खांसने से बाहर आ रहा खून, नॉर्मल न समझें, 8 तरह की बीमारियां हो सकती हैं वजह, पहले ही पहचानें लक्षण
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खांसने से बाहर आ रहा खून, नॉर्मल न समझें, 8 तरह की बीमारियां हो सकती हैं वजह, पहले ही पहचानें लक्षण

अगर किसी को खांसते वक्त मुंह से खून निकलने लगे तो इसके हल्के में लेने की गलती न करें. समझ जाएं कि ये किसी बड़ी बीमारी का इशारा दे रहा है. 

खांसने से बाहर आ रहा खून, नॉर्मल न समझें,  8 तरह की बीमारियां हो सकती हैं वजह, पहले ही पहचानें लक्षण

What Is Haemoptysis: हेमोप्टाइसिस एक मेडिकल टर्म है जिसका मतलब है खांसी के साथ खून आना. ये खून सीधे फेफड़ों या रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट (Respiratory Tract) से आता है और अक्सर किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. कई बार ये खून हल्की मात्रा में होता है और कुछ मामलों में बहुत ज्यादा भी हो सकता है, जो जानलेवा हालात पैदा कर सकता है. इसलिए, अगर खांसी के साथ खून आ रहा है तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए.

हेमोप्टाइसिस कैसे होता है?
जब रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के किसी हिस्से, जैसे ब्रॉन्काई (Bronchi), ट्रेकिया (Trachea) या फेफड़ों के अंदर की केशिकाओं (Capillaries) वगैरह में चोट, इंफेक्शन या सूजन होती है, तो वहां से खून निकल सकता है और ये खांसी के साथ बाहर आता है.

ऐसा क्यों होता है?

1.फेफड़ों में इंफेक्शन: जैसे टीबी (Tuberculosis), ब्रॉन्काइटिस (Bronchitis) या न्यूमोनिया (Pneumonia)

2. लंग कैंसर: खासकर लंबे समय से स्मोकिंग करने वालों में ऐसा खतरा देखा जाता है.

3. ब्रॉन्केक्टेसिस (Bronchiectasis): फेफड़ों की नलियों का स्थायी रूप से चौड़ा होना.

4. पल्मोनरी एम्बोलिज्म (Pulmonary Embolism): फेफड़ों में खून का थक्का जमना.

5. फेफड़ों की चोट: किसी एक्सीडेंट, सर्जरी या मेडिकल प्रोसीजर के कारण ऐसा मुमकिन है.

6. फंगल इंफेक्शन: जैसे एस्परजिलोसिस (Aspergillosis) वगैरह.

7. दिल से जुड़ी समस्याएं: जैसे माइट्रल स्टेनोसिस (Mitral Stenosis):

8. ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर: जब खून जमने की क्षमता में कमी हो ऐसा देखने को मिलता है.

 

हेमोप्टाइसिस के लक्षण
खांसी के साथ खून आने के साथ-साथ अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं, जैसे-

1. खांसी में खून आना. खासकर ताजा लाल रंग का या जमे हुए गहरे रंग का

2. छाती में दर्द

3. सांस लेने में तकलीफ

4. लगातार खांसी

5. बुखार और ठंड लगना (इंफेक्शन होने पर)

6. वजन घटना और थकान (टीबी या कैंसर के मामलों में)

7. सीटी जैसी आवाज के साथ सांस आना (Wheezing)

ये जरूरी है कि थूक में खून आने और उल्टी में खून आने में फर्क किया जाए, क्योंकि उल्टी में खून का कारण पेट या इसोफेगस की परेशानी हो सकती है, जबकि हेमोप्टाइसिस फेफड़ों या रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ा है.
 

हेमोप्टाइसिस का डायग्नोसिस 

डॉक्टर सबसे पहले मरीज का मेडिकल हिस्ट्री और लक्षण पूछते हैं, फिर फिजिकल एग्जामिनेशन करते हैं. सही कारण जानने के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं. जैसे-

1. चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray): लंग में इंफेक्शन, टीबी, ट्यूमर या लिक्विड जमाव का पता लगाने के लिए.

