत्यु हो गई. अस्पताल द्वारा जारी किए गए मेडिकल सर्टिफिकेट के मुताबिक, मौत का दूसरा कारण डीकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस है. आइए जानते हैं कि ये बीमारी कितनी खतरनाक है

क्या है डीकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस?
डॉ. विकास जिंदल (Dr Vikas Jindal), कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, सीके बिड़ला, हॉस्पिटल, दिल्ली ने बताया कि डिकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस, लिवर की बीमारी का एक एडवांस्ड स्टेज है, जिसमें क्रोनिक कंडीशन (सिरोसिस) से डैमेज हुआ लिवर अपने जरूरी कामों को असरदार तरीके से नहीं कर पाता है. कंपेंसेटेड सिरोसिस के उलट, डिकंपेंसेशन कब होता है, जब अंग कंपेंसेट करने में नाकाम रहता है, जिससे सीरियस कॉम्पलिकेशंस होते हैं. ये अक्सर हेपेटाइटिस, ज्यादा शराब के सेवन, या फैटी लिवर डिजीज जैसी लंबे समय तक चलने वाली स्थितियों का नतीजा होता है.

बीमारी के लक्षण
डिकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस के लक्षण शुरुआती स्टेज की तुलना में ज्यादा क्लियर होते हैं. मरीजों को पीलिया, थकावट, रात को नींद न आना और बेहोशी की हालत होने का एहसास हो सकता है. अन्य लक्षणों में आसानी से चोट लगना या खून बहना, पैरों में सूजन (एडिमा), हद से ज्यादा थकान और फटी हुई एसोफैगल वैरिकाज से खून की उल्टी शामिल हैं. ये लक्षण शरीर को डिटॉक्सिफाई करने, फ्लूइड को रेगुलेट करने या एसेंशियल प्रोटीन को प्रोड्यूस करने में लिवर की असमर्थता को दर्शाते हैं.

डिजीज के रिस्क फैक्टर्स
डिकंपेंसेटेड सिरोसिस से जुड़े रिस्क जिंदगी के लिए खतरा हैं. ये लिवर फेलियर की आशंका को बढ़ाता है, जहां अंग पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है. मरीज पेट के पानी में इंफेक्शन, किडनी फेलियर (हेपेटोरेनल सिंड्रोम) और लिवर कैंसर (हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा) जैसी बीमारियों के लिए भी प्रोन होते हैं. इस स्टेज में मृत्यु दर काफी ज्यादा है, खासकर वक्त पर इलाज के बिना. लगातार शराब के उपयोग, खराब पोषण, या अनट्रीटेड वायरल हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां मरीज की हालत को और खराब कर सकते हैं.

ट्रीटमेंट
हालांकि डिकंपेंसेटेड सिरोसिस इर्रिवर्सिबल है, लेकिन हमें ट्रीटमेंट लक्षणों को मैनेज करने और आगे होने वाले नुकसान को रोकने पर फोकस करना होता है. डॉक्टर पेट के पानी में इंफेक्शन के लिए ड्यूरेटिक, बेहोशी की हालत के लिए लैक्टुलोज और इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक्स लिख सकते हैं. शराब से परहेज, कम नमक वाले डाइट और हाई प्रोटीन डाइट मेंटेन रखने जैसे लाइफस्टाइल चेंजेज अहम हैं. गंभीर मामलों में, लिवर ट्रांसप्लांट इकलौता क्यूरेटिव ऑप्शन बन जाता है, हालांकि ऐसा फैसला पेशेंट के ओवरऑल हेल्थ को देखकर लिया जाता है. अर्ली मेडिकल केयर और रेगुलर मॉनिटरिंग क्वालिटी ऑफ लाइफ और सर्वाइवल रेट में सुधार कर सकता है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

Trending news

;