Assam News: असम में बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान चल रहा है. इस अभियान के जद में 10 से ज्यादा गांव आएंगे. इसके तहत 2,600 से ज्यादा अवैध ढांचों को ध्वस्त किया जाएगा. जानें इस अभियान का क्या मकसद है.
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Assam News: असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा अपने ताबड़तोड़ बयानों के लिए जाने जाते हैं. वो अक्सर विपक्ष के ऊपर किसी न किसी न किसी मुद्दों को लेकर हमले करते रहते हैं. अब उनकी सरकार गोलाघाट जिले के रेंगमा वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हथौड़ा चला रही है. यहां पर हो रहे बेदखली अभियान के तहत 1,500 हेक्टेयर वन भूमि में फैले 2,600 से ज्यादा अवैध ढांचों को ध्वस्त किया जाएगा. इसकी चपेट में 10 से ज्यादा गांव भी आएंगे.
बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा अभियान
इस बेदखली अभियान को लेकर वन अधिकारियों ने बताया कि पहले दिन की कार्रवाई में करीब 4.2 हेक्टेयर से ज़्यादा अतिक्रमित भूमि को साफ किया गया. इसमें 50 से ज्यादा रेजिडेंशियल आवास और 200 छोटे और मध्यम आकार के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को ध्वस्त किया गया. बता दें कि 12 गांवों में फैले कुल 2,648 अवैध घरों को बेदखली के लिए चिह्नित किया गया है. इस अभियान के तहत सोनारीबिल, पीठाघाट, दयालपुर, दलनपाथर, खेरबारी, विद्यापुर, विद्यापुर बाजार, मधुपुर, आनंदपुर, राजपुखुरी जैसे इलाके आएंगे.
क्या है मकसद?
बता दें कि इस अभियान का उद्देश्य उरियमघाट में संवेदनशील असम-नागालैंड सीमा पर स्थित वन भूमि से अतिक्रमण हटाना है. इस बेदखली अभियान में किसी तरह की अड़चन न आए इसे देखते हुए प्रदेश के कई जिलों की बटालियनों सहित 2,000 से अधिक असम पुलिस कर्मियों और 500 वन रक्षकों को तैनात किया गया है. मुख्य वन संरक्षक एम.के. यादव, पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) अखिलेश कुमार सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद थे और व्यक्तिगत रूप से कार्यवाही की निगरानी कर रहे थे.
तीसरा बड़ा अभियान
8 जुलाई के बाद से असम में यह तीसरा बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान है. इससे पहले दो अभियान धुबरी और गोलपाड़ा में चलाए गए थे, जहां 2,000 से ज्यादा अवैध रूप से बने घरों को ध्वस्त कर दिया गया था. यहां पर लोगों का कड़ा विरोध देखा गया था जिसे देखते हुए पुलिसकर्मियों की भारी तैनाती की गई थी. हालांकि आज उरियमघाट में हुए अभियान में कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ.
क्या बोले स्थानीय लोग?
हालांकि स्थानीय निवासियों ने राज्य सरकार पर वन भूमि साफ़ करने के बहाने उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया. एक स्थानीय निवासी ने दावा किया कि उसका परिवार 1974 में इस इलाके में बस गया था. उसके पास मतदाता पहचान पत्र और अवैध दस्तावेज भी हैं. वो लोग यहां पर दशकों से रह चुके हैं और कई बार आदिवासी समूहों के हमलों का भी सामना कर चुके हैं लेकिन सरकार जैसे घरों को तोड़ रही है उनके पास जाने के लिए कोई और जगह नहीं है.
F&Q
सवाल- इस बेदखली अभियान का क्या प्रभाव हो सकता है?
जवाब- इस बेदखली अभियान से सरकार जहां एक तरफ वनों को साफ कराएगी वहीं दूसरी तरफ यहां से हटाए गए लोगों को तमाम तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है.
सवाल- जिले में कितने अवैध घरों की पहचान की गई है?
जवाब- पूरे जिले में 12 गांवों में फैले कुल 2,648 अवैध घरों को बेदखली के लिए चिह्नित किया गया है.