2. सीटी स्कैन (CT Scan): फेफड़ों और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की डिटेल्ड इमेज के लिए.

3. ब्रॉन्कोस्कोपी (Bronchoscopy): एक पतली ट्यूब कैमरे के साथ फेफड़ों के अंदर डाली जाती है ताकि खून के सोर्स को डायरेक्ट देखा जा सके.

4. स्पुटम टेस्ट (Sputum Test): थूक की जांच करके बैक्टीरिया, फंगस या कैंसर सेल्स का पता लगाया जाता है.

5. ब्लड टेस्ट (Blood Test): इंफेक्शन, खून की कमी (Anaemia), या ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर जांचने के लिए.

6. ईसीजी और इकोकार्डियोग्राफी (ECG and ECHO) अगर हार्ट से जुड़ी परेशानियों का शक हो.
 

हेमोप्टाइसिस का इलाज
इलाज का तरीका खून आने के मूल कारण और खून की मात्रा पर निर्भर करता है. इसमें कई तरह के ट्रीटमेंट्स शामिल हैं, जैसे- 

1. कम मात्रा में खून आने पर (Mild Haemoptysis)
अगर ये किसी हल्के इंफेक्शन या ब्रॉन्काइटिस के कारण है, तो एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं.

खांसी रोकने के लिए कोडीन जैसे खांसी-निवारक (Cough Suppressant) दवाएं दी जा सकती हैं, लेकिन सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर.

2. माइल्ड से गंभीर मामलों में (Massive Haemoptysis)
ऐसे मामले में अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है ताकि मरीज को मॉनिटर करने और ऑक्सीजन देने में कोई परेशानी न आए.

ब्रॉन्कोस्कोपिक ट्रीटमेंट: इसमें कैमरे और टूल्स की मदद से खून के सोर्स को बंद किया जाता है

एम्बोलाइजेशन (Bronchial Artery Embolization): इसमें खून पहुंचाने वाली धमनियों को ब्लॉक करके खून का बहना रोका जाता है.

सर्जरी: अगर ट्यूमर, ब्रॉन्केक्टेसिस या फेफड़ों का कोई हिस्सा गंभीर रूप से अफेक्टेड है.

3. सपोर्टिव केयर (Supportive Care)

ऑक्सीजन थेरेपी

ब्लड ट्रांसफ्यूजन (जरूरत पड़ने पर)

खून पतला करने वाली दवाओं (Anticoagulants) को रोकना, अगर मरीज ले रहा है और डॉक्टर इजाजत देते हैं.

हेमोप्टाइसिस में सावधानियां
1. खांसी में खून आने को कभी नजरअंदाज न करें, चाहे मात्रा कम ही क्यों न हो.

2. अगर सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार, वजन कम होना या सीने में दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

4. धूम्रपान और तंबाकू से पूरी तरह बचें, क्योंकि ये फेफड़ों के कैंसर और दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं.

5. टीबी या फेफड़ों के इंफेक्शन का पूरा इलाज कराएं और दवा बीच में न छोड़ें.

6. जिनको ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर है, वे रेगुलर चेकअप करवाएं.
 

इन बातों को समझें
हेमोप्टाइसिस कोई आम लक्षण नहीं है, बल्कि ये गंभीर फेफड़ों या रेस्पिरेटरी सिस्टम की बीमारी का इशारा हो सकता है. जल्दी डायग्नोसिस और सही इलाज से न सिर्फ खून बहना रोका जा सकता है, बल्कि गंभीर बीमारियों को भी शुरुआती स्टेज में पकड़ा जा सकता है. अगर आपको या आपके किसी करीबी को खांसी में खून आता है, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं. वक्त पर इलाज से जिंदगी को बचाया जा सकता है.

(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)

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Shariqul Hoda शारिक़ुल होदा

ज़ी न्यूज में सीनियर सब एडिटर. हेल्थ और लाइफस्टाइल की स्टोरीज करते हैं. नेशनल, इंटरनेशनल, टेक, स्पोर्ट्स, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट, हेल्थ और लाइफस्टाइल का लंबा तजुर्बा है. जर्नलिज्म करियर की शुरुआत 2...और पढ़ें

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